सलाहकार के चेलों ने बिकवा दी शराब।
बिकवाने वाले बचे। मुकदमा होगा ठेकेदारों पर
दून में बैठकर शराब बिकवाने वाले अफसर कैसे बचे। आबकारी महकमे की स्थिति बेहद दयनीय होती जा रही है। राजस्व गढ्ढे मे।
हरिद्वार जिले में माँ गंगा का जिस तेजी से पानी निर्मल हुआ उससे कहीं ज्यादा तेजी से ही शराब ठेकों से शराब गायब हुई है। चर्चायें है कि बहुत ज्यादा बोलने वाले एक अफसर ने फोन पर ही शराब ठेके खाली करवा दिये। गोपनीयता के साथ अपना व अपने सीनियरों का हालांकि ख्याल भी इन्होने रखा। अभी तक रिपोर्ट की गोपनीयता का रोना रो रहे आबकारी महकमे की आखिरकार आज इज्जत नीलाम हो ही गई।
जिलाधिकारी लें सख्त एक्शन भ्रष्टों की तोडें कमर
चापलूस चालाक अफसरों ने जिलाधिकारी को कुछ इस तरह स्थिति प्रस्तुत की जैसे ठेकेदार ही सिर्फ दोषी थे। जबकि विभाग की बिना सहमति और पुलिस की मंजूरी के बिना शराब पार होना असंभव था। जिलाधिकारी को सीधे सीधे पूरे जिले के खिलाफ ठोस एक्शन लिये जाने की रिपोर्ट शासन को भेजना उचित प्रतीत होता है। इससे सरकार को करोडों के राजस्व का चूना लगा है। 250 250करोड का रोना रो रही सरकार के डेनिस गैंग के अफसरों ने सीधे सरकारी खजाने में डाका डाल दिया है। सहमति सबकी फसेंगें सिर्फ ठेकेदार हर जगह लुट पिट चुके ठेकेदारों को जाते जाते अब मुकदमे के नाम पर ब्लैकमेल होना पडेगा।
लॉकडाउन में 44 शराब की दुकानों से गायब हुई शराब -आबकारी विभाग के स्टॉक
सत्यापन अभियान में खुली पोल, जिलाधिकारी बोले दर्ज होगी ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर
लाॅकडाउन के दौरान ठेकों से ही अंग्रेजी-देसी शराब की बड़ी खेप गायब होने की हकीकत निकलकर सामने आई है। आबकारी महकमे के सत्यापन अभियान में 44 दुकानों का स्टॉक शून्य पाया गया है। इस सूरत में लॉकडाउन के दौरान शराब की कालाबाजारी कर जमकर वारे न्यारे करने की बात से इंकार नहीं कर सकते हैं। इधर, इस बड़े खेल को अनदेखा कर आबकारी विभाग ने अब अपना पूरा
फोकस केवल शराब की दुकानों के शटर उठाने पर लगाया हुआ है।
जनता कर्फ्यू के दिन से ही जिले में शराब की दुकानों पर ताले लटक गए थे। बकायदा आबकारी
विभाग की सील भी लग गई थी। पर, इन सब के बीच अचानक ही पूरे जिले के अंग्रेजी देसी शराब के ठेकों से शराब की बड़ी खेप ही गायब कर दी गई।
आबकारी मकहमा तो इस दौरान पूरे सीन में कही दूर दूर तक दिखाई नही दिया।
गंगनहर में एक ठेके से निकाली गई डेढ़ सौ पेटी शराब रिकवर होने पर आबकारी
महकमे की पोल खुलकर सामने आई। खुल्लमखुल्ला हो रही शराब तस्करी को लेकर
आबकारी महकमे से लेकर पुलिस महकमे की कार्यशैली पर सवाल खड़े होने लगे।
इतना सब होने के बाद पहले तो एडीएम बीके मिश्रा ने आबकारी विभाग के अधिकारियों को उनकी ड्यूटी का पाठ पढ़ाया।
ठीक इसके बाद जिलाधिकारी ने ठेकों का स्टॉक चेक करने के निर्देश दिए तो रूड़की, लक्सर एवं हरिद्वार सर्किल में स्टॉक चेक करने की कवायद शुरू की गई। पर संयुक्त टीम की बजाय स्टॉक चेक करने की जिम्मेदारी भी केवल आबकारी महकमे को ही दे दी गई।
आबकारी विभाग के स्टॉक सत्यापन की कार्रवाई में सामने आया कि हरिद्वार सर्किल में देसी की 15, अंग्रेजी की चार, रुड़की सर्किल में देसी की 14,
अंग्रेजी की तीन एवं लक्सर सर्किल में देसी की दो एवं अंग्रेजी की दो दुकानों का स्टॉक शून्य मिला है। जिलाधिकारी सी रविशंकर से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि जहां जहां से शराब गायब हुई है, उन ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश जारी किए जाएंगे।