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संविदा वाले बर्खास्त, स्थाई वालों को माफी !! एक जैसी खता, फैसले अलग-अलग ! :

टिहरी सीएमओ के आदेश को किया अनदेखा
टिहरी जिले एक तरफ स्वास्थ्य विभाग मे ट्रांसफर आदेश न मानने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चंबा की संविदा महिला कर्मचारी एस एम अंजली सती को बर्खास्त कर दिया। वहीं स्थाई कर्मचारियों द्वारा ट्रांसफर आदेश न मानने पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाही नही की है।
अंजलि का निलंबन इस आधार पर किया गया कि अंजली सती को चंबा से कोरोना ड्यूटी पर नरेंद्रनगर भेजा गया था, परंतु महिला द्वारा अपने सात साल के छोटे बच्चे के साथ में होने के कारण नरेंद्रनगर ना भेजने के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी से कहा था लेकिन मुख्य चिकित्साधिकारी ने आदेश की अवहेलना पर उक्त महिला की सेवा समाप्त करने का आदेश दे दिया था।
 वहीं दूसरी तरफ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चंबा के स्थाई कर्मचारी विनय कुमार और विकास सोवंसी पद नाम उपचारिका पर नरम रुख अपनाया।
कार्यालय मुख्य चिकित्साधिकारी टिहरी गढ़वाल के पत्र संख्या – ई-3/उप०/2020-21 में आदेश पारित किया है कि “विनय कुमार और विकास सोवंसी को 15-15 दिन के लिए राजकीय नर्सिंग कॉलेज सुर्सिंगधार में फेसिलेटी मैनेजर के रूप में तैनात किया जाता है।”
लेकिन स्थाई कर्मचारियों विनय कुमार और विकास सोवंसी  पर इस आदेश को कोई असर नहीं पड़ता, क्योंकि उन्होंने आदेश को दर किनार करते हुए कोविड़ केयर सेंटर में अपनी तैनाती नहीं दी।
साथ ही पत्र में स्पष्ट लिखा है कि कोविड-19 में किसी भी प्रकार की लापरवाही के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 एवं अन्य धाराओं के अंतर्गत कार्यवाही अमल में लाई जा सकती है।
 क्या अब सीएमओ के अंजली सती पर कार्रवाई की तरह इन पर भी वही कार्यवाही होती है, या गाज सिर्फ संविदा कर्मचारियों पर ही गिरती रहेगी !
पर्वतजन ने जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुमन आर्य से बात की तो उनका कहना था कि “संविदा कर्मियों को ड्यूटी ज्वाइन न करने के चलते जिलाधिकारी के आदेश पर हटाया गया था जबकि अस्थाई कर्मचारियों द्वारा ज्वाइन न करने के संबंध में उनको कोई जानकारी नहीं है, वह इसका पता करेंगी कि जब उनका ट्रांसफर हो गया था तो उन्होंने ज्वाइन क्यों नहीं किया! हो सकता है कि अधीनस्थ अधिकारियों को उनकी जरूरत रही हो।”
कोरोना कॉल में कर्मचारियों की सभी जगह कमी है और लगभग सभी की कुछ न कुछ व्यक्तिगत परेशानियां है, किंतु कार्यवाही के स्तर पर दोहरा रवैया सवाल खड़े करता है।
बहरहाल टिहरी में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि संविदा कर्मचारी ने ज्वाइन नहीं किया तो उन्हें बर्खास्त कर दिया, जबकि अस्थाई कर्मचारी ने ज्वाइन नहीं किया तो उनके लिए कुछ ना कुछ तरीका निकाल लिया गया।
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