रिपोर्टर-मंजु राणा खत्री
श्रीनगर।
अब घर के अंदर बिना पौधों के भी ऑक्सीजन तैयार होगी। गढ़वाल विवि के शिक्षक व शोध छात्रों ने एक यंत्र तैयार किया हैं। इस यंत्र का नाम एल्गफ्लो दिया गया हैं। इस यंत्र में नील हरित जीवाणु (ब्ल्यू ग्रीन
बैक्टीरिया) उगाए जाएंगे और इन नील हरित जीवाणुओं से ऑक्सीजन उत्पादित होगी। जिससे घर के अंदर बिना पौधों के भी प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन रहेगी।
गढवाल विवि के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ी हैं। विवि में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के शिक्षक व शोध छात्रों ने एक यंत्र तैयार किया हैं। जिस यंत्र में नील हरित जीवाणु उगाए जा सकते हैं। नील हरित जीवाणु एक निश्चित समय अवधि तक अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं।
इस यंत्र को एल्ग फ्लो का नाम दिया गया हैं। इसे घर के अंदर कहीं भी रखा जा सकता हैं।इसे तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले माइक्रो बायोलॉजी के सहायक प्रोफेसर राहुल कुंवर सिंह ने बताया कि, वर्तमान समय में कोरोना महामारी के दौरान सरकार व आम लोगों के लिए ऑक्सीजन एक चुनौती बनी रही।
इसी चुनौती ने हमारा ध्यान इस ओर खींचा कि, कैसे घर के अंदर बिना पौधों के ऑक्सीजन उत्पादित हो सकती है। उनकी टीम में शोध छात्रा प्रीति सिंह व राहुल भी शामिल थे।
कैसे बनाया एल्गफ्लो
डॉ राहुल कुंवर सिंह ने बताया कि, एल्ग फ्लो बनाने के लिए सबसे पहले एक-डेढ़ लीटर के छोटे कंटेनर की व्यवस्था की गई। इस कंटेनर में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि, इसमें हवा व प्रकाश की उचित व्यवस्था हो।इसके लिए कंटेनर को इस तरह से आधा खुला रखा गया कि, उसमें हवा तो अंदर जा
सके। लेकिन कोई अन्य जीवाणु या पदार्थ न जा पाए। उचित प्रकाश व्यवस्था के लिए कंटेनर के अंदर एलईडी बल्ब लगाए गए। इन के बल्बों को जलाने के लिए चार्जेबल बैटरी लगाई गई इस तरह एल्गफ्लो तैयार हुआ।
कैसे उत्पादित होती है ऑक्सीजन
एल्गफ्लो के कंटेनर में पानी डाला जाता हैं। पानी में नील हरित जीवाणु (ब्ल्यू ग्रीन बैक्टीरिया) के बीज डाले जाते हैं। पानी में मौजूद पोषक तत्व हवा व प्रकाश की उपस्थिति में नील हरित जीवाणु (ब्ल्यू ग्रीन बैक्टीरिया) उगाते हैं।
करीब 20 दिनों तक इस एल्गफ्लो में काफी अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन उत्पादित होती है। 20 दिन बाद नील हरित जीवाणु (ब्ल्यू ग्रीन बैक्टीरिया) पूरी तरह उग जाते हैं। जिससे ये बैक्टीरिया ऑक्सीजन के अलावा अन्य हानिकारक पदार्थों का उत्पादन भी शुरू कर देते हैं। तब इन्हें निकालकर घर के गमलों में डाल सकते हैं। जहां यह खुद का काम करते हैं। 20 दिन बाद फिर एल्गफ्लो में नए पानी के साथ बीज डालने पड़ते हैं। एल्गफ्लो में नील हरित जीवाणु की ऐनाबैना प्रजाति उगाई जाती हैं ।