संतों ने भी की कुंभ एक साल आगे बढाने की मांग। कुंभ पर छाया कोरोना का साया
कुमार दुष्यंत/हरिद्वार
कोरोना के प्रदेश व हरिद्वार में लगातार बढ़ते मामलों से सात माह बाद होने वाले कुंभ महापर्व भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। शासन, प्रशासन की कुंभ की अनिश्चितताओं को लेकर चर्चा शुरू हो गई है और इसका असर कुंभ कार्यों पर भी दिखाई दे रहा है। यदि कोरोना का कहर जारी रहा तो संभव है कुंभ 2021 महज एक औपचारिकता ही बन कर रह जाए।
कुंभ हरिद्वार ही नहीं, बल्कि विश्व का महामेला है। जिसमें बिना बुलाए ही एक निश्चित तिथि पर गंगाघाटों पर करोड़ों श्रद्धालु स्नान के लिए जुटते हैं, लेकिन इसबार कोरोना महामारी के चलते 2021 में पडऩे वाले कुंभ पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं। हरिद्वार में अभी तमाम मंदिर व धर्मस्थल श्रद्धालुओं के लिए प्रतिबंधित हैं।

एक माह बाद भी विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा को खोले जाने को लेकर भी सरकार अभी कोई निर्णय नहीं ले पायी है। इस बीच हरिद्वार सहित प्रदेशभर में कोरोना के मामले बढते जा रहे हैं। हरिद्वार में बढ़ते मामलों को देखते हुए जिला प्रशासन अब यहां इसके लिए दीर्घकालिक प्रबंधों में जुट गया है। हरिद्वार में ही कोरोना टेस्टिंग सेंटर खोलना भी इसी तैयारी का हिस्सा है। कोरोना के बढ़ते प्रकोप की चपेट में कुंभ महापर्व भी प्रभावित होता दिख रहा है।
कोरोना के कारण कुंभ होगा या नहीं, इस पर चर्चाएं आरंभ हो गई हैं। शासन के मंत्री व विधायक मौजूदा माहौल में कुंभ के आयोजन पर खुलकर सवाल उठा रहे हैं। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने आशंका प्रकट कर दी है कि राज्य में वर्तमान में जो हालात हैं, उनमें इस महापर्व का आयोजन संभव नहीं। हरिद्वार से ही भाजपा विधायक सुरेश राठौड़ ने तो देश, प्रदेश की सरकार से मांग कर डाली है कि वह अब कुंभ के नामपर कोई अनुदान न जारी करे।
सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा है कि क्योंकि अब कुंभ का आयोजन संभव नहीं है, इसलिए यदि कुंभ के नाम पर अब ओर धन जारी किया गया तो उसका दुरुपयोग हो सकता है। संतों के एक वर्ग ने भी सरकार से कोरोना के दृष्टिगत कुंभ को एक वर्ष आगे बढ़ाने की मांग रखी है। इसके लिए 1956-57 का तर्क दिया जा रहा है, जब 11वें वर्ष में कुंभ का सफल आयोजन न होने पर अगले वर्ष फिर से कुंभ का आयोजन करना पड़ा था।
फिलहाल कुंभ की अनिश्चितताओं का असर कुंभ विकास कार्यों पर भी दिखने लगा है। कुंभ तक न पूरे हो सकने वाले कार्यों को अब न शुरू करने का निर्णय मेला विभाग पहले ही ले चुका है। लॉकडाउन के दौरान बंद रहने के बावजूद कुंभ विकास कार्यों में अब भी कोई तेजी नहीं है। केवल पूर्व में शुरू किए गए स्थायी प्रकृति के कामों को ही पूरा किया जा रहा है। इनमें ज्यादातर हाईवे, फ्लाईओवर, भूमिगत बिजली केबल, पुल व घाटों के ही काम हैं। जानकारी के अनुसार सरकार भी शीघ्र ही एक बैठक का आयोजन कर कुंभ की अनिश्चितता पर विचार करने जा रही है।
राज्य सरकार ने कुंभ 2021 को बहुत धूमधाम से मनाने की तैयारी की थी। इसबार कुंभ की चार माह की अवधि में शासन प्रशासन ने करीब दस करोड़ श्रद्धालुओं के हरिद्वार आगमन का अनुमान लगाया था। इसके लिए मेला क्षेत्र का विस्तार करते हुए 41 सेक्टर बनाए गये थे। केंद्र से हजार करोड़ के अनुदान की मांग की गई थी। जिसमें से तीन सौ करोड़ की एक किश्त सरकार को मिल चुकी है, लेकिन अब कोरोना आक्रमण के बाद कुंभ महापर्व को धूमधाम से मनाए जाने की संभावनाएं धूमिल हो गई हैं।
कुंभ शुरू होने में अभी वक्त है। हमारे पहले शुरु हो चुके कुंभ के विकास कार्य प्रगति पर हैं। कोविड-19 का कुंभ पर क्या असर हो सकता है, इसको लेकर अखाड़ा परिषद, स्वास्थ्य विभाग, केंद्र सरकार आदि से सम्यक विचार के पश्चात ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
– उत्पल कुमार सिंह, मुख्य सचिव, उत्तराखंड