धनंजय ढौंडियाल
देहरादून में दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर केके टम्टा को भी डेंगू हो गया है। उन्हें दून अस्पताल के वीआईपी वार्ड में भर्ती किया गया है। उन में डेंगू के लक्षण मिले हैं तथा उनका ब्लड सैंपल जांच के लिए भेज दिया गया है।
नही थम रहा डेंगू का प्रकोप
डेंगू मरीजों का इलाज करते करते डेंगू से प्रभावित कहीं नर्स से और डेंगू के वरिष्ठ जानकार डॉक्टर भी डेंगू की चपेट में हैं। दून अस्पताल के डॉक्टर केके टम्टा का भी सैंपल जांच के लिए भेजा गया है।
राजधानी देहरादून में डीएम की अध्यक्षता में लगातार हो रही है बैठक में तैयारी सिर्फ फाइलों तक रह गई सिमटकर रह गयी है।
2 दिन पहले डॉ अश्विनी डोभाल की भी डेंगू के कारण मौत हो गई है। हल्द्वानी में भी 4 डॉक्टर तथा नर्स डेंगू की चपेट में हैं।
डेंगू होने वाले मरीजों की तादाद 635 तक पहुंच गई है। गौरतलब है कि बाहर के शहरों के 25 डेंगू मरीज भी देहरादून में इलाज करा रहे हैं।
मरीजों के बाद डॉक्टर से डेंगू की चपेट में आने इस बात का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि डेंगू का प्रकोप कितना फैल चुका है। डेंगू से निपटने के लिए प्रशासनिक स्तर पर जितनी सक्रियता होनी चाहिए उसका अभाव है तथा जागरूकता का अभाव है।
राजधानी देहरादून में बढते डेंगू के मामलों को लेकर जहां स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने हाल में बैठक कर आला अधिकारियों को डेंगू से निपटने के सख्त निर्देश दिए, बावजूद उसके डेंगू का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है।
अगर बात दून मेडिकल कॉलेज की करें तो दून मेडिकल कॉलेज में अब तक 47 डेंगू रोगियों का इलाज कर दिया गया है, साथ ही अस्पताल परिसर में 55 नए वार्ड भी डेंगू मरीजों के लिए उपलब्ध कराए गए हैं।
डेंगू से अब तक राज्य में 5 मरीजों की अस्पताल में मौत हो चुकी है। एक तरफ प्रदेश में डेंगू का कहर तो दूसरी तरफ संविदा कर्मचारी भी अपने नियमितीकरण और पिछले 6 माह से वेतन न मिलने को लेकर दून अस्पताल में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।
हालांकि दून मेडिकल प्रशासन ने सभी कर्मचारियों को नोटिस जारी करते हुए कहा कर्मचारी जल्द ही काम पर नहीं लौटते तो सभी कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही की जा सकती है।
आपको बता दें कि दून मेडिकल कॉलेज में पैथोलॉजी लैब, ब्लड बैंक, पैरामेडिकल स्टॉप धरने पर है, वहीं दून मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल आशुतोष राणा की मानें तो कर्मचारियों के जाने से अस्पताल में आने वाले मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। जिसके लिए कि उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था भी की है।
हालांकि दूसरी तरफ राज्य में अब तक 635 मामले डेंगू के सामने आ चुके हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिलों के सभी सीएमओ को डेंगू को लेकर तमाम स्वास्थ्य सुविधाओं को सुचारू करने के लिए निर्देश जारी कर चुके हैं।