एक्सक्लूसिव रिपोर्ट बागेश्वर – राजकुमार सिंह परिहार
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली प्रदेश की भाजपा सरकार एक साथ कई मोर्चों पर घिरती दिख रही है। भला इससे अछूता बागेश्वर जनपद कैसे रह सकता है जहां पर दोनो विधायक भाजपा, जिला पंचायत अध्यक्ष भाजपा व ब्लॉक प्रमुख भाजपा से हों। बागेश्वर जिला पंचायत में चल रहे विवाद ने एक घण्टे में दो एएमए के तबादले से इसकी प्रमाणिकता पर मोहर लगा दी है। जिससे धरने पर बैठे सदस्यों में गहरा आक्रोश है।
जिला पंचायत बागेश्वर को संयुक्त निदेशक पंचायतीराज के आदेश प्राप्त हुआ कि शासन में सम्बद्ध एएमए अंशिका स्वरूप को कार्यमुक्त कर बागेश्वर भेजा जाता है। उसके इस आदेश के अगले ही दिन यहाँ एएमए के रूप में तैनात कार्याधिकारी डॉ सुनील कुमार को बागेश्वर से रुद्रप्रयाग स्थानांतरित करते हुए अपर मुख्य अधिकारी के अतिरिक्त प्रभार प्रदान किया गया है।
उसके ठीक एक घण्टे बाद दूसरा कार्यालय आदेश प्राप्त होता है जिसमें तेज सिंह अपर मुख्य अधिकारी, जिला पौडी गढ़वाल को बागेश्वर में अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत के पद पर स्थानांतरित किया गया है।
इस पूरे घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए, जिला पंचायत उपाध्यक्ष नवीन परिहार के नेतृत्व में पिछले 50 दिनों से जिला पंचायत परिसर में धरने पर बैठे सदस्यों ने कहा कि प्रदेश में डबल इंजन की सरकार पूरी तरह से विफल होने के बाद भाजपा ने अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए लगातार एएमए परिवर्तन किया है। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि वर्तमान जिला पंचायत बागेश्वर में जितना भ्रष्टाचार हो रहा है। जिसे सरकार के दबाव में छुपाने की नाकाम कोशिशें की जा रही हैं। परन्तु ऐसा हरगिज़ नही होने दिया जायेगा। लेकिन जिला पंचायत में इस तरह से लगातार परिवर्तन से हमारे जनपद का जो विकास ठप हुआ उसकी भरपाई कौन करेगा? उन्होंने कहा जिसका जवाब जनता आने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा को देगी, कहा कि विधायक से लेकर पूरी प्रदेश सरकार व उसमें बैठे लोग नाकारा हैं। कहा कि अब प्रदेश की जनता भाजपा से पूरा हिसाब-किताब सूद व्याज सहित वसूल करेगी।
भारत में भ्रष्टाचार चर्चा और आन्दोलनों का एक प्रमुख विषय रहा है। स्वतंत्रता के एक दशक बाद से ही भारत भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा नजर आने लगा था और उस समय संसद में इस बात पर बहस भी होती थी। सर्वप्रथम 21 दिसम्बर 1963 को भारत में भ्रष्टाचार के खात्मे पर संसद में हुई, बहस में डॉ राममनोहर लोहिया ने जो भाषण दिया था वह आज भी प्रासंगिक है। उस वक्त डॉ लोहिया ने कहा था सिंहासन और व्यापार के बीच संबंध भारत में जितना दूषित, भ्रष्ट और बेईमान हो गया है उतना दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं हुआ है। भ्रष्टाचार से देश की अर्थव्यवस्था और प्रत्येक व्यक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। भारत में राजनीतिक एवं नौकरशाही का भ्रष्टाचार बहुत ही व्यापक है। इसके अलावा न्यायपालिका, मीडिया, सेना, पुलिस आदि में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है।
धरने पर बैठे सदस्यों ने कहा कि कोरोना संक्रमण से लड़ रहे जनपद में भ्रष्टाचार एक अलग दंश के रूप में सामने आया है। बुद्धिजीवी आज इस कुचक्र से निकलने की उम्मीद छोड़ चुके हैं। उनका कहना है कि पूरा सिस्टम सड़ चुका है। इसमें आमूलचूल बदलाव के बिना ऐसी घटनाओं को रोका नहीं जा सकता। एक पूरा दलाल तंत्र सक्रिय है। एक-दूसरे की जरूरत पर आधारित यह व्यवस्था चली आ रही है। इस दुष्चक्र को तोड़े बगैर भ्रष्टाचार पर लगाम संभव नहीं। सरकार के पूर्ण दबाव में जिला प्रशासन कार्य कर रहा है। व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए पंचायतीराज विभाग उत्तराखंड को बड़े बदलाव करने होंगे और ईमानदार लोगों के लिए इसमें जगह बनानी होगी। लेकिन सियासत में उपकृत करने की जो होड़ चल पड़ी है उसमें अपने लोगों को हर जगह सहूलियत देने की वजह से ऐसी चीजें फलती-फूलती हैं।
जिला पंचायत ही नहीं, प्रमुख स्थानों पर ईमानदार और योग्यता के आधार पर लोगों को बैठाना होगा और साथ ही पूरी प्रक्रिया में भी बदलाव करना होगा। इसके बगैर इस व्यवस्था को सुधारा नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सरकार के दबाव के साथ कार्य न करने का परिणाम एक दिन में दो एएमए के स्थानांतरण के रूप में बागेश्वर जनपद में दिखता है। केवल चहेतों को ही विशेष स्थान दिया जा रहा है। पंचायतों में पारदर्शिता पूरी तरह खत्म हो चुकी है। पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार की बाढ़ आई हुई है। जिसके ख़िलाफ़ हमें जनता के बीच एवं न्यायालय की शरण जाने को बाध्य होना पड़ेगा। धरने में गोपा धपोला, वंदना ऐठानी, हरीश ऐठानी, रूपा कोरंगा, रेखा देवी, पूजा आर्या, इंद्रा परिहार, सुरेश खेतवाल मौजूद रहे।
♦️ वर्ष 2008 में कार्यधिकारी के पद पर रह चुके हैं – तेज सिंह
पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राम सिंह कोरंगा के कार्यकाल वर्ष 2008 में कार्यधिकारी के पद पर जिले को अपनी सेवाएँ दे चुके हैं तेज सिंह। अब देखने वाली बात यह है कि वह चार्ज लेने आते भी हैं या पूर्व की एएमए अंशिका स्वरूप की तरह शासन में सम्बद्ध कर दिए जाते हैं। गौरतलब है कि धरने पर बैठे सदस्यों को नए एएमए से बड़ी उम्मीदें हैं, वह कहते हैं कि जल्द उनके द्वारा कोई सकारात्मक पहल आंदोलन समाप्ति के लिए किया जायेगा।