कमल जगाती, नैनीताल
चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे पहाड़ों के लिए उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय से एक राहत भरी खबर आई है। न्यायालय ने रियायती फीस का बॉन्ड भरकर एकलपीठ से राहत लेने वाले चिकित्सकों को दुर्गम क्षेत्रों में ड्यूटी जॉइन करने अथवा फीस का मार्जिन हिस्सा और 18 प्रतिशत से ब्याज भरने के आदेश दे दिए हैं।
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राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में विशेष याचिका दायर कर एकलपीठ के आदेश को चुनौती दी । सरकार ने एकलपीठ के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें प्रशिक्षित चिकित्सकों ने बांड भरकर सरकारी योजना का फायदा तो लिया, लेकिन उत्तराखण्ड के दुर्गम क्षेत्रों में सेवा देने जाते समय एकलपीठ से राहत ले ली थी।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने आज स्पेशल अपील को स्वीकार करते हुए, उन चिकित्सकों को ड्यूटी जॉइन अथवा 18 प्रतिशत के ब्याज के साथ मूल फीस जमा करने को कहा जिन्होंने काम फीस दी और सेवा देते समय सरकार पर धोखे से बांड भराने की बात कही थी।
सरकार के चीफ स्टैंडिंग काउंसिल(सी.एस.सी.)परेश त्रिपाठी ने बताया की सरकार ने चिकित्सकों के पक्ष, के खिलाफ तर्क देते हुए कहा कि उन्होंने बांड के बिन्दु प्रोस्पेक्टस और ब्रोशर में दिए थे जिसपर उन्होंने हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने रियायती फीस का फॉर्म भरकर शर्त मानने से बचना चाहा। खण्डपीठ के आदेश के बाद अब इन चिकित्सकों को छह सप्ताह में जॉइनिंग लैटर लेकर सेवा देनी होगी या पूरी बकाया फीस और उसपर अट्ठारह(18%)प्रतिशत की दर से ब्याज देना होगा।