रिपोर्ट/महेश चन्द्र पन्त
उत्तराखंड की डबल इंजन की भाजपा सरकार में इंजन तो बदला गया, लेकिन मनमानी व अराजकता यथावत है |
टी. एस. आर (द्वितीय) को मुख्यमंत्री का कार्यभार सौंपते समय , उनमें पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी की कार्यशैली का अक्श देखा जा रहा था।
उम्मीद की जा रही थी कि ,अब यह डबल इंजन ,भ्रष्टाचार मुक्त , पारदर्शी व्यस्थाओं के तहत तीव्र गति से विकास पथ पर अग्रसर होगा। लेकिन जब बाढ़ ही खेत खाने को आमादा हो तब क्या किया जा सकता है?
विगत दिनांक 22 मार्च 2021 कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में उनके यमुना कॉलोनी स्थित आवास पर उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद की समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। समीक्षा बैठक में कुलपति ,गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के प्रतिनिधि के रूप में डॉट संदीप अरोरा ,डीन सीवीएस एच , पंतनगर , डॉ हरवंस सिंह चुघ सचिव कृषि एवं कृषि कल्याण विभाग ,उत्तराखंड शासन, डा० डी.के.सिंह, निदेशक उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी पंतनगर, आर .के. राजा परियोजना प्रबंधक व सहायक अभियंता उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड, प्रबंधक निदेशक ब्रिडकुल , प्रतिनिधि के रूप में राजेंद्र प्रसाद उनियाल उपस्थित थे।
समीक्षा बैठक में कृषि मंत्री के निर्देशों के अनुसार जैव प्रौद्योगिकी संस्थान पटवाडांगर में स्थित एक प्रयोगशाला के साथ-साथ निदेशक कार्यालय का पूर्ण स्वामित्व ,उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी को सौंप दिया जाएगा तथा निदेशक उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी द्वारा उपरोक्त कार्यालय तथा प्रयोगशाला की मरम्मत का कार्य शीघ्र पूर्ण कर बायोटेक भवन हल्दी पंतनगर, से कार्यालय तथा प्रयोगशाला को रिक्त कर पटवा डागर में स्थानांतरित किया जाएगा।
गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर बायोटेक भवन हल्दी में कब्जा लेने के बाद ,जैव प्रौद्योगिकी संस्थान पटवाडांगर से बायोटेक भवन हल्दी में पूर्ण चल अचल संपत्ति स्थानांतरित करेगा।इसके बाद गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर, जैव प्रौद्योगिकी संस्थान पटवाडांगर का पूर्ण और अंतिम प्रभार ,उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी को सौंप देगा। यह प्रक्रिया अप्रैल 2021 से 6 माह के भीतर पूर्ण करने एवं किसी भी परिस्थिति में इस समय सीमा में कोई भी विस्तार न किए जाने के निर्देश भी कृषि मंत्री ने दिए|
गौरतलब है दिनांक 26 जून 2020 को तत्कालीन सचिव कृषि आर . मीनाक्षी सुंदरम ने जैव प्रौद्योगिकी संस्थान पटवा डागर नैनीताल को, जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी पंतनगर को हस्तांतरित करने संबंधी संबंधी शासनादेश के अनुपालन में कुलपति पंतनगर विश्वविद्यालय व निदेशक बायोटेक काउंसिल हल्दी को पत्र लिखा था।
शासनादेश में बायोटेक संस्थान पटवा डांगर द्वारा अपने मूल उद्देश्यों की पूर्ति न करना , बायोटेक हल्दी पंतनगर द्वारा उक्त भूमि को परिषद द्वारा कृषि कार्यों के लिए किए जा रहे विभिन्न अनुसंधानों एवं विस्तार हेतु,उन्हें हस्तांतरित दिए जाने के प्रस्ताव को भी रेखांकित किया था।
इसके लिए कुलपति , जी बी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर ने भी अपनी सहमति दी थी। तत्पश्चात महामहिम राज्यपाल ने पटवाडांगर संस्थान , “जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी पन्तगर को हस्तांतरित दिए जाने के शासनादेश किए थे।
लगभग 8 माह बीत जाने के पश्चात भी पंतनगर विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह भूमि हस्तांतरित नहीं की ।
निदेशक जैव प्रौद्योगिकी हल्दी द्वारा कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन को इस विषय में अवगत कराया, विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा हल्दी पंन्तनगर स्थित, प्रयोगशाला व कार्यालय के बदले में ही पटवा डांगर संस्थान हस्तांतरित करने का दबाव बनाया गया जा रहा था। इसी कारण भूमि हस्तांतरण में जानबूझकर विलंब किया गया।
