देहरादून:
सत्ताधारी भाजपा के नए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने स्वतंत्रा दिवस के मौके पर भू-क़ानून पर उच्च स्तरीय कमेटी बनाने का ऐलान कर दिया है। साथ ही जनसंख्या नियंत्रण पर उच्च स्तरीय कमेटी बनाने की घोषणा भी की हैं।
भू कानून की मांग जोर पकड़ रही हैं । उत्तराखंड की जनता एक आवाज में भू कानून की मांग कर रही हैं ।
बढ़ती भू कानून की मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर से उत्तराखंड की भोली जनता को गुमराह करने के लिए कमेटी दावं खेल दिया और एक नयी कमेटी का गठन कर दिया ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, ‘मैं आप सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस मामले में समग्र रूप से विचार के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा, जो उत्तराखण्ड की भूमि के संरक्षण के साथ-साथ प्रदेश में रोजगार-निवेश इत्यादि सभी पहलुओं को ध्यान में रखेगी।’
दरअसल जब से प्रदेश में धामी ने मुख्यमंत्री पद संभाला हैं तभी से हर मुद्दे के लिए वो एक कमेटी गठित करते आ रहे हैं ।
देवस्थानम बोर्ड पर तीर्थ-पुरोहितों का आंदोलन को लेकर बीजेपी नेता मनोहर कांत ध्यानी की अगुआई में हाई पॉवर कमेटी गठित कर दी गई ।
पुलिस ग्रेड के मसले पर कैबिनेट सब कमेटी बना दी । वेतन विसंगति पर इंदु कुमार पांडे कमेटी बना दी । अब भू क़ानून के साथ साथ जनसंख्या नियंत्रण पर भी कमेटी बनाने का ऐलान कर दिया हैं ।
जहां एक तरफ सारे राज्य कानून बनाकर आगे बढ़ते हैं वही उत्तराखंड में केवल और केवल कमेटी का गठन कर प्रदेश की जनता को गुमराह किया जा रहा हैं ।
आपको बता दें कि 9 नवंबर 2000 को जब यूपी से अलग होकर उत्तराखंड राज्य बना था तब यहां साल 2002 तक बाहरी राज्यों के व्यक्ति 500 वर्ग मीटर तक जमीन खरीद सकते थे। इसे साल 2007 में मुख्यमंत्री जनरल बीसी खंडूड़ी ने घटाकर 250 वर्ग मीटर कर दिया था। लेकिन 6 अक्टूबर 2018 में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एक नया अध्यादेश लाए, जिसका नाम ‘उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1950 में संशोधन का विधेयक’ था. इसे विधानसभा में पारित किया गया। बाद में इसमें धारा 143 (क), धारा 154(2) जोड़ी गई जिसके तहत पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को खत्म कर दिया गया।
इसके बाद अब कोई भी राज्य में कहीं भी भूमि खरीद सकता है। साथ ही इसमें उत्तराखंड के मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार और यूएसनगर में भूमि की हदबंदी (सीलिंग) खत्म कर दी गई। इससे इन जिलों में तय सीमा से अधिक भूमि खरीदी या बेची जा सकेगी।
इससे बाहरी राज्य से आये लोग उत्तराखंड की जमीनों पर कब्जे कर रहे हैं जिससे क्षुब्ध होकर उत्तराखंड में भू कानून की मांग जोर पकड़ रही हैं ।
अब देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि उत्तराखंड में बस कमेटी का गठन होगा या कानून भी पारित किया जायेगा ।