रिपोर्ट/बिजेंद्र राणा
उत्तराखंड में जीडीपी की तर्ज पर ग्रॉस एनवायरमेंट प्रोडक्ट यानी जीईपी का भी आकलन होगा।
उत्तराखंड में राजस्व, नगर निकाय और वन विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज सभी तालाब और अन्य जल स्रोतों को एक साल के भीतर पुनर्जीवित किया जाएगा।
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के उक्त संबोधन के उपरांत वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने यह जानकारी पत्रकारों से साझा की।
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मंत्री ने कहा कि, अब राज्य के सभी सचिव, डीएम और विभागाध्यक्षों को पर्यावरण बजट मिलेगा। यह बजट पर्यावरण संरक्षण के लिए खर्च किया जाएगा।
वन मंत्री ने सचिवालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि, वर्षा जल के संरक्षण के लिए सभी सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज तालाबों, चाल-खाल, नालों और अन्य प्रकार के जल स्रोतों को एक साल के भीतर पुनर्जीवित किया जाएगा। अगर किसी जल स्रोत पर अतिक्रमण है तो उसे हटाकर दोबारा सुव्यवस्थित रूप से स्थापित किया जाएगा।
उत्तराखंड जीईपी अर्थात सकल पर्यावरण उत्पाद आधारित व्यवस्था लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया। प्रदेश उत्तराखंड में जीडीपी की तर्ज पर ग्रॉस एनवायरमेंट प्रोडक्ट यानी जीईपी का भी आकलन होगा।
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पहली बार जीडीपी के साथ जीईपी भी को विकास का आधार बनाया गया है।सरकारी गैर सरकारी विभाग एवं संस्थाएं प्रतिवर्ष क्लाइमेट बजट की व्यवस्था करेंगे, जिसे राज्य में पर्यावरण सेवाओं को बढ़ाने में खर्च किया जाएगा ।
राजस्व अभिलेख में दर्ज राज्य में स्थित तालाब सूख चुके जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया जाएगा। लोग पहले से ही जल जंगल जमीन का महत्व समझते हैं ।कोरोना के विपत्ति काल में लोगों को प्रकृति का महत्व पता चला है।
राज्य सरकार ने पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण को सुरक्षित करने का यह निर्णय लिया है।अब राज्य योजना में जीडीपी के साथ जीईपी को भी आधार बनाया जायेगा ।
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बजट में एक निश्चित धनराशि पर्यावरण को संरक्षण करने पर खर्च की जाएगी।प्रत्येक वर्ष पर्यावरण परिवर्तन एवं संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को पर्यावरण दिवस 5 जून के अवसर पर पुरस्कृत भी किया जाएगा।