सूरज लडवाल/चम्पावत
सहित समूचे राज्य में शराब की दुकानों के खुलने की आहट होते ही जिले की महिलाओं ने सरकार के खिलाफ गुस्सा ब्यक्त करना शुरू कर दिया है। महिलाओं के साथ-साथ, लॉकडाउन में उत्पन्न हुई विषम परिस्थितियों में जरूरतमंदों को आवश्यक सामग्री, सेनेटाइजर व साबुन वितरित करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित क्षेत्र के शिक्षित वर्ग ने भी सरकार द्वारा लिए गए शराब की दुकानों को खोलने के फैसले की घोर निन्दा की है।
अलग-अलग राज्यों में फँसे प्रवासी मजदूरों ने भी सोसल मीडिया के जरिए सरकार के फैसले पर गुस्सा ब्यक्त किया है। पंजाब के भटिंडा में फँसे प्रवासी युवाओं से दूरभाष पर कहा कि एक ओर जहाँ सरकार प्रवासी मजदूरों की घर वापसी करवाने में हाथ खड़े करती नजर आ रही है तो दूसरी ओर उत्तराखंड में सोशल डिस्टेंसिंग को ढोंग दिखाने के लिए शराब की दुकानों को खोल रही है, जो भविष्य में राज्य के लिए एक बड़े संकट के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार की भविष्य की कुर्सी के लिए भी खतरे की घंटी बन चुका है।
इधर एक ओर युवा सोसल मीडिया पर मुख्यमंत्री के अजीबोगरीब फरमानों की मजाक बना रहे हैं तो उधर मुख्यमंत्री इतना ट्रोल होने के बाद भी प्रवासी मजदूरों की घर वापसी की कोई ठोस रणनीति नहीं बना रहे हैं। जिससे अब युवाओं का राज्य की मौजूदा सरकार के प्रति भी रूख बदलता नजर आने लगा है।
पाटी तहसील की सीमा से संटे गाँव सीमलकन्या निवासी पंजाब के भटिंडा में फँसे प्रवासी मजदूर बलवंत सिंह बोरा और पाटी गाँव के अम्बाला में फँसे संजय पाटनी का कहना है कि घर वापसी के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई वेबसाइड पर आवेदन किया गया है, लेकिन अब 1 हफ्ता बीतने ही वाला है, लेकिन अब भी आवेदन को अप्रूव नहीं किया जा रहा है। जिससे उनका लगातार राज्य की त्रिवेन्द्र सरकार से विश्वास उठता जा रहा है।
यही हाल दिल्ली, गुजरात, पूना, चंडीगढ़, मुम्बई, राजस्थान सहित समूचे भारत में फँसे लोगों का है और अब उन लोगों का गुस्सा सोशल मीडिया के माध्यम से राज्य सरकार पर जमकर बरस रहा है। जो मौजूदा त्रिवेंद्र सरकार की भविष्य की कुर्सी के लिए खतरे की घण्टी बन चुका है।