नरेन्द्र रावत, जोशीमठ
पीड़ा ( दुःख) पहाड़ की : एक परिवार ऐसा भी ??
ये दो नम आंखे आज भी गरीबी और अमीरी का फर्क ढूंढ़ रहे हैं।सीमांत घाटी के ग्राम सभा सूकी भलगांव(सुराइथोटा) में आज भी एक परिवार इसकदर गरीबी की बेड़ियों में बंधा हुआ है।
सीएम हेल्पलाइन भी बेअसर
65 वर्षीय प्रताप सिंह और साठ वर्षीय हुंती देवी का मकान आपदा में टूट गया था और आज यह एक सरकारी स्कूल के कमरे में रह रहे हैं। दोनों मानसिक रूप से विकलांग हैं। गांव के ग्राम प्रधान का कहना है कि इनके लिए इंदिरा आवास सरकार से मांगा गया था लेकिन स्वीकृत नहीं हो सका। इसकी फरियाद सीएम हेल्पलाइन में की गई, लेकिन वह फरियाद भी बेअसर रह गई।
आज अनेक सरकारी योजनाओं के बाद भी इस परिवार को आज तक शासकीय योजनाओं का लाभ नही मिल पाया। आज इस परिवार के पास ना रहने के लिए सुरक्षित मकान है,न शौचालय। जबकि यह गांव ओडीएफ अर्थात खुले में शौच से मुक्त घोषित है।
इतनी दयनीय आर्थिकी होने के बावजूद भी यहां मंत्री और जनप्रतिनिधि की मिली भगत से इस गरीब परिवार के कार्ड भी APL बन जाता है,क्योंकि इनके लिए कहने वाला कोई नही। ये आवाज नही उठा सकते।
इस गांव के बड़े बड़े नेता केवल सोशल मीडिया के माध्यम से विकास की बड़ी बड़ी बातें करते हैं। उस गांव के नेताओं से पूछा जाना चाहिए कि आखिर इस परिवार पर कभी उनका ध्यान आकर्षित नही हुआ होगा ! ,वैसे होना भी क्यों चाहिए ,क्योंकि इनके पास न रहने के लिए ,,न किसी को कुछ देने के लिए है।