वर्ष 2003 में पंतनगर जैव प्रौद्योगिकी संस्थान ने टिशू कल्चर से “कुत्ते काटने” की वैक्सीन का बनाने का दावा किया था। इससे पूर्व राज्य रक्षालय संस्थान पटवा डागर जो कि स्वास्थ्य विभाग के नियंत्रण में था, भेड़ के मस्तिष्क से “कुत्ते काटने” की वैक्सीन का निर्माण करता था। प्रतिदिन नियमित रूप से वैक्सीन का उत्पादन किया जाता था।
इस बीच पशु क्रूरता अधिनियम लागू हो जाने के कारण, इस विधि से वैक्सीन उत्पादन, बंद कर दिया गया। तब जैव प्रौद्योगिकी संस्थान पंतनगर से वैक्सीन उत्पादन एवं अनुसंधान हेतु , राज रक्षा लाल पटवा डागर की भूमि उन्हें हस्तांतरित करने का प्रस्ताव शासन को दिया था ।
मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी के शासन में यह भूमि वर्ष 2005 में राज्य रक्षालय पटवा डांगर से जैव प्रौद्योगिकी संस्थान को सौंप दी गई। टिशू कल्चर संस्थान के विस्तार ,निर्माण, मशीनों ,उपकरणों, अनुसंधान व अन्य कार्य हेतु, तिवारी सरकार ने, टोकन मनी के रूप में करोड़ों रुपए भी संस्थान को आवंटित कर दिए गए थे।
वर्ष 2005 से 2020 तक बायो टेक्नोलॉजी संस्थान पटवा डागर ने वैक्सिंग अनुसंधान के नाम पर निर्माण कार्यों, रिपेयरिंग ,कीमती उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक मशीनों केमिकल्स खरीद, अधिकारियों के वेतन भत्ते तथा संस्थान में कार्यरत लगभग 53 कर्मचारियों के वेतन भत्ते आदि पर करोड़ों रुपए खर्च किए। लेकिन इन 15 वर्षों में एक बूंद भी वैक्सीन नहीं बनाई गई।अनुसंधान के नाम पर सरकार के करोड़ों रुपए, बर्बाद हो व खुर्द बुर्द किए गए।
पर्वतजन पत्रिका के दिसंबर 2020 के संस्करण” बूंद बूंद तरसती वैक्सीन” लेख में इस सनसनीखेज प्रकरण का खुलासा किया है।
पंतनगर टिशू कल्चर संस्थान पटवा डांगर के पास न तो इस विषय के वैज्ञानिक थे और ना ही विदेशों से खरीदी गई मशीनों को संचालित करने वाले, टेक्नीशियन ही उपलब्ध थे ।करोड़ों रुपए की मशीनें क्यों और किसके आदेशों से खरीदी गई? यह जांच का विषय है?
बायोटेक संस्थान पटवा डागर की भूमि बायोटेक परिषद हल्दी पंतनगर को हस्तांतरित किए जाने के शासनादेश से , पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय व बायोटेक संस्थान पटवा डांगर द्वारा वर्षों तक अनुसंधान के नाम पर सरकारी धन के दुरुपयोग व धोखाधड़ी पर पर्दा डालने के उद्देश्य से अब देहरादून “यमुना कॉलोनी”में आनन-फानन समीक्षा बैठक के आयोजन कई सवाल उठना लाजमी है?
22 मार्च 2021 को जैव प्रौद्योगिकी हल्दी पंतनगर के निर्देशक, डी के सिंह ने प्रमुख सचिव उत्तराखंड शासन को बायोटेक संस्थान ,पटवा डागर , शासनादेश के बावजूद 8 माह पश्चात भी जैव प्रौद्योगिकी परिषद को हस्तांतरित न किए जाने संबंधी पत्र लिखा।
22 मार्च 2021 को ही कृषि मंत्री जी ने समीक्षा बैठक आहूत बैठक में ,26 जून 2020 की स्वीकृति वाले शासनादेश के अनुपालन के विपरीत, मनमाने प्रस्ताव पारित कर दिए।
24 मार्च 2021 को निर्देशक जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी पंतनगर डॉ डी .के. सिंह को उनके पद से हटाकर पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति तेज प्रताप सिंह जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया गया?
उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद एक स्वयंसेवी संस्था है इसके निदेशक को परिषद की बैठक में बहुमत के आधार पर ही हटाया जा सकता है।
परिषद के अध्यक्ष प्रमुख सचिव उत्तराखंड शासन हैं एवं निदेशक परिषद के सचिव पद पर मनोनीत है सहित ,परिषद संचालक मंडल में विभिन्न क्षेत्रों के अनुशासन अनुसंधानकर्ता विशेषज्ञ आदि 16 संचालकों का बोर्ड गठित है।
डॉ डीके सिंह को हटाना व कुलपति पंतनगर विश्वविद्यालय को नियुक्त करने का अधिकार परिषद की नियमावली और संविधान का खुला उल्लंघन व नियमों के विरुद्ध है?
