प्रीतम सिंह खुद ले रहे आरक्षण के मजे और उत्तराखंडियत कांग्रेसियत का कर रहे अपमान: किशोर उपाध्याय
किशोर ने लिखी प्रीतम को चिट्ठी, बयान पर जताई नाराजगी
देहरादून। सब कुछ ठीक है की बात करने वाली उत्तराखंड कांग्रेस के अंदर सियासी घमासान मचा हुआ है। इस बार यह घमासान मचा है कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह द्वारा दिए गए बयान को लेकर। किशोर ने प्रीतम को चिठी लिखकर कड़ी नाराजगी जाहिर की है।
कुछ इस तरह लिखी है किशोर ने चिठ्ठी….
परम आदरणीय प्रीतम सिंह जी,
आज हिंदुस्तान अखबार में वनाधिकार आंदोलन पर आपका वक्तव्य देखा, धन्यवाद।
आप कांग्रेस इतिहास के अध्येता हैं, ऐसा मेरा मानना है। कांग्रेस ए०ओ० ह्यूम जी से लेकर और अब राहुल गांधी जी तक सदैव समाज के सबसे अंतिम स्थान पर स्थित भारत के नागरिकों के साथ खड़ी रही है। उसमें आदिवासी, दलित, वनवासी, अल्पसंख्यक से लेकर गरीब मजदूर, महिलाओं के हितों का सरंक्षण सेवा भाव से करती आ रही है।
मैं तो आपसे समर्थन की और अधिक आशा इसलिये रखता था कि चकराता और खस पट्टी में कोई अन्तर नहीं है। आप को जो सुविधायें/आरक्षण मिल रहा है, वह खस पट्टी और प्रदेश के अन्य अरण्यजनों/गिरिजनों को क्यों नहीं मिल रहा…?
मैं विनम्रतापूर्वक आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जी ने पूरे देश के प्रदेश अध्यक्ष और AICC पदाधिकारियों के साथ बैठक कर यह निर्देश दिये थे कि 2006 के FRA (वनाधिकार अधिनियम) जिसमें पुश्तैनी और परम्परागत अधिकारों और हक-हकूकों की रक्षा की गयी है, आदिवासियों, वनवासियों, गिरिजनों और अरण्यजनों को दिलवाने की मुहीम के भागीदार बनें। इस बैठक का एजेण्डा कांग्रेस कार्यालय में सुरक्षित है, उचित समझें तो उसका भी अवलोकन करने की कृपा करें।
आपकी अध्यक्षता में प्रदेश कांग्रेस समिति की जो बैठक हुई थी, उस बैठक में वनाधिकारों का ही एकमात्र प्रस्ताव पारित हुआ था। मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूँ कि उत्तराखंड को बचाने और बसाने की इस गिलहरी जैसी कोशिश की अनदेखी न करें।
सादर सहित,
(किशोर उपाध्याय)
आपके OSD को इस अपेक्षा के साथ Whatsapp कर रहा हूँ कि मेरे पत्र को आपके संज्ञान में लायेंगे।