कुमाऊं ब्यूरो रिपोर्ट – विशाल सक्सेना
देहरादून। प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों को गोल्डन कार्ड के जरिए स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसका मुख्य कारण अस्पतालों को समय पर भुगतान न होना बताया जा रहा है, जिसके चलते कई अस्पतालों ने गोल्डन कार्ड धारकों का इलाज करना बंद कर दिया है।
मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सचिवालय में गोल्डन कार्ड योजना की समीक्षा बैठक की। बैठक में उन्होंने विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि योजना के सभी लाभार्थियों को इसका पूरा लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने इस संबंध में ठोस कार्य योजना तैयार करने और हितधारकों से सुझाव लेकर प्रस्ताव बनाकर कैबिनेट में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बैठक में बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में राजकीय एवं स्वायत निकायों के कर्मचारियों व पेंशनर्स द्वारा कुल 150 करोड़ रुपये का अंशदान जमा किया गया, जबकि योजना के तहत उपचार पर 335 करोड़ रुपये खर्च हो गए। इस कारण अस्पतालों को समय पर भुगतान नहीं हो पा रहा है और योजना के संचालन में बाधा आ रही है।
बैठक में योजना को कारगर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव रखे गए, जिनमें शामिल हैं:
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मास्टर पैकेज की व्यवस्था
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अंशदान में वृद्धि
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अस्पतालों द्वारा अनावश्यक लाभ की प्रवृत्ति पर अंकुश
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सेवा प्रदाताओं को प्रोत्साहन
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औषधि केंद्रो से सीधा दवा वितरण
इसके अतिरिक्त मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग में तकनीकी पदों पर शीघ्र भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अधिकांश अस्पतालों में चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराए जा चुके हैं, अब उनके संचालन और रख-रखाव के लिए लैब तकनीशियन, ओटी तकनीशियन, डायलिसिस तकनीशियन, ईसीजी तकनीशियन, एक्स-रे तकनीशियन और ऑप्टोमेट्रिस्ट जैसे पदों की भर्ती आवश्यक है।
डॉ. रावत ने आईपीएचएस मानकों के अनुरूप इन पदों को शीघ्र सृजित कर नियमित भर्ती प्रक्रिया शुरू करने को कहा, ताकि प्रदेशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें।