टिहरी जिले की विवाहिता वंदना की 20 अप्रैल को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के 15 दिन बाद उसकी मौत के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा दिलाने के लिए शासन प्रशासन से न्याय के भरोसे बैठे लोगों के सब्र का बांध अब छलक उठा है।
दरअसल लोगों को यह भरोसा था कि वंदना की मौत का खुलासा उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आने के बाद हो जाएगा किंतु 12 दिन बाद लोगों की आशा के विपरीत पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद टिहरी के लोगों में अब उबाल आ गया है।
दरअसल मार्टम रिपोर्ट में वंदना की मौत का कारण फांसी लगना बताया गया है, किंतु वंदना की पीठ पर चोट के निशान थे और वंदना की गर्दन के पीछे चोट के निशान भी पाये थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर सबसे बड़ा सवाल इसलिए भी उठाया जा रहा है कि पोस्टमार्टम में रिपोर्ट 12 दिन बाद आई है।
लोग इस मामले में एकजुट होकर सोशल मीडिया फेसबुक ट्विटर आदि के माध्यम से महिला आयोग सहित विभिन्न संस्थाओं और प्रधानमंत्री कार्यालयों सहित अनेक जगहों पर इस मामले की फिर से जांच कराने की मांग तेज करने लगे हैं।
लोगों का कहना है कि वंदना को लटका कर मारा गया हो या मारकर लटकाया गया हो इन दोनों रूप मे उनके पति जीत सिंह कोहली और उनका परिवार जिम्मेदार है।
इस मामले को ठीक से ना उठाने के कारण जनप्रतिनिधियों को भी कोस रहे हैं और मीडिया पर भी सवाल उठा रहे हैं कि एक दो बार इस मुद्दे को उठाने के बाद मीडिया ने ये मुद्दा छोड़ दिया।
लाॅक डाउन होने के कारण लोग इस मामले पर धरना प्रदर्शन करने की स्थिति ना होने के चलते काफी मजबूर महसूस कर रहे हैं।
लाॅक डाउन के दौरान पूरे उत्तराखंड में लगभग एक दर्जन विवाहिताओं की इसी तरह से संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है।
हालांकि राजस्व पुलिस ने 23 अप्रैल को दहेज हत्या के आरोप में वंदना के शिक्षक पति जीत सिंह को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था और शिक्षा विभाग में उसे निलंबित कर दिया था।
सूत्रों के अनुसार वंदना का पति उसकी मौत से एक दिन पहले डॉक्टर को बुलाने गया था।
यदि इस बात की जांच की जाए और डॉक्टर से पूछा जाए कि भला वह जीत सिंह के घर क्यों गए थे और क्या देखा था, तो इस मौत की कड़ियों को खोलने में यह एक अहम किरदार हो सकता है।
लोगों का मानना है कि वंदना के सर पर लगी चोट से यह आशंका है कि वंदना को उसकी मौत से एक दिन पहले बुरी तरह से पीटा गया होगा और जब उसकी मौत हो गई तो उसे फांसी पर लटका दिया। इस आशंका को इसलिए भी बल मिल रहा है कि वंदना की सुसाइड की सूचना एक दिन बाद दी गई।
यह भी प्रबल आशंका है कि कोरोना के इस दौर में मरीजों का पोस्टमार्टम ठीक तरीके से नहीं किया जा रहा है। संभवत इसीलिए वंदना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
वंदना के शरीर पर चोट के निशान और गर्दन के पीछे घाव के निशान कैसे थे, यह दो सवाल बेहद अहम हैं। इसके अलावा वंदना की मौत का समय क्या था और उस समय वंदना के घर वाले कहां थे, यह भी फिर से जांच का विषय है।
इस पूरे प्रकरण में क्षेत्रीय पटवारी भूपेंद्र असवाल पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। मृतक वंदना की खास सहेली ने पटवारी पर भी इस मामले में घालमेल करने का आरोप लगाया था। पटवारी पर यह आरोप भी है कि वह वंदना के घर वालों से केस को वापस लेने का दबाव बना रहा था।
हैरत की बात यह है कि इस केस में महिला आयोग को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए था लेकिन उत्तराखंड में महिलाओं की संदिग्ध मौत के लॉक डाउन के दौरान एक दर्जन से अधिक ऐसे मामले हो चुके हैं इसके बावजूद महिला आयोग की चुप्पी घोर निराशाजनक है। लोग महिला आयोग की शर्मनाक छुट्टी पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।