देहरादून /नैनीताल : माननीय उच्व न्यायालय नैनीताल के विद्वान न्यायमूर्ति श्री सुधांशु धुलिया की एकल पीठ ने सुभारती की याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि सुभारती 25 करोड़ 2 सप्ताह में जमा करे तभी आगे उनकी याचिका पर सुनवाई हो सकती है जिसे सुभारती ने माननीय चीफ जस्टिस उत्तराखंड की डबल बैंच में चुनौती दी।
माननीय उच्च न्यायलय नैनीताल की डबल बैंच ने अपने ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए लिखा कि राज्य सरकार ने बताया कि सुभारती सम्पति का मालिक नही है और जमीन/सम्पति को लेकर कई विवाद लंबित है व सुभारती ने जो फ्रॉड किया है वह गंभीर है जिसे MCI ने भी स्वीकार किया है कि सुभारती द्वारा फर्जीवाड़ा किया गया है।
ऐसे में माननीय सिंगल बेंच का निर्णय सही पाते हुए सुभारती तत्काल 25 करोड़ जमा करे। व सुभारती की अपील माननीय डबल बेंच ने डिसमिस कर दी।
सुभारती यदि 25 करोड़ 2 दिन में नही जमा करेगा तो सुभारती को 97 करोड़ रुपये पूरे एक साथ भुगतान करने होंगे नही तो सुभारती की सारी संपत्ति नीलाम की जाएगी और 97 करोड़ रुपये देहरादून की विवादित सम्पति से तो मिलने से रहे।
तब सुभारती के संचालक अतुल भटनागर की मेरठ सहित अन्य संपत्तियों की नीलामी की जाएगी तभी 97 करोड़ वसूल हो पाएंगे।
हांलांकि इसके बाद भी सुभारती की परेशानी कम नही होगी क्योंकि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार सुभारती ने बिना काटे अभी तक 2 लाख प्रति छात्र सिक्योरिटी वापस नही की है तथा 300 छात्रों से वसूली 3 अरब फीस भी वापिस नही की है साथ ही जिन छात्रों से 5 साल का ठेका किया था उनसे भी सुभारती एडवांस लगभग 2 अरब वसूल चुका है और उन सबके 3 साल बर्बाद हो गए है और वे सब मिलकर माननीय सुप्रीम कोर्ट में 50-50 लाख कॉम्पेनशेषन की याचिका दायर कर रहे है।
यानी सुभारती को अपनीं मेरठ व देहरादून झाझरा की समस्त सम्पति बेचनी होगी (कोटडा संतौर नंदा की चौकी की संपत्ति तो विवादित है जो सील हो सकती है) और जो फीस छात्रो से ली है वापस करनी होगी अन्यथा सरकार नीलाम कर देगी।
इतना सब फर्जीवाड़ा होने के बाद भी उत्तराखंड सरकार द्वारा न तो सुभारती के संचालको अतुल भटनागर,यशवर्धन रस्तोगी,मुक्ति भटनागर,श्री राम गुप्ता ,कर्नल जी सी श्रीवास्तव,अवनी कमल ,आदि के खिलाफ कोई FIR करवाई है और न कोई कड़ी कार्यवाही। यहाँ तक कि छात्रों/अभिभावको की शिकायतें पुलिस व निदेशालय में धूल खा रही है। उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही ये सब गुनाहगार सलाखों के पीछे होंगे।
यह है पूरा मामला
सुभारती मेडिकल कॉलेज के संचालकों ने देहरादून में जहाँ मेडिकल कॉलेज चलाया जा रहा था, उसके मालिकों से सिर्फ एग्रीमेंट किया था और अपने को मालिक बताने लगे यही नही सुभारती के संचालक अतुल भटनागर ,यशवर्धन रस्तोगी,आदि ने जमीन/सम्पति के मालिकों के बैंकों के कर्जो की अदायगी भी एग्रीमेंट में लिखने के बावजूद नही की और जमीन/सम्पति के मालिकों को सुभारती के संचालको द्वारा दिये गए करोड़ो रूपये के चैक भी बाउन्स हो गए तथा दोनो पक्षो के बीच विवाद न्यायालय में चल रहा है। यही नही सुभारती के धोखेबाज़ इन संचालको अतुल भटनागर व यशवर्धन रस्तोगी सहित अन्य आठो ने मिलकर और एक राय होकर 300 MBBS के छात्रो को भी तगड़ा चूना लगाया और इनसे अरबों रुपये की ठगी कर ली।