देहरादून। महामारी कोरोना संक्रमणकाल में भी सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के विभाग ने बेहद शर्मनाक तस्वीर पेश की है। राज्य में जनता कफ्र्यूू के साथ ही लॉकडाउन में सीएम त्रिवेंद्र का आबकारी महकमा भी गहरी नींद में सो रहा है। आज तक शराब की एक बी बोतल आबकारी महकमे के बहादुर अफसरों ने नहीं पकड़ी, जबकि सर्वविदित है राज्य में अघोषित तौर से बंद चल रहे शराब ठेके शराब तस्करी के मुख्य अड्डे बने और अफसरों से लेकर मातहत इनके बगलगीर बने। प्रदेश के अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, पौड़ी में बारों से शराब तस्करी प्रशासन व पुलिस ने पकड़ी, लेकिन आबकारी महकमे के अफसरों के कानों पर जूं नहीं रेंगी। सोशल डिस्टेसिंग में भी ठेके कराने पर आमादा आबकारी महकमा अपनी असल कर्तव्य परायणता के समय गहरी नींद में है।
जिला प्रशासन का पत्र को लेकर भी बड़ी चर्चा
इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि जिस आबकारी महकमे को तत्परता के साथ डयूटी करते हुए अवैध शराब तस्करी व हर प्रकार से लॉकडाउन मे मुस्तैद रहना था। उसे एडीएम हरिदार ने पत्र लिखकर डयूटी पर पंहुचने का अनुरोध किया है, लेकिन खास बात ये है कि जो पत्र जारी किया गया है, उसमें प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी का कोई जिक्र नहीं है, जबकि प्रभारी के तौर पर प्रभाशंकर मिश्र के पास ही जिले का चार्ज है, लेकिन वो रहते दून में ही हैं।
खेल ठेकों का असल था
जानकार बताते है कि जो शराब ठेके थे, असल में शराब सप्लाई इन्हीं ठेकों से हुई है। दरअसल जिन ठेकों ने ठेका रिन्यू नहीं कराया था और शराब का सारा कोटा उठा लिया था। उनके लिए तो ये गोल्डन चांस था, जो न तो कभी आना था न कभी आता। करनपुर में पकड़ी गई बड़ी शराब तस्करी में भी सर्वे चौक स्थिति शराब ठेके का ही खुलासा हुआ था। विभागीय अधिकारियों की कृपा से ही ये सारे काम हुए हैं।
विवादित पनियाला रेड में कोई एक्शन नहीं न कोरोनटाइन हुए अफसर
हरिदार जिले में कोरोना के लिहाज से अति संवेदनशील पनियाला इलाके में दून जिले से इंस्पेक्टर व सिपाहियों को बुलाकर रेड आयोजित कराई गई थी। खास बात ये कि रेड के बाद अफसरों के परिवार में लोगों की तबियत भी बिगड़ी जानकारी सबसे छिपाई गई। सीएमओ ने अखबारों का संज्ञान लेते हुए कोरोनटाइन कराने के आदेश दिए। इसके बाद फजीहत के बाद विभागीय अधिकारी ने भी पत्र आबकारी मुख्यालय से लिखते हुए मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होने के आदेश दिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जानकार बताते हैं कि दून से हरिदार पहुंचे अधिकारियों के बाबत विभाग से कोई अनुमति नहीं थी।
अब मैनेजमेंट गुरु सक्रिय
आबकारी महकमे में सलाहकार राज में पावर फुल एक अफसर जिन्हे मैनेजमेंट गुरु भी माना जाता है। इस समय इनके पास शराब ठेकेदार मधुमक्खी की तरह भिन भिना रहे है। प्रयास ये किया जा रहा है कि कैसे भी ठेकेदारों को अधिक से अधिक लाभ और सरकार को नुकसान हो तो होता रहे। इस दिशा में प्रयास अंतिम दौर में है, जिसे फाइनल किया जा रहा है।