सेवा बैंक के सेवादार संदीप गुप्ता कहते हैं कि आखिर वह दिन आ ही गया, जब विद्यालय के सभी बच्चों को नए स्वेटर दिए गए। उस स्कूली बच्चे सातवें आसमान पर थे। मैं कोने का सहारा लेकर खुली आंखों से सपना सच होते देख रहा था। अब मेरा जुनून सिर उठाने लगा था। अब हमने एक मानव श्रृंखला के माध्यम से सहयोग लेना शुरू किया। अब हमारे अभियान का दूसरा चरण रानीपोखरी का प्राथमिक सरकारी विद्यालय था। कुछ नए साथियों के साथ कार्यक्रम में स्वेटर का सहयोग किया।
श्री गुप्ता बताते हैं कि बच्चे स्वेटर पहनकर तैयार हो रहे थे तो एक बालिका जो कक्षा पांच की छात्रा थी, ने मुझसे कहा कि मैं इस स्वेटर में कैसी लग रही हूं। उसकी यह बात सुनकर मेरी आंखें भर आई, मानो जैसे उस बालिका को कोई अमूल्य वस्तु मिल गई हों। मेरे मन में यह सवाल उठने लगा कि हमारे परिवार के बच्चे सब साधनों का उपभोग करने के पश्चात भी ऐसे खुश नहीं होते, पर जो आर्थिक रूप से पिछड़ गए हैं, उनके लिए यह कितनी बड़ी खुशी है। हम अपनी छोटी-छोटी कटौती कर उनके चेहरों पर खुशी ला सकते हैं।
वर्ष 2016 को हमारे सामूहिक प्रयास से सेवा बैंक का गठन हुआ और सेवा कार्येां का संचालन अब इस माध्यम से होने लगा। मैं इनके सेवादार के रूप में कार्य मनोभाव से करने लगा। अब हमने व्यवस्था पक्ष की चिंता करते हुए यह तय किया कि हम किसी स्वेटर सहयोग कार्य में किसी राजनैतिक दल को शामिल नहीं करेंगे। हमारा उनसे कोई द्वेष नहीं है। उनके साथ रहने के कार्य की दिशा बदल जाती है। साथ ही विद्यालय में सहयोगी महानुभाव का न परिचय, न भाषण, न धन्यवाद, केवल भारत माता की जय का उद्घोष ही सारे विषय का मूल सेवासार प्रकट करेगा। हमने मानव श्रृंखला, जो सहयोगी कोई एक स्वेटर के पैसे देगा, कोई दो का, कोई तीन, छोटे-छोटे सहयेाग से बड़े मन का भाव बनता है और अहंकार का नाश होते हुए, मैं नहीं हम का भाव निर्माण होता है।
हमारा यह अभियान अभी तक 25 सरकारी विद्यालय में जैसे- सुंदरवाला, देहरादून, रानीपोखरी, इठारना मदासी गांव, फनवैली, लालतप्पड़, डोईवाला, कुठाल गेट, सकलाना पट्टी, टिहरी गढ़वाल, धौलाधार टिहरी गढ़वाल, गैरसैंण विकासखंड चमोली, थलीसैंण, पौड़ी गढ़वाल, सिंगाली हिल, बीजापुर डेम, राजपुर, मोहकमपुर, चकराता लवाड़ी, लच्छीवाला।
जिस प्रकार एक जलधार पर्वत के बड़े हिस्से पर गिर-गिर उसे शालीग्राम जैसा पवित्र बना देती है, उसी प्रकार हमारे समाज को पवित्र बनाए रखे, ऐसा हमारा प्रयास है।
सेवादार संदीप गुप्ता कहते हैं इस हमारे सेवा यात्रा की बुनियाद में मुख्य भूमिका निभाने वाले मैं न सज्जन को कभी नहीं भूल सकता, जो हर वर्ष अपने पूर्वजों की याद में गरीबों को कंबल बांटते थे। उन्हें जब मैंने सरकारी प्राइमरी स्कूल के बच्चों का जिक्र किया, जिनके पास दिसंबर की ठंड में भी स्वेटर नहीं थी, तो वह मेरे आग्रह को मान गए और उन बच्चों को स्वेटर देने के लिए लगने वाले पैसों का इंतजाम करने की बात कही।