भले ही उत्तराखंड में 31 मार्च तक लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है अति आवश्यक सेवाओं के अलावा सभी कुछ बंद है लेकिन कोई भी इस लॉक डाउन को गंभीरता से नहीं ले रहा है तथा राज्य सरकार नियम और कानून का पालन कराने में बिल्कुल भी रुचि नहीं ले रही है।
मनोज नौडियाल
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लॉक डाउन का रुड़की मे कोई असर नही दिख रहा है। यहां सब रिक्शा और जूस की शॉप और ठेली सब खुले है। पूरे एरिया मे भीड़ है। नाई की शॉप भी खुली है। और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन मे कॉल करें तो उनका कहना है हम इसमें कुछ नही कर सकते। 100 नम्बर मे कॉल करें तो उठाते नही हैं।
देहरादून में भी रिस्पना पुल से लेकर सब जगह दर्जनों लोग एक साथ इकट्ठे हैं लेकिन सरकार की अनिच्छा के कारण कोई भी इसका संज्ञान नहीं ले रहा है। न तो पब्लिक ब्लॉक डाउन को गंभीरता से ले रही है और ना ही सरकार के निर्देशों का पालन कर रही है। दूसरी तरफ राज्य सरकार तथा प्रशासन नियमों और कानूनों का कड़ाई से पालन कराने के लिए इच्छुक हैं।
देहरादून हो या फिर पिथौरागढ़ के शरीर सुदूर अंचल, सरकारी सिस्टम अधिकांश जगह केवल कागजों पर नोटिस जारी करके और मीडिया में प्रसारित करके अपनी धरातल की जिम्मेदारी अनदेखी कर रहा है।
यहां तक कि ऋषिकेश के बस स्टेशन पर सैकड़ों की संख्या में दिल्ली आदि राज्यों से आए हुए लोग अपने घरों के लिए बस न मिलने पर फंसे हुए हैं, ना तो इनकी चेकिंग की कोई व्यवस्था है ना ही इनकी मेडिकल जांच की जा रही है, ना ही इन्हें इनके घर तक पहुंचाने की कोई व्यवस्था है।
पिथौरागढ़ के एक गांव पनखोली पलेटा में भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्राम प्रधान नवीन कापरी द्वारा जब प्रशासन को एक व्यक्ति की कोरोना जांच के लिए बार-बार कहा गया तब भी कोई संज्ञान नहीं लिया गया। हेल्पलाइन नंबर देते हुए सरकार ने कहा था कि इन नंबर पर फोन करने से मरीज की जांच करने की व्यवस्था की जाएगी।
इसके अलावा सरकार ने एक और नंबर जारी किया था, जिसमें कहा गया है कि इस व्हाट्सएप नंबर पर किसी भी तरह की सूचना देने पर उसकी जांच करके स्थिति स्पष्ट की जाएगी। किंतु जब एक व्यक्ति ने एक फेसबुक का लिंक भेज कर इस नंबर पर काॅल करके स्थिति पता करनी चाही तो कई बार फेसबुक पर पूछने के बावजूद दून पुलिस का व्हाट्सएप नंबर इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति ने कोई भी रिप्लाई नहीं किया आप इस स्क्रीन शॉट में देख सकते हैं।
हल्द्वानी में भी लॉक डाउन का कोई असर नहीं दिख रहा है। लोग घरों से बेवजह निकलकर लायक डाउन का मजाक बना रहे हैं, जबकि वहां प्रशासन उन्हें जागरूक कर रहा है। देहरादून में भी विभिन्न स्थानों पर सड़कों पर निकले लोग पुलिस को कई तरह के बहाने बना रहे हैं और किसी तरह से झूठ बोलकर कोई न कोई आवश्यक कार्य बता रहे हैं।
जाहिर है कि यह खतरा पूरे समाज पर है। कुछ लोगों की लापरवाही बड़ी तबाही ला सकती है, लिहाजा शासन प्रशासन को सख्ती बरतनी ही होगी।
कोरोना लॉकडाउन की कोटद्वार में जमकर उड़ रहीं धज्जियां
कोटद्वार के आमपडाव, लकडीपडाव, स्टेशन रोड, गोखले मार्ग, पटेल मार्ग , बद्रीनाथ मार्ग , नजीबाबाद रोड, जैसे इलाकों में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन (Lockdown) की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।इन इलाकों में सुबह से ही अजीब सी चहल-पहल है। आमतौर पर लॉकडाउन में सिर्फ जरूरी चीजों की दुकानों खुली रहती हैं, लेकिन इन इलाकों में कई जगहों पर सैलून, पंक्चर बनाने की दुकाने, नर्सरी, पान की दुकानें सुबह से ही खुली हुई हैं और तो और इन इलाकों में सुबह से ही ई- रिक्शे और प्राइवेट कारे चल रही है, जबकि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने रविवार को अपने साफ शब्दों में कहा था कि इन चीजों पर पूरी तरह रोक होगी।
उत्तराखंड में धारा 144 लगी हुई है, लेकिन इसके बावजूद इन इलाकों में कई स्थानों पर समूह में लोग देखे गए। इससे इस महामारी के और अधिक फैलने का खतरा है। लोगों के अंदर या तो जागरूकता की कमी है या फिर वे जानबूझकर नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।वहीं कहीं न कहीं प्रशासन व पुलिस विभाग भी ढिलाई बरत रहा है। इन सभी इलाकों में पुलिस के द्वारा मात्र एक चीता पुलिस ही चल रही है जिस चीता पुलिस पर ही पूरे बाजार का दारोमदार है।