स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
विश्वविख्यात शेरवुड कॉलेज के स्वामित्व विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाये रखने के आदेश देते हुए नैनीताल के सिविल न्यायालय से इस मामले की सुनवाई मैरिट के आधार पर नौ माह के भीतर पूरी करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के 27 जनवरी 2021 के आदेश को निष्प्रभावी करते हुए आगरा डायोसिस को बड़ा झटका दिया है । इस आदेश के बाद शेरवुड कॉलेज के प्रिंसपल अमनदीप संधू को राहत मिली है ।
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति लोक पाल सिंह की एकल पीठ ने 27 जनवरी 2021 को जारी अपने आदेश में निचली अदालत का फैसला आने तक शेरवुड कॉलेज के स्वामित्व विवाद पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे । साथ ही उस आदेश में कई अन्य व्यवस्थाएं भी दी थी । जिससे असंतुष्ट होकर शेरवुड डायोसिस कॉलेज सोसाइटी के सचिव और शेरवुड कॉलेज के प्रिंसपल अमनदीप संधू ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अपील दायर की थी । इसमें हल्द्वानी की डिप्टी रजिस्ट्रार चिट्स एंड फंड सोसाइटी को प्रतिवादी बनाया गया ।
बीती 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.एफ.नारीमन और न्यायमूर्ति बी.आर.गवई की खंडपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए नैनीताल के ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिए कि, वह नौ माह के भीतर शेरवुड डायोसिस कॉलेज सोसाइटी के चेयरमैन को लेकर उत्पन्न विवाद की सुनवाई मैरिट के आधार पर पूरी करें । सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के फैसले को भी निष्प्रभावी कर दिया है ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि ट्रायल कोर्ट इस मामले की सुनवाई नौ माह में पूरी नहीं कर पाती है, तो याचिकाकर्ता पुनः सुप्रीम कोर्ट में आ सकते हैं ।ज्ञात रहे आगरा डायोसिस और लखनऊ डायोसिस के चेयरमैन स्वयं को शेरवुड डायोसिस कॉलेज सोसाइटी के चेयरमैन भी मानते हैं और इसी लिहाज से दोनों डायोसिस शेरवुड कॉलेज पर अपना हक जताते हैं । इस सोसाइटी का डिप्टी रजिस्ट्रार चिट फंड हल्द्वानी में रजिस्ट्रेशन है लेकिन उसके असली अध्यक्ष का विवाद है । जबकि सोसाइटी का सचिव अमनदीप संधू स्वयं को बताते हैं ।