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केंद्र और राज्य सरकार की निजीकरण नीति के खिलाफ कर्मचारियों का धरना-प्रदर्शन। दिया अल्टीमेटम

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November 26, 2020
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केंद्र और राज्य सरकार की निजीकरण नीति के खिलाफ कर्मचारियों का धरना-प्रदर्शन। दिया अल्टीमेटम

रिपोर्ट- अमित मिश्रा
केन्द्र और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने विरोध प्रदर्शन किया। बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एन्ड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) के आह्वान पर आज देश के सभी प्रांतों के लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के केन्द्र और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में जोरदार राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया गया।

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कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर चीला विद्युत गृह के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने गेट मीटिंग कर विरोध प्रदर्शन किया। बता दें कि, कोरोना महामारी के बीच केन्द्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें बिजली वितरण का निजीकरण करने पर आमादा हैं। जिसके विरोध में देश भर के बिजली कर्मियों ने आज प्रदर्शन कर आक्रोश व्यक्त किया। देशभर में लाखों बिजली कर्मियों ने विरोध सभाएं व प्रदर्शन कर निजीकरण के उद्देश्य से लाये गए इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉकुमेंट को निरस्त करने की मॉंग की और चेतावनी दी कि यदि निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह से वापस न की गई तो राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जाएगी।

बिजली कर्मियों ने उपभोक्ताओं, खासकर किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं से निजीकरण विरोधी आन्दोलन में सहयोग करने की अपील की और कहा कि निजीकरण के बाद सबसे अधिक नुक्सान आम उपभोक्ताओं का ही होने जा रहा है। उन्होंने बताया कि, इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉकुमेंट के अनुसार लागत से कम मूल्य पर किसी को भी बिजली नहीं दी जाएगी और सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी। वर्तमान में बिजली की लागत लगभग 07.90 रुपये प्रति यूनिट है और कंपनी एक्ट के अनुसार निजी कंपनियों को कम से कम 16 मुनाफा लेने का अधिकार होगा।

जिसका अर्थ यह हुआ कि 10 रु प्रति यूनिट से कम दाम पर किसी भी उपभोक्ता को बिजली नहीं मिलेगी। वक्ताओं ने बताया कि, स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉकुमेंट के अनुसार निजी कंपनियों को डिस्कॉम की परिसंपत्तियां कौड़ियों के दाम सौंपी जानी है। इतना ही नहीं सरकार डिस्कॉम की सभी देनदारियों व घाटे को खुद अपने ऊपर ले लेगी और निजी कंपनियों को क्लीन बैलेन्स शीट कर डिस्कॉम दी जाएगी। सरकार के निजीकरण के दस्तावेज के अनुसार सरकार बाजार से महँगी बिजली खरीद कर निजी कंपनियों को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराएगी, जिससे उन्हें घाटा न हो।

नई नीति के अनुसार डिस्कॉम के 100 शेयर बेंचे जाने है और सरकार के निजीकरण के बाद कर्मचारियों के प्रति कोई दायित्व नहीं रहेगा। कर्मचारियों को निजी क्षेत्र के रहमो-करम पर छोड़ दिया जाएगा। कर्मचारियों की अन्य प्रमुख मांग यह भी है कि, बिजली कंपनियों का एकीकरण कर केरल के केएसईबी लिमिटेड की तरह सभी प्रांतों में एसईबी लिमिटेड का पुनर्गठन किया जाये। जिसमे उत्पादन और वितरण एक साथ हो। निजीकरण और फ्रेंचाइजी की सभी प्रक्रिया निरस्त की जाये और चल रहे निजीकरण व फ्रेंचाइजी को रद्द किया जाये। सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाए तथा तेलंगाना सरकार की तरह बिजली सेक्टर में कार्यरत सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाये।

विरोध प्रदर्शन में उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के घटक संगठन-पावर इंजिनियर एसोसिएशन, विद्युत डिप्लोमा इंजिनियर एसोसिएशन, हाईड्रो इलैक्ट्रिक एम्पलाईज यूनियन, ऊर्जा कामगार संगठन, ऊर्जा आरक्षित एसोसिएशन, उत्तरांचल बिजली कर्मचारी संघ, ऊर्जा पाॅवर लेखा एसोसिएशन आदि संगठनों के निम्न सदस्यों ने प्रतिभाग किया।
पूरन सिंह राणा, प्रवीण चैरसिया, मो० अनीस, अरविन्द बहुगुणा, सूर्य प्रकाश पुरोहित, विकास उपाध्याय, ऋषि कांत, विजय भदूला, विक्रम सिंह, अमित कुमार, विवेक कुमार, जिया उर रहमान, देवी चरण, मुकेश सैनी, पवन कुमार, नितिन कुमार, मनोज कुमार, रविन्द्र सैनी, किशन लाल अग्रवाल, मंगेश शर्मा, सोनी पाल, इमरान, दीपक गिरि, सहराज अली, अंकुर गोयल, रूद्रा देवी, नरी देवी, जमुना देवी, रानी शर्मा, मधुबाला, जगदीश उपाध्याय आदि।

कर्मचारियों की मुख्य मांगे निम्नवत है-

● इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेन्ट) बिल-2020 एवं विद्युत वितरण क्षेत्र के निजीकरण हेतु जारी किये गये स्टैण्डर्ड बिडिंग डाक्यूमेंट तत्काल वापस लिया जाए।
● 22/12/2017 को हुए त्रिपक्षीयस समझौते को तत्काल लागू किया जाये तथा समयबद्ध वेतनमान/एसीपी की पूर्ववर्ती व्यवस्था 9-14-19 लागू की जाए।
● तीनों उर्जा निगमो में उपनल के माध्यम से कार्योजित संविदा कार्मिकों को मा ओद्योगिक न्यायाधिकरण एवं मा उच्च दिया जाए।
● दिनांक 30/09/2005 तक सेवा में आये कार्मिकों को जीपीएफ/ पेंशन से आच्छादित किया जाए।

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