हाल के दिनों में सत्ता के गलियारों में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा कई दिनों तक गर्म रही। राजनेताओं की दिल्ली दौड़ के बीच राजनीतिक पारा चरम पर था। सत्ता परिवर्तन की जोर आजमाइश के पीछे एक सांसद का हाथ होने की बातें भी सामने आईं। हालांकि, भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार ने इन अटकलों को खारिज कर दिया था।
अब गैरसैण में विधानसभा सत्र में सदन में जो गूंज सुनाई दी, उसने न सिर्फ अटकलों को हकीकत बताया, बल्कि यह सोचने पर भी विवश कर दिया कि नेतृत्व परिवर्तन की खिचड़ी पकाई तो जा रही थी। यह हांडी किसने चढ़ाई, इसका खुलासा नहीं हो पाया है।
लेकिन, खानपुर विधायक उमेश कुमार ने 500 करोड़ रुपये से पुष्कर सिंह धामी की सरकार को गिराने, उन्हें मुख्य्मंत्री पद से हटाने के गंभीर आरोप जरूर जड़ दिए। उन्होंने सदन के साथ ही पत्रकार वार्ता में भी खुलकर गुप्ता बंधु का नाम लिया।
उन्होंने कहा कि देहरादून में नामी बिल्डर सतेंदर साहनी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने में भी गुप्ता बंधु का हाथ रहा है। साथ ही कहा कि जो गुप्ता बंधु दक्षिण अफ्रीका की राजनीती में भ्रष्टाचार का भूचाल लेकर आए, उन्हें उत्तरखंड में शरण देकर वाई और जेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई।
गैरसैण के भराड़ीसैण स्थित विधानसभा भवन में मानसून सत्र के दूसरे दिन निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने नियम 58 के तहत भ्रष्टाचार के मुद्दों पर चर्चा की।
उन्होंने प्रदेश सरकारों में राज्य गठन के समय वर्ष 2000 से शुरुआत करते हुए विभिन्न घोटालों का जिक्र किया और फिर अचानक गुप्ता बंधु का नाम लेकर सबको चौंका दिया।
उन्होंने 24 मई 2024 को पैसफिक गोल्फ एस्टेट स्थित फ्लैट से कूदकर जान देने वाले नामी बिल्डर सतेंदर साहनी का नाम लेते हुए भी गुप्ता बंधु को इसकी वजह बताया।
हालांकि, आत्महत्या के इसी मामले में बिल्डर साहनी के सुसाइड नोट के आधार पर गुप्ता बंधु में से एक अजय गुप्ता और उनके बहनोई अनिल गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस मामले में कुछ समय बाद ही उन्हें जमानत भी मिल गई।
खैर, 500 करोड़ रुपये के प्रकरण में वापस आते हुए बताते हैं कि निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने सत्र के बाद पत्रकार वार्ता भी की। उन्होंने कहा कि गुप्ता बंधु के भ्रष्टाचार के कारण जब उनके करीबी जैकब जुमा को वर्ष 2018 में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति पद से हटा दिया गया था, तब गुप्ता बंधु (अतुल, राजेश और अजय गुप्ता) वहां से फरार हो गए थे।
उस समय उत्तराखंड की तत्कालीन सरकार ने गुप्ता बंधु को न सिर्फ पनाह दी, बल्कि जेड श्रेणी की सुरक्षा भी प्रदान कर दी। हालांकि, उत्तराखंड की सरकार में उनका होल्ड वर्ष 2016 से था। तब उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई थी।
विधायक उमेश कुमार ने कहा कि गुप्ता बंधु के साथ उत्तराखंड की तत्कालीन सरकार ने तब सांठ-गांठ बढ़ाई, जब उन्हें पकड़ने के लिए इंटरपोल ने रेड कॉर्नर जैसा अति संवेदनशील नोटिस जारी कर रखा था।
उमेश कुमार ने यह भी कहा कि गुप्ता बंधु के साथ किन राजनेताओं के संबंध हैं, इसकी ईडी और सीबीआई से जांच कराई जनि चाहिए।
