अनुज नेगी
देहरादून।
उत्तराखंड में सियासी उठापटक के बीच आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। रावत ने मंगलवार को उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात की। इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उधर, चर्चा है कि बुधवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें उत्तराखंड के नए सीएम के नाम पर मंथन होगा।
अब सवाल यह उठने लगे है कि आखिर त्रिवेंद्र सरकार के चार साल पूर्ण होने से पहले से उनको क्यों हटाया गया है।अब आपको उत्तराखंड की एक विधवा अध्यापिका उत्तरा बहुगुणा के बारे में बताते है,जिसकी बदुआ ने आज त्रिवेंद्र रावत को डूबा दिया है।
आपको बता दें कि यह विधवा अध्यापिका मुख्यमंत्री के जनता दरबार मे अपनी फरियाद लेकर गई थी,वो भी अपने ट्रांसफर को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से मिली थीं और मुख्यमंत्री ने बड़े लेवल का अहंकार दिखाते हुए ना सिर्फ़ इनके ट्रांसफ़र की अर्ज़ी ठुकराई बल्कि वाद विवाद करने का आरोप लगाकर पहले नौकरी से सस्पेंड कर दिया और फिर बाद में पुलिस से अरेस्ट करवाने का फ़रमान दे दिया।
पुरुष प्रधान समाज में एक स्त्री का संघर्ष ताउम्र चलता रहता है । इस पर से अगर सत्ता प्रधान ही इस प्रकार का व्यवहार करने बैठ जाए तो फिर स्त्री कहाँ जाए न्याय पाने को । बहुगुणा मैडम की हाय और बदुआ में इतनी ताकत रही कि, उम्मीद से बहुत पहले ही त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी चली गई । राजनीति में अहंकार के लिए कोई स्थान नहीं होता और सार्वजनिक तौर पर इसका प्रदर्शन तो और भी बेहूदा कृत्य है।