हल्द्वानी बस अड्डा शिफ्ट करने पर सरकार को आखिरी मौका। किया जबाब तलब
रिपोर्ट- कमल जगाती
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी के गौलापार में प्रस्तावित आईएसबीटी को दूसरी जगह शिफ्ट करने के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर अंतिम अवसर देते हुए शपतपत्र पेश करने को कहा है। न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा है कि, ऐसे कौन से कारण हैं जो वो आईएसबीटी को शिफ्ट करने को अनिवार्य समझ रहे हैं। जबकि वहां फारेस्ट के 2625 पेड़ काट डाले और 11 करोड़ रुपये खर्च भी कर दिए। इस पर सही तथ्यों के साथ तीन सप्ताह में जवाब दें।
मामले के अनुसार हल्द्वानी निवासी रवि शकंर जोशी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि, सरकार आईएसबीटी के नाम पर केवल राजनीति कर रही है और बार आईएसबीटी की जगह बदल रही है। जबकी सरकार ने 2008 में गौलापार में फारेस्ट की 8 एकड़ भूमि पर आईएसबीटी बनाने के लिए संस्तुति दे दी थी। इसे केंद्र सरकार से भी अनुमति मिल चुकी थी और राज्य सरकार ने वहाँ पर आईएसबीटी बनाने के लिए 11 करोड रू खर्च भी कर दिए। इतना ही नहीं सरकार ने वहां 2,625 पेड भी काट डाले।
याचिकर्ता का यह भी कहना है कि, जब सरकार ने इतने पैसे वहाँ खर्च कर दिए और ढाई हाजर से अधिक पेड़ काट दिए, तो उसके बाद उसे कहीं दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है। ये प्राकृतिक संसाधनों और सरकारी धन का दुरुपयोग है। अभी तक 12 वर्ष बीत गए है। लेकिन आईएसबीटी का मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है। गौलापार के अलावा आईएसबीटी बनाने हेतु हल्द्वानी में कहीं इससे अधिक जमीन नही है। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश रविकुमार मलिमथ व न्यायमुर्त्ति रविन्द्र मैठाणी की खण्डपीठ में हुई।