छापेमारी में सरस्वती क्लीनिक पर भारी अनियमितता पाई गई थी। क्लीनिक पर बिना अनुमति के एंटीजन रैपिड टेस्ट किये जा रहे थे और मरीजों की अवैध रूप से क्लीनिक संचालक ललित कुमार द्वारा कोरोना जांच भी की जा रही थी।
संयुक्त टीम द्वारा जब सरस्वती क्लीनिक पर तलाशी ली गई और जानकारी की गयी, तो क्लीनिक संचालक डा0 ललित कुमार द्वारा अवैध तरीके से बिना अनुमति के लोगों के कोरोना टेस्ट करने के उपकरण, जिसमें कुछ नये व कुछ इस्तेमाल किये गये गये थे बरामद हुए।
जिस पर सरस्वती क्लीनिक संचालक डा0 ललित कुमार को बिना अनुमति के कोरोना महामारी संक्रमण के एंटीजन व रैपिड टेस्ट कर लोगों का जीवन खतरे में डालने पर मय कोरोना जांच उपकरण के सरस्वती क्लीनिक सेलाकुई से समय पांच बजे गिरफ्तार किया गया था।
इस प्रकरण में पुलिस द्बारा डॉक्टर ललित कुमार के विरूद्ध थाना सेलाकुई पर धारा 188 भादवि 51 ख एन0डी0एम0 एक्ट व 2/3 महामारी अधिनियम में मुकदमा पंजीकृत किया गया था। जिस पर आरोपी चिकित्सक डॉक्टर ललित कुमार क़ो कोर्ट में पेश किया गया । वहां से जमानत मिल गई, जबकि क्लीनिक संचालक के पास से कोरोना एंटीजन किट-24, नमूना सुरक्षित करने वाली किट-25, सैम्पल रनिंग बफर-03, रैपर कोरोना एंटीजन किट-06(इस्तेमाल किये हुए)बरामद हुए थे।
हालांकि सेलाकुई पुलिस द्वारा महामारी काल में कार्यवाही तो की गई, लेकिन जानकारों क़ा यह कहना है कि, जिन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया है ,वह धाराएं ऐसे अपराध में बहुत मामूली है।
कहा कि, सरस्वती क्लीनिक के संचालक ललित कुमार द्बारा लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया गया है। राष्ट्रीय जीवन सुरक्षा क़ो खतरे में डाला गया है। संचालक द्वारा कितने लोगों का कोविड टेस्ट किया गया है,उनमें से कितने लोग पॉजिटिव रहें होंगे, यह कोई ब्यौरा नहीं दिया गया ।
जो लोग क्लीनिक संचालक की जाँच में पॉजिटिव रहें होंगे, वह कितने लोगों के संपर्क में आये होंगे। उनके द्बारा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर संक्रमण भी फैलाया गया होगा। जिसकी जानकारी क्लीनिक संचालक द्वारा छिपाई गई है।
पुलिस के उच्चाधिकारियों क़ा कहना भी है कि, जो व्यक्ति कालाबाजारी य़ा कोरोना महामारी अधिनियमों क़ा उल्लंघन करता है तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ गंभीर धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया जाये, लेकिन सरस्वती क्लीनिक के संचालक डॉक्टर ललित कुमार पर जिन धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया गया है, वह पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े करती है।
विधिक जानकारों क़ा कहना है कि, डॉक्टर ललित कुमार द्बारा बिना अनुमति के एंटीजन व रैपिड टेस्ट किये गए व जानकारियां शासन प्रशासन से छिपाई गई है। ऐसे में उनके द्वारा एक बहुत ही गंभीर व जानलेवा अपराध किया गया है ।
बड़ी भारी संख्या में लोगों के जीवन क़ो खतरे में डाला गया है। ऐसा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ तो बहुत गंभीर धाराएं व अपराध सिद्ध होता है, लेकिन स्थानीय पुलिस द्वारा जिन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया है, यह धाराएं नाकाफी है।
साथ ही क्षेत्र में यह चर्चाएं भी हैं कि, डॉक्टर ललित कुमार बहुत प्रभावशाली व्यक्ति है व उसके संबंध बड़े सफेदपोश व अधिकारियों से भी है।
ऐसा कहा जा सकता है कि, उसी के बल पर दबाव बनाकर उसने इतनी गंभीर अपराध में राहत देने का काम किया है । यह भी कहा जा रहा है कि, ललित कुमार के ऊंचे रसूख के सामने पुलिस भी कहीं दबाव में ना आ गयी हो जो हल्की धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया गया है।
क्षेत्र में तो चर्चाएं यह भी है कि, डॉक्टर ललित कुमार पूर्व में भी इसी तरह की घटनाओं में शामिल रहा है। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि, अवैध रूप से किये जा रहें एंटीजन रैपिड व कोविड टेस्ट की डॉक्टर ललित कुमार मनमर्जी फीस वसूलता है।