इसी मांग के अनुरूप बिल्डर साहनी आत्महत्या के मामले में पुलिस के पास ऐसे साक्ष्य हाथ लगे हैं, जो इस ओर इशारा करते हैं कि हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के बहाने दून में काला धन खपाने की योजना थी।
बाबा साहनी को इसी तरह के ट्रांजेक्शन पर एतराज था। जब बात नहीं बनी तो उन पर करीब 1000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को अन्य माध्यम से पूरा करने या कंपनी छोड़ने का ऐसा दबाव बढ़ा कि, जिसे झेलने की जगह उन्हें मौत आसान रास्ता नजर आई।
महाराष्ट्र से हाल में आया शिव सेना नेता निरुपम का वीडियो भी गंभीर
हाल के दिनों में महाराष्ट्र के शिव सेना नेता संजय निरुपम का समाचार एजेंसी एएनआई को दिया गया वीडियो बयान भी चर्चा में है। जिसमें वह आरोप लगा रहे हैं कि शिव सेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने दिल्ली में गुप्ता बंधु (अजय गुप्ता) से गोपनीय मुलाकात की है।
वीडियो के माध्यम से उन्होंने इस मुलाकात की मंशा पर कई सवाल उठाए हैं। जिसमें उन्होंने कहा कि क्या वह चुनाव (महाराष्ट्र में साल के अंत में विस चुनाव होने हैं) के लिए चंदा मांगने गए थे। या इस मुलाकात के पीछे कई और खतरनाक खेल छिपे हैं।
इसी वीडियो में शिव सेना नेता निरुपम ने देहरादून में बिल्डर साहनी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने, उनकी कंपनी को टेकओवर करने जैसे गंभीर आरोप चर्चित अजय गुप्ता पर लगाते हुए उद्धव ठाकरे की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं।
यह भी जानिए गुप्ता बंधु के बारे में, कैसे सहारनपुर से जाकर बने दक्षिण अफ्रीका के ‘किंग’
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले गुप्ता बंधु (Gupta Brothers) दक्षिण अफ्रीका में बहुत बड़े नाम बन गए थे। हालांकि, वहां भ्रष्टाचार उजागर होने और दुनियाभर में तहलका मचने के बाद उन्हें संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से दो गुप्ता बंधु (अतुल और राजेश) को गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि अजय गुप्ता बच निकलने में सफल रहे।
एक समय था कि दक्षिण अफ्रीका में गुप्ता ब्रदर्स की तूती बोलती थी। उस समय दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रहे जैकब जुमा (Jacob Juma) से गुप्ता ब्रदर्स की करीबी और इनके गठजोड़ (Nexus) के चर्चे खूब मशहूर हुए।
वर्ष 1990 में गुप्ता ब्रदर्स यानी तीनों गुप्ता भाई अतुल, राजेश और अजय गुप्ता दक्षिण अफ्रीका पहुंचे। इन लोगों ने जूतों और कंप्यूटर का छोटा-मोटा कारोबार शुरू किया। धीरे-धीरे इनका धंधा चल निकला। हाथ में पैसे आए तो गुप्ता ब्रदर्स ने पांव पसारने शुरू किए।
जल्द ही इन्होने खनन, इंजीनियरिंग, मीडिया और कई अन्य कारोबारों में भी हिस्सेदार खरीदी और दक्षिण अफ्रीका में प्रभावशाली शक्ति बन गए। आरोप है कि गुप्ता ब्रदर्स ने तत्कालीन राष्ट्रपति जैकब जुमा से अपने संबंधों के आधार पर दक्षिण अफ्रीका में जमकर धांधली और घोटाले किए।
इतना ही नहीं, इन लोगों ने सरकार से लेकर कंपनियों तक में अपने लोग सेट किए और जिसे जहां से चाहा वहां से हटवा भी दिया। आइए बताते हैं कि गुप्ता ब्रदर्स और जैकब जुबा के इस गठजोड़ ने दक्षिण अफ्रीका में किस तरह का घोटाला किया।
