जीरो टोलरेंस की उड़ी धज्जियां
उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार इन दिनों सरकारी वाहनों के दुरुपयोग को लेकर भी चर्चा में है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के परिजनों की सेवा में घूमते सरकारी वाहन इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात हरेेक पर लागू नहीं होती।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के भाई वीरेंद्र रावत द्वारा सरकारी कार्यक्रमों में शिरकत करने के बाद नया मामला मुख्यमंत्री के भतीजे संजय रावत की सेवा में लग्जरी UK 07 TB 0 74 7 नंबर की इन्नोवा गाड़ी चल रही है।
पर्वतजन की जानकारी के अनुसार इस वाहन का इंश्योरेंस भी 29 सितंबर 2017 तक का ही था इसका मतलब है कि आज की तारीख में इस वाहन की इंश्योरेंस का नवीनीकरण नहीं कराया गया है यदि ऐसा है तो यह भी मुख्यमंत्री के भतीजे तथा किसी दुर्घटना की अवस्था में दूसरे व्यक्ति के लिए भी काफी घातक हो सकता है। अमरजीत ट्रेवल्स के मालिक का कहना है कि उन्हें इसका संज्ञान नहीं है और वह कागज देख कर ही कुछ बता पाएंगे।
उत्तराखंड सरकार द्वारा अमरजीत ट्रैवल्स के साथ अनुबंध के कारण यह वाहन सरकारी काम के लिए लिया गया था। इस वाहन पर नियम विरुद्ध उत्तराखंड सरकार के साथ-साथ गवर्नमेंट ऑफ UK भी लिखा गया है। यह वाहन सचिवालय से लेकर विधानसभा और उत्तराखंड के तमाम सरकारी विभागों के बाहर आसानी से खड़ा दिख जाता है।
इस वाहन पर नियमानुसार टैक्सी होने के कारण पीली पट्टी पर काले अक्षरों में लिखा होना चाहिए था। किंतु सत्ता की हनक के सामने पीली पट्टी को सफेद किया गया है। आरटीओ देहरादून सुधांशु गर्ग का कहना है कि इस तरह से नंबर प्लेट बदलना मोटरयान अधिनियम के सेक्शन 177 अपराध है। गर्ग कहते हैं कि ऐसा अधिकतर अधिकारीगण करते हैं क्योंकि उन्हें पीली नंबर प्लेट वाली गाड़ी में चलना अच्छा नहीं लगता।
अब संजय रावत कोई सामान्य व्यक्ति तो नहीं जो टैक्सी नंबर वाली नंबर प्लेट के वाहन से चलते जाहिर है। मुख्यमंत्री का भतीजा होने पर नियम कायदे इतने तो टूटने ही थे।
अमरजीत ट्रेवल्स के मालिक अमरजीत का कहना है कि उनकी यह गाड़ी टैक्सी में ही रजिस्टर्ड है और कायदे से इस पर पीली पट्टी ही होनी चाहिए लेकिन अधिकारी पीली पट्टी की गाड़ी में चलना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। इसलिए वह पीली पट्टी हटवाकर अवैध रूप से सफेद नेम प्लेट लगवा देते हैं।
मार्च फाइनल के चक्कर में दिन रात आम वाहन का चालान करने वाली ‘उत्तराखंड पुलिस आपका मित्र’ को इस वाहन पर लगी असंवैधानिक नंबर प्लेट से कोई गुरेज नहीं है। बहरहाल मुख्यमंत्री के परिजनों की सेवा में सरकारी वाहन लगने से जीरो टॉलरेंस की बात बेमानी साबित हो गई है।
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री के परिजनों की सेवा में लगाया यह अकेला वाहन नहीं है। तकरीबन एक दर्जन और वाहनों के परिजनों की सेवा में लगाए जाने की भी खबरें हैं। यदि उत्तराखंड में जीरो टोलरेंस की सरकार मे यही चलना है तो ऐसे टोलरेंस पर लोग सवाल तो खड़े करेंगे ही।