उत्तराखंड के जो लोग प्रणव सिंह चैंपियन द्वारा उत्तराखंड राज्य का अपमान करने के बाद उनके निष्कासन या फिर किसी तरह की सजा की उम्मीद लगाए बैठे हैं, उनके लिए एक बुरी खबर है।
भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय सूत्रों के मुताबिक ना तो चैंपियन कुंवर प्रणव सिंह को पार्टी से निष्कासित किया जाएगा और ना ही उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही होगी।
इसकी पुष्टि इस बात से भी हो जाती है कि उत्तराखंड में पुलिस चैंपियन के खिलाफ दी गई तहरीर पर 5 दिन बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं कर सकी है।
पुलिस के उच्चाधिकारियों के अनुसार अब जहां बहाना निकाला जा रहा है कि हाल ही में वायरल हुआ वीडियो दिल्ली के उत्तराखंड निवास का है, इसलिए एफआईआर भी वहीं दर्ज होगी, जबकि पुलिस को भी भली-भांति पता है कि यदि कार्यवाही करनी होती तो जीरो एफआईआर भी आराम से दर्ज की जा सकती थी।
भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय सूत्रों की ओर से राज्य में प्रणव सिंह के खिलाफ उबले गुस्से को शांत करने के लिए पहले केंद्रीय नेता श्याम जाजू के द्वारा चैंपियन के निष्कासन की बात कही गई थी लेकिन जब इस मामले की पोल मीडिया में खुली तो श्याम जाजू अपनी बात से पलट गए और फिर सभी केंद्रीय और राज्य स्तरीय नेता कहने लगे कि चैंपियन को 20 तारीख तक का समय दिया गया है। उसके बाद जो भी जवाब आएगा उसके अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
गौरतलब है कि चैंपियन को निष्कासित करना भाजपा के घाटे का सौदा लग रहा है। कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को निष्कासित किया जाता है तो उनकी विधायकी पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा और वह किसी भी अन्य पार्टी में जाने को स्वतंत्र हो जाएंगे। निष्कासित होने के बाद अन्य पार्टी में जाने पर उन पर दल बदल कानून लागू नहीं होगा।
दूसरा बड़ा कारण यह है कि कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन जिस गुर्जर समुदाय से आते हैं, उसका देश भर में बहुत बड़ा वोट बैंक है। भाजपा गुज्जर समुदाय को नाराज नहीं करना चाहती।
तीसरा बड़ा कारण यह है कि खानपुर सहित आसपास की दो तीन विधानसभा सीटों पर भी गुज्जर समुदाय का काफी बड़ा वोट बैंक है और कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन खानपुर विधानसभा से निर्दलीय भी चुनाव लड़ें तो जीतने की हैसियत रखते हैं। ऐसे में भाजपा अपनी एक सीट नहीं खोना चाहती।
भाजपा और पुलिस का एकमात्र उद्देश्य फिलहाल इस बात पर है कि किसी तरह से यह मामला मीडिया से गायब होकर जनता के जेहन से धुंधला हो जाए और चैंपियन को किसी तरह से क्लीनचिट मिल जाए।
पुलिस भी यही तर्क दे रही है कि एक तो यह मामला उत्तराखंड का नहीं है और दूसरा कमरे में अपने निजी हथियार पकड़ना कोई अपराध नहीं है।
अहम् सवाल यह है कि अपमान उत्तराखंड राज्य का किया गया है। सोशल मीडिया पोस्ट को उत्तराखंड मे देखा गया है। जिस कमरे मे यह सब हुआ है, वह उत्तराखंड सरकार की संपत्ति है। यदि पुलिस चाहे तो इतना आधार पर्याप्त है। नही चाहे तो “मित्र पुलिस” किस बात की फिर !
पुलिस का तर्क है कि चैंपियन का गाली देने से लेकर हथियार लहराने तक का कोई भी कृत्य अपराध की श्रेणी में नहीं आता।
उत्तरकाशी जिले के पुरोला मे एक युवक सोशल मीडिया में मुख्यमंत्री पर अभद्र टिप्पणी करने के एवज में भले ही हाथों-हाथ मुकदमा दर्ज करा के गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन यह मामला सत्ताधारी पार्टी भाजपा विधायक कुंवर प्रणव सिंह का है इसलिए भले ही वह पूरे उत्तराखंड राज्य को और यहां के निवासियों को मां बहन की गाली दे दे फिर भी वह अपराध नहीं बनता !
चैंपियन को अभयदान मिलने की संभावना इसलिए भी बनती है क्योंकि एक महीने पहले कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय ने नगर निगम के कर्मचारी की बैट से पिटाई कर दी थी। इस पर स्वयं प्रधानमंत्री ने कहा था कि “बदसलूकी माफ नहीं की जाएगी, चाहे कोई कितना ही बड़ा नेता क्यों ना हो,” लेकिन एक महीने बाद भी इस मामले में भी कोई कार्यवाही नहीं की गई।
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