भाजपा आगामी 2022 के चुनाव में अपनी सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के पूर्व सीएम हरीश रावत को मान रही है । क्योंकि हरीश रावत 2022 चुनाव में कांग्रेस के संभावित सीएम के चेहरे के रूप में देखे जा रहे हैं।
राजनितिक गलियारों में चर्चा काफी तेज़ है कि,कांग्रेस पार्टी हरीश रावत को ही आगे करके चुनाव लड़ने वाली हैं ।
अब भाजपा पार्टी पिछले कुछ समय से जितने भी फेरबदल कर रही है, उनसे तो यही लगता हैं कि भाजपा हरदा की घेराबंदी करने की तैयारी कर रही है।
वैसे देखा जाए तो कांग्रेस अभी खुद ही अपने घर के मसले नहीं सुलझा पा रही है, पार्टी नेता प्रतिपक्ष का चयन तक भी नहीं कर पाई है। पिछले डेढ़ सप्ताह से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिल्ली में डेरा देने के बाद वापस लौट चुके है लेकिन कांग्रेस के हाईकमान नेता अभी भी नेता प्रतिपक्ष वह पार्टी अध्यक्ष का चयन नहीं कर पाई है।
लेकिन फिर भी भाजपा जितनी भी रणनीतियां तैयार कर रही है वह सब सीएम का संभावित चेहरा हरदा को देखकर ही कर रही है।
भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन किया, मुख्यमंत्री के पद पर राजपूत और युवा नेता पुष्कर सिंह धामी को लाने के पीछे हरीश रावत को चुनौती देना ही कारण माना जा रहा है और मोदी सरकार ने डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को हटाकर अजय भट्ट को राजयमंत्री बनाया यह भी आगामी चुनाव का ही हिस्सा है।
कांग्रेस से जैसे ही हरीश रावत को आगे करके चुनाव लड़ने की बात चली तो अजय भट्ट को राज्य मंत्री बनाने का निर्णय हुआ क्योंकि अजय भट्ट ने 2019 के लोकसभा चुनाव में हरीश रावत को नैनीताल उधम सिंह नगर लोक सभा सीट से हराया था।
पिछले कुछ सालों में अगर देखा जाए तो भाजपा गढ़वाल में भारी रही है। तब मुख्यमंत्री भी गढ़वाल से थे तो अधिकतर मंत्री भी गढ़वाल पौड़ी से रहे हैं।साथ ही 2018 में राज्यसभा सीट पर भी अनिल बलूनी थे ।
मार्च में तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया, उसके साथ भी गढ़वाल मंडल में ही भाजपा भारी रही क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी मदन कौशिक को दी गई।
लेकिन अब भाजपा हरीश रावत के गढ़ में मजबूत स्तिथि में हैं ,मुख्यमंत्री धामी भी कुमाऊं से हैं साथ ही राज्यमंत्री भी कुमाऊं से ही हैं । इससे साफ होता हैं कि भाजपा ने हरीश रावत की घेराबंदी उसी के घर में करने की सियासी रणनीति पूरी तरह बनाई हुई हैं ।