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सुभारती ने कई छात्रों व अभिभावकों से पूरे पांच साल का MBBS पास करवाने का ठेका मुक़ा दिया था और अपनी फर्जी रूप से बनाई गई निजी यूनिवर्सिटी रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी से उनको पहले साल की फर्जी मार्कशीट भी थमा दी थी।
जब सुभारती मेडिकल कॉलेज के संचालको अतुल भटनागर व यशवर्धन रस्तोगी सहित आठो ट्रस्टियों के फर्जीवाड़े का सबको पता चला तो फटाफट छात्रों व अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली और रिट दाखिल की।
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इतना बड़ा फर्जीवाड़ा देखते हुए उत्तराखंड DGP को तत्काल 2 घंटे के भीतर चलती कोर्ट से सुभारती सील करने के आदेश दिए और कहा कि अभी लंच पर जा रहे है और जब लंच से आये तो कॉलेज सील हो जाना चाइए।
ततपश्चात DGP ने 2 घंटे के भीतर कॉलेज को सील कर दिया और राज्य सरकार ने अपने सुपुर्द ले लिया।
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अंततोगत्वा सुभारती के सारे फर्जीवाड़े को देखते हुए MBBS के 300 छात्रो को उत्तराखंड के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट करने के आदेश दिए।
हालाँकि यह 300 छात्र फर्जी सुभारती मेडिकल कॉलेज देहरादून में पढ़ रहे थे और इनका सरकारी कॉलेजो पर सीट का दावा करने का कोई अधिकार नही था और अपनी मर्जी से सुभारती मेडिकल कॉलेज देहरादून में भर्ती हुए थे और राज्य सरकार चाहती तो एडमिशन देने से मना भी कर सकती थी पर छात्रों के भविष्य व परेशानी को देखते हुए राज्य सरकार ने माननीय सुप्रीम कोर्ट में सहमति दी और इन छात्रों के PG करने तक की राह खुल गयी।
राज्य सरकार ने कहा कि इनको राज्य के 3 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन देने से राज्य सरकार पर लगभग 150 करोड का भार पड़ेगा और यदि सुभारती से ये वसूली की जाए तभी इन छात्रो की पढ़ाई हो पाएगी अन्यथा नही क्योंकि 100 छात्रों पर तो एक मेडिकल कॉलेज ही खुल जाता है और एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना पर 100 करोड़ से कम खर्चा नही आता, यहाँ तो 5 साल के लिए प्रोफेसर व अन्य भौतिक सुख सुबिधाओं सहित होस्टल,प्रेक्टिकल,परीक्षा ,उपकरण,यंत्र,मशीने आदि तक कि जिम्मेदारी राज्य सरकार के ऊपर आ पड़ी है जबकि राज्य सरकार के पास तनख्वाह देने को पैसे नही है और महीने मे तीसरी बार राज्य सरकार को 300 करोड़ रुपये ब्याज पर लेने पड़ रहे हैं।
इतना सब होने के बाद राज्य सरकार के निदेशक चिकित्सा शिक्षा श्री युगल किशोर पन्त के द्वारा सुभारती की 113 करोड़ की रिकवरी निकालते हुए जिलाधिकारी देहरादून को वसूली के निर्देश दिए थे।
जिसपर सुभारती ने माननीय उच्व न्यायालय नैनीताल में याचिका लगाई थी कि राज्य सरकार की रिकवरी पर स्टे दिया जाए यानी चोरी और ऊपर से सीना जोरी।