नीरज उत्तराखंडी
उत्तरकाशी के पुरोला मे जखोल सांकरी जल विधुत परियोजना के निर्माण हेतु वन भूमि हस्तांतरण के मामले में ग्रामीणों ने अनापत्ति प्रमाण पत्र पर निगम द्वारा ग्रामीणों के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया है। गांव वालों ने जिलाधिकारी से जांच कर निगम के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
ग्रामीणों ने कहा कि पूरा क्षेत्र वन्य जीव विहार के अंतर्गत होने के कारण सिर्फ यही वन भूमि उनके पास है, जहाँ से ग्रामीण अपने मवेशियों के लिए चारा चुगान की व्यवस्था करते हैैैं।
मोरी ब्लाक के घुया घाटी में सतलुज जल विधुत निगम द्वारा जखोल सांकरी 44मेगावाट की जल विधुत परियोजना का निर्माण किया जा रहा है। निगम ने यहाँ परियोजना हेतु 24.317हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि का चयन किया है। इसमें आसपास के ग्रामीणों की सहमति भी अनिवार्य है लेकिन ग्रामीण इस भूमि का अनापत्ति प्रमाण पत्र देने को राजि नही है क्योंकि ग्रामीणों का कहना है यह उनके मवेशियों के चरान चुगान की पुश्तैनी वन भूमि है।
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को भेजे पत्र में आरोप लगाया कि सतलुज जल विधुत निगम के कुछ कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने गत दिनो जखोल गाँव में सुनकुंडी, सावणी, धारा,पाॅव तल्ला,पाॅव मल्ला एवं जखोल गाँव के ग्रामीणों की बैठक बुलाई। बैठक से पूर्व निगम द्वारा प्रचार, प्रसार किया गया कि ग्रामीणों को बैठक में सिलाई मशीन दी जाएगी। लेकिन सिलाई मशीन तो दूर बैठक में ग्रामीणों को एक रजिस्ट्रर दिया गया एवं अशिक्षित ग्रामीणों को गुमराह कर रजिस्ट्रर पर हस्ताक्षर करवाए गए। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से निगम के कर्मचारियों एवं कार्रवाई करने की मांग की है। पत्र में गुलाब सिंह, राजेंद्र सिंह, सोबन सिंह, प्रेम सिंह, राम शरण,प्रताप सिंह, त्रेपन लाल, दर्शन सिंह, जगमोहन, मनीष, जयराज,जगत सिंह आदि के हस्ताक्षर है। परियोजना के एचओपी जेके महाजन ने बताया कि वे इस बैठक में उपस्थित नही थे। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित वन भूमि में कोई गैर आदिवासी कृषि भूमि तो नही कर रहा है या उसका कब्जा तो नही है इसलिए बैठक बुलाई गई थी। उन्होंने कहा कि यहाँ आदिवासी कोई नही है। फर्जी हस्ताक्षर के मामले में उन्होंने कहा कि यह सब झूठ है।