केदारनाथ आपदा घोटाले का जिन्न एक बार फिर से बाहर आ सकता है। केदारनाथ आपदा घोटाले का खुलासा करने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट तथा मानवाधिकार कार्यकर्ता भूपेंद्र कुमार के द्वारा आपदा घोटाले की जांच को रफा-दफा किए जाने पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका के माध्यम से इसकी फिर से जांच किए जाने और दोषियों को सजा देने के लिए एक जनहित याचिका दायर होने जा रही है।
याचिकाकर्ता की ओर से उनकी वकील अनुपमा गौतम ने तत्कालीन मुख्य सचिव एन रविशंकर तथा तत्कालीन जिलाधिकारियों को नोटिस भेजा है और उनके द्वारा की गई जांच पर सवाल खड़े किए हैं। इसकी कॉपी कार्यवाही के लिए मुख्यमंत्री को भी भेजी गई है।
गौरतलब है कि आरटीआई एक्टिविस्ट भूपेंद्र कुमार ने ही सूचना के अधिकार के अंतर्गत केदारनाथ आपदा मे हुए राहत कार्यों के अंतर्गत करोड़ों के घोटाले का पर्दाफाश किया था। तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने इस पर जांच बिठाई थी और तत्कालीन मुख्य सचिव एन रविशंकर को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था। एन रविशंकर ने रिपोर्ट दी थी कि इस दौरान कोई घोटाला नहीं किया गया है।
एन रविशंकर द्वारा इस घोटाले की जांच के नाम पर लीपापोती किए जाने से नाराज भूपेंद्र कुमार ने इस मामले की दोबारा से जांच किए जाने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी कर ली है।
भूपेंद्र कुमार के एडवोकेट द्वारा भेजे गए नोटिस के जवाब में एन रविशंकर ने बताया कि अब वह रिटायर हो गए हैं और वर्तमान मुख्य सचिव इस नोटिस पर आवश्यक कार्रवाई करेंगे। इसके अलावा उत्तराखंड के पांच जिलों ( रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर) के तत्कालीन जिलाधिकारियों को नोटिस भेजा गया है।
पिथौरागढ़ के तत्कालीन जिलाधिकारी हरीश चंद्र सेमवाल ने भी एडवोकेट अनुपमा गौतम के नोटिस को मूल रूप से जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को आवश्यक कार्यवाही के लिए भेज दिया है।
याचिकाकर्ता की वकील अनुपम गौतम ने बताया कि मुख्य सचिव तथा जिलाधिकारियों के स्तर से जवाब आने के बाद वह आगे की कार्यवाही करेंगे।
गौरतलब है कि केदारनाथ आपदा 12 और 13 जून वर्ष 2013 को आई थी। उस दौरान के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा वर्तमान में भाजपा में शामिल हो गए हैं।
ऐसे में यदि इस घोटाले की हाई कोर्ट द्वारा जांच की जाती है तो विजय बहुगुणा की भी मुश्किलें बढ़नी तय हैं।