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल जी की समीक्षा बैठक में पारित प्रस्तावों से साफ स्पष्ट होता है कि जैव प्रौद्योगिकी पटवार डागर में करोड़ों रुपये के घपले घोटालों की जांच करने के बजाए इसमें लिप्त लोगों को ही अब पटवा डागर में जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी को विकसित किए जाने का दायित्व सौंपा जा रहा है।
पटवार डांगर संस्थान का हस्तांतरण के शासनादेश को 8 माह तक दबाए रहने वाले कुलपति, पंतनगर विश्वविद्यालय एकाएक सक्रिय हो गए हैं।
जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी पंतनगर टिशू कल्चर, अनुसंधान द्वारा उत्तराखंड के किसानों की आर्थिकी, बेमौसम सब्जी उत्पादन करने , फल ,सब्जी पौधों पर विगत कई वर्षों से सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है।
टिशू कल्चर संस्थान पटवा डागर में कार्यरत पूर्व निदेशक आर .एस .चौहान पर संस्थान की संपत्ति खुर्दपुर करने के मामले में विगत 7 वर्षों से एसडीएम स्तर पर जांच लंबित है। कृषि मंत्रालय और विभाग ने कभी इसका संज्ञान नहीं लिया आखिर क्यों?
जैव प्रौद्योगिकी संस्थान पटवा डागर से लाखों करोड़ों रुपए की परिसंपत्तियों, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मशीनें आदि बिना किसी जिम्मेदार अधिकारी की उपस्थिति व शासन की अनुमति के बिना शिफ्ट कर, खुर्द बुर्द की जा रही है।
पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति का सेवाकाल कुछ ही महीनों का रह गया है तब उन्हें करोड़ों रुपए की लागत वाले जैव प्रौद्योगिकी परिषद के निर्माण आदि की जिम्मेदारी देना संदेहास्पद है? जबकि पहले ही जैव प्रौद्योगिकी संस्थान पटवा डांगर की दुर्गति के लिए पंतनगर विश्वविद्यालय प्रशासन पर कई आरोप है।
राज्य रक्षालय संस्थान वैक्सीन उत्पादन में सक्रिय व विकसित था । जैव प्रौद्योगिकी संस्थान पंतनगर को हस्तांतरित किए जाने के उपरांत , संस्थान ने इसे वीरान करने में बड़ी भूमिका निभाई है और अब पंतनगर स्थित जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी जो कृषि क्षेत्र में टिशु कल्चर से निरंतर अनुसंधान करने वाले परिषद को भी वीरान किए जाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है ।
पंतनगर विश्वविद्यालय में सैकड़ों एकड़ भूमि निष्प्रयोज्य पड़ी हुई है। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी पन्तनगर की भूमि पर ही कब्जा जमाने पर क्यों आमादा है? यह बड़ा सवाल है?
जैव प्रौद्योगिकी संस्थान पटवा डागर पंतनगर पर” हम तो डूबेंगे सनम , तुमको भी ले डूबेंगे” की कहावत सटीक प्रतीत होती है।
भाजपा सरकार 4 वर्षों का कार्यकाल पूर्ण हो चुका है ।इससे पूर्व भी 5 वर्षों तक भा जा पा का शासन रहा। भ्रष्टाचार, अनियमितताओं पर कांग्रेस को घेरने वाली भारतीय जनता पार्टी भी कुल 9 वर्षों के शासनकाल में भी पटवा डांगर संस्थान द्वारा की जा रही , लूट पर आंखें मूंदे रही।
कृषि मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित” समीक्षा बैठक “में ऐसे गंभीर प्रकरणों में लिप्त दोषियों के खिलाफ, कठोर जांच के बजाय भ्रष्टाचार, मनमानी के रास्ते खोल देना और उन्हें प्रोत्साहित करना, इसके विपरीत अनुसंधान के लिए बेहतर काम करने वाले अधिकारियों को हतोत्साहित करने से भारतीय जनता पार्टी के कामकाज, भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी सरकार पर सवाल उठना लाजमी है।
डॉ0 दिनेश कुमार सिंह को जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी पंतनगर के निदेशक पद से नियमों की अवहेलना करते हुए, क्यों और किस लिए हटाया गया? यह एक बड़ा सवाल है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जी ऐसे प्रकरणों में बिंदुवार निष्पक्ष जांच करवाकर , दोषियों व षड्यंत्र रचने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेंगे या फिर चुनाव होने तक चुप्पी साधे रहेंगे? यह आने वाला समय बताएगा।