देवेश आदमी
कल शाम की बात है। मैं अपने पुस्तकालय के बाहर बैठा हुआ था। लॉकडाउन के चलते काम तो हो रहा है मगर छिप-छिप कर। शाम ढल रही थी आठबाखल के ऊपर धूप डिंड को निकल गई थी। कुछ नौजवान लड़के मेरे पास आये और बोले।
देवेश भाई आप सामाजिक कार्यकर्ता हो क्षेत्र की भलाई चाहते हो, हमें आप से बड़ी उम्मीदें है। आप क्षेत्र में बहुत बड़ा काम करोगे। एक काम हम भी बताते है और उस कार्य में हम सब आप के साथ है क्षेत्र के ही नही पूरे उत्तराखंड के युवा आप को सपोर्ट करेंगे।
हम बोले काम क्या है…?
लड़के बोले दिल्ली निजामुद्दीन की घटना सुनी है भाई…?
मैंने कहा जी सुनी है।
बोला भाई क्षेत्र के सभी मुस्लिमों को भगाना है। यहां भी ऐसी घटना हो सकती है।
मैंने कहा कब से यह काम करना है बोलो तैयार हूँ…?
मैं जानता हूँ युवा का जोश दूध के उमाल की तरह होता है आंच कम करो तो पतीले में ही बैठ जाता है और अगर आंच बनी रहे तो सैलाब अजाता है। वे बोले कल से…युवाओं का सही स्तेमाल करना आना चाहिए अन्यथा परिणाम बहुत भयानक होंगे देश युवाओं का है और युवा सही राह पर होने चाहिए। जिस राष्ट्र का युवा भटका हुआ है वहाँ अराजकता बनी हुई है। युवाओं को समझना चाहिए भारत धर्मनिरपेक्ष देश सिर्फ संबिधान की नज़र से है।
अब मैंने उन से सवाल पूछा भाई आप में से कितने लोग बाहर शहरों में रहते हो.?? सब ने कहा हम सभी आठ लोग बाहर ही नोकरी करते थे लॉक डाउन चल रहा है तो गाँव आये है। जब मैंने उन को सैलरी पूछी तो किसी की भी तनख्वाह 12 हजार से अधिक नही थी। तकरीबन सभी मेरे सामने होटल की नोकरी करने महानगरों में आये कुछ को तो हम ने कही दफा नोकरी लगाई है खैर छोड़िए कुछ लड़के अन्य फील्ड में भी कार्यरत थे पर पगार अधिक नही थी।
मैंने एक बंदे को पूछा क्या आप बूचड़खाने का काम करोगे। सिर्फ बकरा व मुर्गी मारना है काम मैं करवाऊंगा क्यों कि बकरा मुर्गी दोनों मेरे पास है फ़िलहाल कोई इन्वेस्ट नही है चाकू छुरी तक मिल जाएगा और आप होटल वाले हो तो यह काम आप ने सीखा होगा…? जवाब था मैं मुसलमान नही…मैने कहा भाई चिकन मटन खाते हो होटल में पकाते भी हो पर काटोगे नही क्यों….? जवाब था यह हमारी जाती व धर्म को सोभा नही देता हिन्दू धर्म मे यह सही नही है। तो मैंने कहा जब मंदिर में बलि देते है या घर में जात व पूजै करते हो वह क्या है…? जवाब था भाई हम आप को देशभक्त समझे आप तो पक्की वाले बामपंथी हो….इस का मतलब समाजसेवा सिर्फ ढोंग है…
आज 22 वर्ष के अबोध बालक को यह मालूम है कि बामपंथी किसे कहते है। यह किस ने सिखाया उसे सेक्युलर की परिभाषा उसे भलीभांति मालूम है कोन है जो इन के मन मेम जहर घोल रहा है।
दूसरे को हम ने कहा भाई पंचर लगाने का काम करोगे…? जवाब था नही बिल्कुल नहीं….
अन्य सभी से हम ने बारी बारी पूछा क्या आप नाई का काम करोगे..? क्या आप फेब्रिकेटर्स/कारपेंटर/राजमिस्त्री/पलम्बर/ठठेरा/कबाड़ी का कार्य करोगे ट्रेनिंग करना मेरा काम है। सभी का जवाब था भाई आप ही क्यों नही करते हो यह सब काम…?
मैंने कहा मैं बकरी पाल रहा हूँ मुर्गी है स्टेशनरी बेचता हूँ खेती भी कर रहा हूँ इस लिए नही करता हूँ कि मेरे पास समय नही है। अगर आप लोग कोई भी काम करना चाहते हो तो मैं श्रम मंत्रालय से आप सब को टूल दिलाऊंगा ओर काम सुरु करने में आप की मदद करूँगा। और मेरे क्षेत्र में जिस दिन अपने लोग यह काम करना सुरु करेंगे मैं बिना किसी दबाव के मुस्लिमों को भगाना सुरु कर दूंगा। पर हमें यह सब कार्य के लिए लोग कहाँ से मिलेंगे। जब अपने लोग ऐसे कार्य को गलत काम कहेंगे जब कि यह सब काम दिमाग लगाने वाले काम हैं मेहनत के काम है इन सब कामों में तुरंत पैसा है और बहुत अधिक बचत होती है।
सभी युवा नाराज होकर चले गए और जाते जाते यह कह गए हम अपने आप कुछ करते हैं। तुम से नही हो पायेगा।