देहरादून, जुलाई 2025 — श्रावण मास की कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तराखंड सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए खाद्य सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग ने श्रद्धालुओं को शुद्ध, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने हेतु सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
अब कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित हर खाद्य प्रतिष्ठान को लाइसेंस/पंजीकरण प्रमाणपत्र और मालिक का पहचान पत्र प्रमुखता से प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। बिना नाम और लाइसेंस वाली दुकानें तत्काल प्रभाव से बंद की जाएंगी।
₹2 लाख तक का जुर्माना और कानूनी कार्रवाई
स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त खाद्य संरक्षा डॉ. आर. राजेश कुमार ने स्पष्ट किया कि जिन व्यापारियों ने लाइसेंस, पहचान पत्र और फूड सेफ्टी डिस्प्ले बोर्ड नहीं लगाए होंगे, उन्हें खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 की धारा 55 के तहत दंडित किया जाएगा, जिसमें ₹2 लाख तक जुर्माने का प्रावधान है।
पंडालों और भंडारों में भी होगी निगरानी
कांवड़ यात्रा मार्ग पर भंडारे, पंडाल और भोजन केंद्रों पर परोसे जा रहे खाद्य पदार्थों की भी सघन जांच की जाएगी। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की विशेष टीमें हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, पौड़ी और उत्तरकाशी में तैनात की गई हैं, जो दूध, मिठाई, तेल, मसाले आदि के नमूने लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजेंगी। मानकों पर खरे न उतरने पर साइट तत्काल बंद की जाएगी।
ताजबर सिंह जग्गी, अपर आयुक्त, खाद्य सुरक्षा ने कहा कि बिना लाइसेंस व्यवसाय करने वालों पर न सिर्फ आर्थिक दंड लगाया जाएगा, बल्कि उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई भी की जाएगी।
जन जागरूकता और शिकायत व्यवस्था
सरकार ने आईईसी (सूचना, शिक्षा एवं संचार) माध्यमों से जागरूकता अभियान भी शुरू किया है। पोस्टर, पर्चे और सोशल मीडिया के माध्यम से उपभोक्ता अधिकारों और खाद्य नियमों की जानकारी दी जा रही है।
शिकायत दर्ज करने के लिए टोल फ्री नंबर 18001804246 भी जारी किया गया है। शिकायत मिलने पर प्रशासनिक टीमें मौके पर पहुंचकर त्वरित कार्रवाई करेंगी।
निगरानी और जिम्मेदारी तय
हर जिले से रोजाना की कार्रवाई की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। निगरानी के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। किसी भी स्तर पर लापरवाही पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।