रिपोर्ट -बिजेंद्र राणा
उत्तराखंड में संविदा कर्मचारियों के विषय में व्यापक नीति न बनने से राज्य संविदा कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटका हैl
आपको बता दें कि, उत्तराखंड राज्य अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष पीसी गोरखा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हिमांचल की तर्ज पर 5 साल की सेवा कर चुके संविदा कर्मचारियों को नियमित किए जाने की बात कही हैl
आयोग के उपाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को पत्र में लिखा है कि, प्रदेश में विभिन्न विभागों में संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को समान पद पर समान वेतन का लाभ न मिलने से इनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।
मूल निवासी संघ के पूर्व महासचिव मनोज कुमार की ओर से भी इस विषय में बताया गया कि, 10 से 15 साल से संविदा पर कार्य कर रहे कर्मचारियों को बहुत कम मानदेय मिल रहा है।
कुल मिलाकर प्रदेश में अभी भी उपनल कर्मचारी हो या संविदा कर्मचारी ठोस नीति(नियमितीकरण या समान कार्य के लिए समान वेतन) की नीति ना बनने से कर्मचारी वर्ग का एक बड़ा भाग आर्थिक तंगी से जूझ रहा है।