पुलिस की मजबूरी आखिर क्या रही, जो ऐसे आरोपी को अभयदान दिया गया है। यह उच्च स्तरीय जांच के बाद ही सामने आएगा।
सरस्वती क्लीनिक के संचालक डॉक्टर ललित कुमार को गिरफ्तार भी किया गया। उसके बाद कोर्ट से उसे जमानत भी मिल जाती है । जमानत मिलने के बाद डॉक्टर ललित कुमार अगले ही दिन अपने क्लीनिक पर उसी अंदाज में बैठा हुआ पाया गया। उसे देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने कोई अपराध किया ही नहीं अब सवाल यह खड़ा होता है कि, आखिर पुलिस की क्या मजबूरी थी जो हल्की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।
जिससे ऐसे जघन्य अपराध में डॉक्टर ललित कुमार को जमानत मिल गयी। जबकि ऐसे अपराध में अकेला डॉक्टर ललित कुमार शायद अकेला नहीं है। यह एक बहुत बड़ा नेटवर्क हो सकता है। जिसकी जांच की जानी अति आवश्यक थी।
पुलिस ने डॉक्टर ललित कुमार पर ही हल्की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर अपने कार्य की इतिश्री कर ली,जबकि अन्य आरोपियो की धरपकड़ के लिऐ कोई प्रयास होता दिखाई नहीं दे रहा है। ना ही ठोस कानूनी कार्यवाही की गयी, जिससे पुलिस महकमा क्षेत्र में चर्चाओं में हैं ।
कुछ दिन पहले सूबे के मुखिया द्वारा कालाबाजारी करने वालों पर कठोर दंडात्मक कार्यवाही करनी की बात कही गयी थी, लेकिन सेलाकुई स्थित सरस्वती क्लीनिक को ना ही तो सील किया गया और ना ही उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।
क्षेत्रवासियों क़ा तो यह तक कहना है कि, ऐसे अपराधियो क़ो तो ऐसी सजा मिलनी चाहिऐ, जो भविष्य में कोई भी डॉक्टर य़ा अन्य ऐसी हरकत करने की सोचे भी ना। लेकिन जिस तरह से डॉक्टर ललित कुमार की रिहाई हुई इससे तो कालाबाजारी करने वालो व मानव जीवन के साथ खिलवाड़ करने वालो क़ो बल मिलेगा।
झोलाछाप व रसूखदार डॉक्टर ऐसी ही अपनी दुकाने चलाते रहेंगे और लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर मौत के मुंह में भेजते रहेंगे।
सबसे बड़ी चिंता की बात तो यह है कि, उक्त चिकित्सक द्बारा प्रशासन क़ो उन लोगों की जानकारी तक नहीं दी गई, जिनका एंटीजन रैपिड टेस्ट किया गया है ।
बताया जा रहा है कि, उक्त क्लीनिक पर कई लोग जांच में पॉजिटिव पाये गए है। ऐसे पॉजिटिव लोगों क़ा इलाज भी सरस्वती क्लीनिक पर ही मनमाने दामों पर कर लोगों से वसूली की गई है।
आज तक यह मालूम नहीं है कि, जिन लोगों क़ा इलाज सरस्वती क्लीनिक पर किया गया है। उनमें से कितने लोग जिंदा है और कितने मर गए।
साथ ही यह भी जानकारी प्रशासन के पास नहीं है कि, जिन लोगों ने यहां जाँच कराई है। उन लोगों की वर्तमान स्थिति क्या होगी।
एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि, इस प्रकरण में जो कोरोना टेस्ट कीट इस्तेमाल की गई है। वह कहाँ से प्राप्त की गई है। जिस व्यक्ति से डॉक्टर ललित कुमार कोरोना टेस्ट किट प्राप्त की है, उस व्यक्ति द्वारा ऐसा भी हो सकता है कि,उसने कहा कोरोना टेस्ट किट बांटी है।
कहीं ऐसा तो नहीं सरस्वती क्लीनिक की तर्ज पर ओर कही भी एंटीजन रैपिड टेस्टअवैध रूप से की जा रही है। अगर इस प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की जाये तो यह कालाबाजारी व लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले बहुत बड़े गिरोह क़ा पर्दाफाश हो सकता है ।
डॉक्टर महामारी काल में ऐसे ही लोगों की जान से खिलवाड़ करके अवैध कमाई करते रहेंगे और हल्की आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाता रहेगा और लोग जमानत पर बाहर आकर फिर से अपनी दुकाने चलाते रहेंगे।
सेलाकुई में सरस्वती क्लीनिक पर अवैध रूप से किये गए। एंटीजन रैपिड टेस्ट किये जाने की ख़बर के बाद भय का माहौल है । क्योंकि ना ही तो प्रशासन के पास जानकारी है और ना ही क्षेत्रवासियों के पास ऐसे में सेलाकुई पुलिस द्वारा डॉक्टर ललित कुमार से सख्ती से पूछताछ की जानी थी और सभी संक्रमित व असंक्रमित लोगों की जानकारी जुटाई जानी चाहिए थी। जिससे जरूरी सावधानियां बरतकर अन्य लोगों को बचाया जा सके।