दक्षिण अफ्रीका की कंपनियों से लेकर राजनीति तक में गुप्ता ब्रदर्स ने जमकर हस्तक्षेप किया। आरोप है कि गुप्ता ब्रदर्स ने अच्छा काम करने वाले मंत्रियों, अधिकारियों को हटवा दिया और अपने लोगों को सरकारी और अर्ध सरकारी कंपनियों में पद दिलवा दिया। बाद में गुप्ता ब्रदर्स इन्हीं लोगों की मदद से घोटालों को अंजाम दिया।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपित के पद पर साल 2009 से 2018 तक जैकब जुमा ही थे। जैकब जुमा की पत्नी बांगॉ न्गेमा-जुमा गुप्ता परिवार के लिए काम करती थीं, जबकि उनकी बेटी दुदुज़िले गुप्ता ब्रदर्स की कंपनी सारा कंप्यूटर्स में डायरेक्टर थीं।
इसके अलावा बेटा दुदुज़ेन भी गुप्ता ब्रदर्स की कुछ कंपनियों में डॉयरेक्टर था। दक्षिण अफ्रीका और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब गुप्ता ब्रदर्स और जैकब जुमा के कनेक्शन की पोल खुलने लगी तो गुप्ता फैमिली चुपके से दक्षिण अफ्रीका से फरार हो गई।
हिंसक प्रदर्शनों के बाद हटाए गए थे जैकब
साल 2018 में दक्षिण अफ्रीका में हुए व्यापक विरोध-प्रदर्शनों के कारण अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (एएनसी) ने जैकब जुमा को राष्ट्रपति पद से हटाते हुए सिरिल रामफोसा को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया था।
कई गवाहों ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति के रूप में जैकब जुमा के नौ साल के कार्यकाल में हुए बड़े घोटालों और कैबिनेट मंत्रियों की नियुक्तियों में गुप्ता बंधु की भूमिका होने की गवाही दी।
टैक्स चोरी को खत्म करने वाले संगठन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) वेन डुवेनहेज ने कहा कि उनकी जांच से पता चला है कि देश से भागने से पहले गुप्ता बंधु ने लगभग 15 अरब रैंड की अवैध कमाई की थी।
गुप्ता ब्रदर्स ने आईटी, मीडिया और खनन कंपनियों को शामिल करके अपने कारोबार का विस्तार किया, जिनमें से अधिकतर या तो अब बिक चुकी हैं या फिर बंद हो गई। बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) का नाम भी इस घोटाले में सामने आया था।
ऐसी सूचना थी कि बैंक ने ऐसे समय में गुप्ता बंधुओं के लिए खाता खोलकर उनकी सहायता की थी, जब सभी दक्षिण अफ्रीकी बैंकों ने परिवार के साथ लेन-देन बंद कर दिया था। बैंक ऑफ बड़ौदा ने बाद में संचालन में वैश्विक कटौती का हवाला देते हुए अपनी दक्षिण अफ्रीकी शाखाएं बंद कर दी थीं।
अरबों रैंड घोटाले के बाद दुबई भाग गए गुप्ता ब्रदर्स
गुप्ता बंधुओं पर आरोप है कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल आर्थिक लाभ हासिल करने और शीर्ष पदों पर नियुक्तियों को प्रभावित करने के लिए किया।
हालांकि, गुप्ता बंधु ने हमेशा इन आरोपों का खंडन किया है। अधिकारियों ने कहा कि वर्ष 2018 में दक्षिण अफ्रीका में सरकार से संबद्ध संस्थानों में अरबों रैंड (दक्षिण अफ्रीकी मुद्रा) का घोटाला करने के बाद गुप्ता परिवार दुबई चला गया था। पद से हटने के बाद जैकब जुमा के भी दुर्दिन शुरू हो गए थे।
वर्ष 2021 में अदालत की अवमानना के मामले में जैकब जुमा को 15 महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी। दरअसल, जैकब जुमा ने जांच आयोग की सुनवाई का बहिष्कार किया था और आयोग के सामने पेश होने से इनकार कर दिया था। जैकब जुमा ने कहा था कि वह आयोग के सामने पेश होने के बजाय जेल जाना पसंद करेंगे।