पूर्व मुख्यमंत्रियों से वसूली के मामले में दो हफ्ते बाद की डेट
रिपोर्ट- कमल जगाती
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास किराया मामले में जवाब दाखिल किया। सरकार ने दायर अवमानना याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मामले की जानकारी देते हुए इसे अलग (डिफर) करने की प्रार्थना की है।
न्यायमूर्ति शरद शर्मा की एकलपीठ में पूर्व मुख्यमंत्रियों से आवास भत्ता और अन्य देयकों की वसूली न होने सम्बन्धी अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। देहरादून की रूरल लिटिगेशन एंड इंटाइटलमेंट केंद्र (रुलक) ने मुख्य सचिव ओमप्रकाश, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, विजय बहुगुणा और भुवन चंद खंडूरी के खिलाफ उच्च न्यायालय में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की।
अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने न्यायालय को बताया कि, मुख्य सचिव द्वारा दायर जबाव में कहा गया है कि, सरकार ने उच्च न्यायालय के 9 जून 2020 को पारित आदेश के खिलाफ 8 सितंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है। उक्त आदेश में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास व अन्य भत्तों में हुए खर्च को माफ करने सम्बन्धी अध्यादेश को रद्द कर दिया था। आज पूर्व मुख्यमंत्री के अधिवक्ताओं ने सुनवाई के दौरान मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की। जिस पर न्यायालय ने 2 सप्ताह बाद की तिथि तय कर दी।
रुलक संस्था के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता के मुताबिक अवमानना याचिका में मुख्य सचिव की ओर से 10 सितंबर को इस सम्बंध में जबाव दाखिल कर दिया गया है। जिसमें कहा गया है कि, पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, भुवन चन्द्र खंडूरी व विजय बहुगुणा ने आवास किराया जमा कर दिया है। स्व.नारायण दत्त तिवारी की पत्नी को भी भुगतान जमा करने का नोटिस दिया गया है, जो अभी तक जमा नहीं हुआ है।
डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का नाम इसमें नहीं दिया गया है। जबकि पानी के बिल राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के नाम 11 लाख, विजय बहुगुणा के नाम 4 लाख, भुवन चंद खंडूरी के नाम 3.89लाख, डॉ.निशंक के नाम 10.60लाख और स्व.नारायण दत्त तिवारी के नाम 21.75 लाख लंबित है। आरोप लगाया कि, बिजली के बिलों का जिक्र भी इस जबाव में नहीं किया गया है।