स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):- ऊत्तराखण्ड उच्च न्यायालय की शिफ्टिंग के मौखिक आदेश से नाराज अधिवक्ताओं और मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के बीच लम्बी आर्ग्युमेंट हुई। खंडपीठ ने बार एसोसिएशन से एक सप्ताह में जनमत करा न्यायालय में पेश करने को कहा है।
बुधवार सवेरे मुख्य न्यायाधीश ने आई.डी.पी.एल.के एक मामले को सुनते हुए हाई कोर्ट की एक बैंच ऋषिकेश के आई.डी.पी.एल.शिफ्ट करने के मौखिक निर्देश दिए। इसपर बार में उबाल आ गया और सभागार में बैठक कर मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल से मिला गया। दोपहर बाद दोबारा मिलने का समय तय हुआ और अधिवक्ताओं की बड़ी संख्या दोपर मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में पहुंची। तमाम वरिष्ठ अधिवक्ताओं की मौजूदगी में बार की तरफ से खंडपीठ के सामने शिफ्टिंग रोकने की बात रखी गई।
मुख्य न्यायाधीश ने अधिवक्ताओं से कहा कि वो बाहर की हैं और पूर्व में कोर्ट को गौलापार शिफ्ट करने की डिमांड किसने की थी ? कहा कि दो वर्ष पूर्व 2022 में 26 हैक्टेयर लैंड गौलापार में चिन्हित (आईडेंटिफाई)हुआ था। उन्होंने कहा कि कोर्ट गौलापार जाना ठीक नहीं है क्योंकि वहां बहुत पेड़ हैं और पेड़ काटकर भवन बनाना ठीक है क्या ? अधिवक्ताओं से पूछा विकल्प के लिए बिना जंगल की 85 हैक्टेयर भूमि कहीं है तो बताएं ? उन्होंने कहा कि एक हफ्ते में जमीन तलाश लो लेकिन वो इस हैरिटेज भवन को नहीं छोड़ेंगे। हम सोच रहे हैं कि एक बेंच देहरादून होगी और हाईकोर्ट यहीं रहेगा। अधिवक्ताओं से कहा कि आप समाधान पर ध्यान दें। एक वक्त नाराज होते हुए कोर्ट ने कहा कि हमने आदेश पारित कर दिया है सरकार एस.एल.पी.में जा सकती है। चीफ ने महाधिवक्ता को तत्काल न्यायालय में बुलाया। न्यायालय ने महाधिवक्ता से कहा कि आप सरकार को कोर्ट शिफ्टिंग को लेकर सूचित करें। युवाओं से कहा कि हाइब्रिड सिस्टम शुरू होने के बाद अधिवक्ता घर से बहस कर रहे हैं। उन्होंने ऑप्शन के रूप में रामनगर में कोर्ट शिफ्टिंग के लिए कहा जिसका अधिवक्ताओं ने वोरोध किया। मुख्य न्यायाधीश ने युवा अधिवक्ताओं से कहा कि आपने अगले 50 से 60 वर्षों में एडवांस दौर को देखते हुए आधुनिक भवन निर्माण और सुविधाएं देखनी चाहिए। आप ऑनलाइन रिसर्च कर समय की जरूरत के अनुसार चलें। उन्होंने अधिवक्ताओं से ये भी कहा कि हम आदेश में जगह न लिखकर एक अच्छे सुविधाजनक स्थल के लिए लिखेंगे। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने कहा कि शिफ्टिंग की डिमांड यहीं से आई। हल्द्वानी का प्रपोजल आया क्योंकि नैनीताल में जगह नहीं है। पहले तीन न्यायाधीश थे फिर 11 बने और आगे 80 भी बनेंगे, तो उन व्यवस्थाओं को देखते हुए तैयारी करनी होगी।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व सदस्य विजय भट्ट ने कहा की पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंगनाथन के कार्यकाल में बार ने लिखित में दिया था कि न्यायालय को किसी भी मैदानी क्षेत्र में शिफ्ट न करके पहाड़ों में ही रखा जाए। उन्होंने कहा कि उन्हें ये दौर ‘ब्रिटिशकाल’ की याद दिला रहा है। हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष डी.सी.एस.रावत ने कहा कि आर्डर में बैंच की शिफ्टिंग कहा गया है तो आप अधिवक्ताओं से उसी पर पूछें। उन्होंने न्यायालय से आग्रह किया कि हाईकोर्ट को हल्द्वानी अथवा रामनगर शिफ्ट करने पर बार एसोसिएशन के जनमत के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए, तांकि जर्नल हाउस का सही निर्णय निकल सके। रावत ने न्यायालय से ये भी पूछा कि इतनी पुलिस क्यों बुलाई गई है ? उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से आर्डर को रिकॉल करने का आग्रह किया तो चीफ ने कहा कि अभी आर्डर पर साइन नहीं किये हैं। अधिवक्ता सय्यद नदीम ‘मून’ ने कहा कि हमने पृथक पहाड़ी राज्य के लिए आंदोलन किया और पहाड़ की जगह मैदानी क्षेत्र में इंस्टीट्यूशन का जाना एक बड़ा दुर्भाग्य है। वरिष्ठ अधिवक्ता और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य डी.के.शर्मा ने कहा कि यू.एस.नगर जिले में 5000 एकड़ जमीन है, जहां सिडकुल बना है और न्यायालय वहां शिफ्ट किया जा सकता है। न्यायालय में इस दौरान वी.सी.की व्यवस्था भी बंद रही। अध्यक्ष रावत ने कहा कि न्यायालय ने उनसे एक जनमत कराकर हाईकोर्ट को शिफ्ट करने का एक सप्ताह में प्रस्ताव मांगा है।