क्राइम स्टोरी संपादक राजेश शर्मा को उठा ले गई पुलिस। भ्रष्टाचार के खिलाफ लेखन से भयभीत सरकार !
भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबे समय से कलम चलाते आ रहे सांध्य दैनिक क्राइम स्टोरी के संपादक राजेश शर्मा को देर रात पुलिस उठा ले गई। आधी रात में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ा कर जिस तरह से पुलिस क्राइम स्टोरी के संपादक को घसीट कर ले गई,वह चौथे स्तंभ के खिलाफ सरकार की बौखलाहट का घटिया उदाहरण है। उत्तराखंड में लगभग सारा मीडिया प्रलोभन, सरकारी विज्ञापनों के लालच अथवा डर के कारण खामोश है। जो भी सरकार के भ्रष्टाचार पर रिपोर्टिंग कर रहा है, सरकार पहले उसके विज्ञापन बंद कर रही है और जब सभी जगह से विज्ञापन बंद करने के बाद भी किसी पत्रकार की लेखनी नहीं झुक रही तो पुलिस उस पत्रकार के खिलाफ दमनात्मक कार्यवाही कर रही है।
उत्तराखंड में अभिव्यक्ति की आजादी का ये सबसे क्रूर काल चल रहा है। यदि पत्रकारों के खिलाफ इस तरह का दमन का विरोध नहीं किया गया तो उत्तराखंड में फिर चाटुकार ही बचेंगे पत्रकार नहीं। देहरादून में पुलिस काफी लंबे समय से राजेश शर्मा के खिलाफ कार्यवाही करने की योजना बना रही थी और कल रात 11:30 बजे उन्हें घर से उठा लिया गया। उत्तराखंड में भी मीडिया ने अपने साथी पत्रकारों के खिलाफ हो रहे दमन का विरोध करना बंद कर दिया है।
यदि जनता ने भी पत्रकारों के खिलाफ चल रहे दमन चक्र का विरोध नहीं किया तो फिर जनता की आवाज उठाने वाला उत्तराखंड में कोई नहीं बचेगा। पिछले लंबे समय से पत्रकारों के साथ साथ यदि समाज का कोई जागरूक व्यक्ति भी सरकार की आलोचना कर रहा है तो पुलिस उसे भी या तो थाने बुलवाकर आतंकित कर रही है, माफीनामा लिखवा रही है अथवा सीधे गिरफ्तार कर रही है। यह उत्तराखंड की जनता द्वारा भाजपा को प्रचंड बहुमत देने का नतीजा है जो अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने के काम आ रहा है।