राज्य निर्माण के बाद बढ़ा उत्तराखंड में दुष्कर्म का ग्राफ
रिपोर्ट- कमल जगाती
नैनीताल। उत्तराखंड निर्माण के बाद से ही महिलाओं के साथ रेप का ग्राफ लगातार बढ़ते जा रहा है। आरटीआई से हुए एक खुलासे में कहा गया है कि, एसिड अटैक की घटनाएं भी रेप की तरह ही बड़ी हैं। सरकार ने इन पीड़ितों को मुआवजा तो जरूर दिया है लेकिन सभी को न्याय मिलना अभी बांकी है। हल्द्वानी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने लोक सूचना अधिकारी को लिखे पत्र में पूछा था कि, उत्तराखंड बनने के बाद कितनी महिलाओं पर एसिड अटैक हुए, कितनों के साथ रेप हुए और सरकार ने इन्हें कितना मुआवजा दिया ?
इसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी एन.एस.नपलच्याल ने 23 नवम्बर को लिखे जवाबी पत्र में बताया कि, वर्ष 2001 में कुल 74 रेप पीड़ित महिलाओं की संख्या होने के बाद अब 2019 तक ये 526 तक पहुंच गई है। इसके अलावा एसिड अटैक की संख्या 2016 तक शून्य रहने के बाद 2017 में 3 2018 में एक और 2019 में फिर से तीन तक पहुंच गई है। सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत मांगे गए जवाब में एसिड अटैक पीड़ितों को सहायता एवं पुनर्वास के लिए
● 2014-15 में डेढ़ लाख,
● 2015-16 में ₹80,000/=
● 2016-17 में ₹1,40,000/=
● 2017-18 में ₹4,90,000/=
● 2018-19 में ₹1,20,000/=
● 2019-20 में ₹6,60,000/=
● 2020-21 में अबतक ₹1,50,000/= की धनराशि मुहैय्या कराई गई है। इसके अलावा इस गंभीर अपराध से पीड़ित महिलाओं को वर्ष
● 2014-15 में ₹16,25,000/=
● 2015-16 में ₹23,15,000/=
● 2016-17 में ₹29,10,000/=
● 2017-18 में ₹93, 65,000/=
● 2018-19 में ₹1,91,50,000/=
● 2019-20 में ₹90,70,000/= और वर्ष 2020-21 में ₹37,45,000/= रुपयों का अनुदान दिया गया है।