जी हां बिल्कुल सही पढ़ा आपने पछवादून में Hnn न्यूज चैनल के सक्रिय संवाददाता सतपाल धानिया नगर निगम देहरादून के शीशमबाडा सेलाकुई स्थित सॉलिड वेस्ट प्लांट से होने वाली परेशानियों के चलते तीन दिन से प्लांट के सामने अन्न जल को त्यागे हुए बैठे हैं। हालांकि प्रशासन सतपाल की भूख हड़ताल को खत्म करवाने के हर संभव प्रयास कर रहा है लेकिन सतपाल बात मानने को तैयार नहीं हैं। दरअसल सॉलिड वेस्ट प्लांट से उठने वाली दुर्गंध से प्लांट के आसपास स्थित एक बड़ी आबादी का जीना दूभर हो गया है जिसके खिलाफ लंबे समय से आंदोलनरत क्षेत्र के हजारों लोगों की सतपाल ने ही मुख्य रूप से आवाज उठाई है। लेकिन सरकार को रत्ती भर भी लोगों की परेशानियों से कोई फर्क नहीं पड़ा।
चाहे स्थानीय विधायक सहदेव पुंडिर हो या प्लांट की प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान सहित खुद मुख्य मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सब ही ने दुर्गंध खत्म करने के नाम पर सिर्फ आश्वासन दिया है। जबकि क्षेत्र के कई किलोमीटर एरिया में प्लांट से उठने वाली दुर्गंध लोगों को तील तील कर मरने को मजबूर कर रही है। इतना ही नहीं दुर्गंध प्रभावित क्षेत्र में लोगों की प्रोपर्टी के दाम गिर गये हैं। लोग मकान नहीं बना पा रहे हैं। कुछ लोग तो मजबूरी में मकान छोड़ कर कहीं और शिफ्ट हो गये हैं तो कुछ मेहनत और अरमान के साथ बनाये गये अपने आशियाने को ताला लगाने की फिराक में हैं। क्योंकि प्लांट की समस्या का कोई निस्तारण होता नजर नहीं आ रहा है। जबकि क्षेत्र के लोग हर तरह का आंदोलन इस प्लांट के विरोध में कर चुके हैं लेकिन समस्या का कोई हल निकलता नजर नहीं आ रहा है।
ऐसे में आप सोच रहे होंगे की एक पत्रकार को इस सब पचडे में पड़ने की क्या आवश्यकता आन पड़ी !दरअसल सतपाल ही वो व्यक्ति है जिसने प्लांट से पीड़ित हजारों लोगों की समस्या को करीब से महसूस किया है उनके दर्द को समझा है जो हर वक्त इन लोगों के लिये अपनी कलम और कैमरा लेकर मजबूती के साथ खड़ा रहा है। लेकिन जब सब दरवाजे बंद हो गये और समस्या का कहीं से भी कोई हल निकलता नहीं दिखा तो सतपाल ने प्लांट के विरोध में खुद अन्न जल त्यागने का मन बनाया और यह सब भी अचानक नहीं हुआ दरअसल सतपाल प्लांट के पास बायाँखाला की एक शादी समारोह में थे जहाँ प्लांट से उठ रही दुर्गंध के कारण लोगों का खड़ा होना दुश्वार हो गया और खाना खाते खाते ही लोग उल्टीयां करने लगे और बस उसी वक्त एक पत्रकार के सब्र का बाँध टूट गया और सतपाल ने प्लांट के खिलाफ गांधी वादी अंदाज में मोर्चा खोलने का मन बनाया लिहाजा अब सतपाल ने अन्न जल त्याग दिया है।
हालांकि सतपाल के साथ दो और लोग भी समय बदल बदल कर भूख हड़ताल में साथ दे रहे हैं लेकिन सतपाल लगातार तीन दिनों से भूखे प्यासे बैठे हैं। अब एक पत्रकार के इस खास प्रयास से हडकंप की स्थिति जरूर देखी जा रही है लेकिन लोगों की समस्या का हल होगा या नहीं ये देखने वाली बात होगी ।