कुमाऊं के मुक्तेश्वर निवासी गौरव सेब की फसल से कर रहे हैं लाखों की कमाई
2015 में सरगाखेत निवासी गौरव शर्मा ने मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर सुकून की तलाश में अपने गांव लौटे। पहले पारंपरिक खेती में हाथ आजमाया। बात नहीं बनी। 2017 में बागवानी का रुख किया। अमेरिकन तकनीक रूट स्टॉक विधि से तैयार अमेरिकी रेड फ्यूजी, रेड चीफ, डे बर्न जैसी बौनी प्रजाति के एक हजार पौधे उच्च घनत्व (हाई डेंसिटी फार्मिंग) विधि से एक एकड़ में लगाए। तीन साल बाद आज वह 20 लाख तक की आमदनी कर रहे हैं।
गौरव ने सेब के पौधे हिमाचल प्रदेश के शिमला व बिलासपुर से मंगाए। उच्च घनत्व की सघन बागवानी में एक एकड़ में एक हजार पौधे लगाए। हालांकि पहले पारंपरिक विधि से मात्र दो से ढाई सौ पौधे ही लगाए जाते थे। नई विधि से तैयार एक पेड़ सीजन में औसत 20 किलो फल दे रहा है। मौजूदा समय में सौ रुपये प्रति किलो कीमत है। एक पेड़ से करीब दो हजार रुपये तक की आय। इस अनुपात से एक हजार पेड़ से सालाना करीब 20 लाख की कमाई हो रही है।
गौरव ने शुरुआत में अमेरिकन सेब की 12 प्रजातियों के पौधे लगाए। इनमें से बस तीन रेड फ्यूजी, रेड चीफ, डे बर्न को यहां की आबोहवा भाई। ऐसे में उन्होंने दोबारा पौधे मंगाकर रोपे। दूसरे साल ही फल लग गया। हालांकि देसी सेब के तैयार होने में पांच से छह साल लगता है। गौरव बताते हैं कि तीसरे साल से प्रति पेड़ 15 से 20 किलो फल मिलने लगा है। इस बार सौ पेटी सेब दिल्ली, एनसीआर, मुंबई समेत अन्य शहरों में भेजा है।