भार्गव चंदोला पर मुकदमा दर्ज होने को लेकर सैकड़ों लोगों ने चंदोला के मुकदमे की तुलना वरिष्ठ नौकरशाह ओमप्रकाश के मामले को रफा-दफा करने से जोड़ते हुए पुलिस और सरकार की जमकर आलोचना की है।
इसके साथ ही खबर छापने वाले अखबार और अधकचरे अंदाज में खबर के कारण पत्रकार की भी जमकर निंदा हो रही है।
गौरतलब है कि भार्गव चंदोला विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों में सक्रिय रहे हैं और समाज सेवा के साथ-साथ वह एक जाना पहचाना नाम हैं।
पत्रकार ने अखबार में खबर लिखी है कि,- “एक व्यक्ति बंजारावाला में कार से राशन वितरण को पहुंचा था और लोगों के विरोध करने पर वह मौके से फरार हो गया।” जबकि वहां पर दर्जनों समाजसेवी भी उपस्थित थे और ऐसा हो ही नहीं सकता कि जो लोग राशन देने के लिए आए हो राशन लेने का विरोध करें।
सिर्फ पुलिस ने जैसा बता दिया वैसे खबर लिख मारने के कारण अखबार और पत्रकार की भी थू थू हो रही है।
इसकी चौतरफा निंदा हो रही है।
वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद ज़ख्मोला ने गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए लिखा है कि भार्गव ने गरीबों को राशन बाटी और ओमप्रकाश ने विधायक अमनमणि को बद्रीनाथ का पास भार्गव ने तो जुर्म किया तो थाने में मुकदमा और ओमप्रकाश ने की चूक यह कैसा इंसाफ !
गौरतलब है कि भार्गव चंदोला को रायपुर पुलिस ने लॉक डाउन के दौरान रायपुर क्षेत्र में राशन लेने और वितरण करने के लिए पास बनाया हुआ था यह पास 22 अप्रैल से 3 मई तक के लिए वैलिड था और यह घटना 30 अप्रैल की है। 30 तारीख को जैसे ही वह राशन बांटने के लिए गए उन्हें पुलिस ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया।
भूखे प्यासे गरीब लोगों की मदद सरकार कितना कर पा रही है यह सर्व विदित है लेकिन समाजसेवियों को इस तरह से हतोत्साहित किए जाने पर लोगों में सरकार के प्रति काफी गुस्सा दिखाई दे रहा है।
पटेल नगर कोतवाली निरीक्षक सूर्य भूषण सिंह नेगी ने इनके खिलाफ आपदा प्रबंधन और धारा 188 के तहत मुकदमा किया हुआ है।
सोशल एक्टिविस्ट मुजीब नैथानी ने सरकारी सिस्टम पर व्यंग्य कसते हुए लिखा है कि “गरीबों को राशन देने क्यों चले गए, इससे अच्छा तो बद्रीनाथ घूमने का पास ही बनवा लेते, कम से कम f.i.r. करने वाले तुम्हें सलाम ठोक रहे होते।”
वही प्रदीप नेगी लिखते हैं कि भार्गव चंदोला ने क्या जुर्म किया वह गरीबों को और जरूरतमंदों को राशन ही तो बांट रहे थे !
एक और बुद्धिजीवी दीपक डोभाल लिखते हैं कि “अमनमणि त्रिपाठी मामले में शर्म से सरकार के लाल लाल गालों पर पुच्ची करने का मन करता है।
दीपक डोभाल ने भार्गव चंदोला पर दर्ज मुकदमे को वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि वह कोरोनावायरस काल मे जरूरतमंदों को राशन देने गए थे अराजकता फैलाने नहीं। कुछ दिन पहले ही उन्होंने मुख्यमंत्री राहत कोष में यथासंभव दान भी दिया था। ऐसे लोग हमें जनता के बीच चाहिए जेलों या कोर्ट कचहरी यों के कटघरों में नहीं।”
वरिष्ठ पत्रकार तथा सोशल एक्टिविस्ट उमेश कुमार लिखते हैं कि यार भार्गव भाई ! आप भी पागल हो यार क्यों मारे मारे फिरते हो ! सड़कों पर भूखों को खाना बांटते ! सही किया सरकार ने एफ आई आर दर्ज की उनकी सरकार को परवाह नहीं और आप खाना खिला रहे हो।
उमेश कुमार ने भार्गव चंदोला का हौसला बढ़ाते हुए कहा है कि “एक नहीं दस मुकदमे करो जमानत मैं करूंगा डरना मत ऐसी तैसी इनकी।”
समाजसेवी सुशील बहुगुणा ने मुख्यमंत्री मुख्य सचिव गृह सचिव पुलिस महानिदेशक से लेकर जिला प्रशासन को भी पत्र लिखकर कहा है कि ऐसा लग रहा है कि जैसे बदले की भावना से काम किया जा रहा हो।
सुशील बहुगुणा ने लिखा है कि भार्गव चंदोला पर मुकदमा दर्ज करने से पुलिस विभाग के ऊपर आम जन का विश्वास कम हो जाएगा और ऐसी किसी भी दमनात्मक कार्यवाही को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा”
इमरान राणा ने तो न्यूज़पेपर के पत्रकारों को ही जमकर लताड़ा है। रूपेश कुमार सिंह ने त्रिवेंद्र सरकार की जमकर आलोचना करते हुए कहा है कि पुलिस को यह निर्भीक और तर्कसंगत समाजसेवी किसी आतंकवादी से कम नहीं लगता है।
उदय वीर कुमार लिखते हैं कि गरीब और भूखे मजदूरों को भोजन और राशन देने का जो इनाम उत्तराखंड पुलिस के द्वारा दिया गया है, वैसा किसी अन्य को शायद ही मिला हो।
जोशीमठ के सोशल एक्टिविस्ट अतुल सती ने भी सरकार के इस कदम को लेकर जमकर आलोचना की है और अपनी फेसबुक पर एक लंबा-चौड़ा लेख लिखकर सरकार को जमकर खरी खरी सुनाई है साथ ही उन्होंने अपमानजनक खबर लिखने वाले अखबार को भी माफी मांगने की मांग की है।
महिंद्र गोला लिखते हैं कि गरीबों को रोटी पहुंचाना हुआ अपराध और अखबार वालों की भाषा तो देखिए एक व्यक्ति कार लेकर राशन देने पहुंचा था और लोगों ने विरोध कर दिया और फरार हो गया, वाह भाई वाह! राशन ना हुआ जहर हो गया।
भार्गव चंदोला के लिए मयंक बडोला, समाजसेवी त्रिलोचन भट्ट, अखिलेश डिमरी, संजय भट्ट, अपूर्व स्पार्क, सुशील सैनी जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित सैकड़ों लोगों ने अपना समर्थन व्यक्त किया है। और सोशल मीडिया पर भी जमकर सरकार की आलोचना की है गौरतलब है कि गरीबों और जरूरतमंदों को राशन देने में असफल रहने पर सरकार पर यह भी आरोप पुख्ता हो रहे हैं कि सरकार सिर्फ अपना राजनीतिक फायदा देखने के लिए यह नहीं चाहती कि उनके बजाय कोई और गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।