कमल जगाती, नैनीताल
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है कि क्यों न आपके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाय ! मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में हुई।
बाईट :विनोद कांडपाल, अधिवक्ता याचिकाकर्ता
मामले के अनुसार उत्तराखंड सरकार ने 14 अक्टूबर 2015 को शासनादेश जारी कर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों की फीस 80 हजार से बढ़ाकर 2.15 लाख कर दी थी। जिसे आयुर्वेदिक कॉलेजों से बी.ए.एम.एस.कर रहे छात्रों ने न्यायालय में चुनौती दी।
न्यायालय की एकलपीठ ने 9 जुलाई 2018 को उक्त शासनादेश को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ बताते हुए उसे निरस्त कर दिया और मेडिकल कॉलेजों से बड़ी हुई फीस जो छात्रों से ली गई थी उसे वापस करने के आदेश दिए थे। एकलपीठ के इस आदेश को आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों की एसोसिएशन ने खण्डपीठ में चुनौती दी। जिसे खण्डपीठ ने खारिज करते हुए एकलपीठ के आदेश को सही ठहराया। किंतु लंबे समय बाद भी आयुर्वेदिक कॉलेजों ने यह फीस वापस नहीं की। जिसके खिलाफ कॉलेज के छात्रा मनीष कुमार व अन्य ने अवमानना याचिका दायर की।