डिजिटल इंडिया के साथ ही देश में बड़ा है डिजिटल स्कैम। वर्ष 2014-15 के बाद से जितनी तेजी से भारत डिजिटल की ओर बढ़ा है उतनी ही तेजी से साइबर ठगी के मामले भी देश में बढ़ा हैं।
आए दिन लोग स्कैम्स का शिकार होते ही रहते हैं। आज हम जैसे स्कैम की बात कर रहे हैं वह है क्यूआर कोड स्कैम।
अगर रिपोर्ट्स के माने तो आज जितने भी डिजिटल फ्रॉड हो रहे हैं उसमें लगभग 41% मामले क्यूआर कोड स्कैम से जुड़े हैं।
क्यूआर कोड स्कैम में नकली क्यूआर कोड से फ्रॉड को अंजाम दिया जाता है। ऐसे में क्यूआर कोड स्कैन करते वक्त सावधान रहना चाहिए। वरना आप भारी नुकसान का सामना कर सकते हैं।
क्यूआर कोड स्कैम में एक मैलेशियल कोड को रियल क्यूआर कोड में इनबिल्ट कर दिया जाता है। इसके बाद जब कोई क्यूआर कोड स्कैन करता है, तो उसे दूसरे क्यूआर कोड पर ट्रांसफर कर दिया जाता है, जो आपके फ्रॉड की वजह बनता है। इस तरह हैकर्स आपके डिवाइस का कंट्रोल अपने हाथ में ले लेता है।
स्कैमर्स एक क्यूआर कोड बनाता है, जो एक फ्रॉड सोर्स से लिंक रहता है। यह कोड किसी पापुलर ब्रांड और कंपनी का होता है। इसके बाद स्कैमर्स यह कोड पब्लिक प्लेस में रख देते हैं। इस तरह के क्यूआर कोड फ्रॉड की वजह बनते हैं।
जब आप किसी मैलेशियल क्यूआर कोड को स्कैन करते हैं, तो वो आपको फर्जी वेबसाइट और वेब पेज पर शिफ्ट कर देता है।
फिशिंग वेबसाइट पर्सनल जानकारी चोरी करके आपके बैंक अकाउंट को खाली कर सकती हैं।
ये सावधानियां बरतें:
- पब्लिक प्लेस में मौजूद क्यूआर कोड को स्कैन करने से बचना चाहिए। खासतौर पर उन क्यूआर कोड से बचना चाहिए, जो भरोसेमंद नहीं है।
- क्यूआर कोड को स्कैन करने के लिए क्यूआर कोड् स्कैनर ऐप का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर क्यूआर कोड डेस्टिनेशन सोर्स तक नहीं पहुंचता है, तो उसे स्कैन करने से बचना चाहिए।
- केवल ऑफिशियल ऐप्स को ऐप स्टोर से डाउनलोड करना चाहिए।
- मैलवेयर से बचने के लिए डिवाइस में सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना चाहिए। साथ ही डिवाइस को हमेशा लेटेस्ट सॉफ्टवेयर से अपडेट रखें।
- अगर कोई ईमेल या फिर मैसेज आपसे पर्सनल जानकारी मांगते हैं, तो यह स्कैम का साइन हो सकते हैं।