हिमाचल के राजभवन के एक पत्र पर एक मॉडल हिमाचल से बाकायदा सेना के हेलीकॉप्टर के द्वारा देहरादून स्थित अपने घर में आ गई।
राज भवन का पत्र
और अब यह माॅडल देहरादून में क्या कर रही है, अब वह सुनिए हिमाचल राजभवन के द्वारा की गई स्पेशल व्यवस्थाओं के फल स्वरुप देहरादून पहुंची मॉडल जैनी उर्फ जयंती देहरादून स्थित अपने घर में पहुंची तो पता चला कि उन्हें सपरिवार होम क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है लेकिन मॉडल और मॉडल का परिवार क्वॉरेंटाइन के नियमों का जरा भी पालन नहीं कर रहा है।
जैनी उर्फ जयंती अपने पिता के साथ नवोदय विद्यालय के क्वार्टर्स में एक टू रूम सेट में रहती है।
इनके पिता शिक्षा निदेशालय में कार्यरत हैं।
कायदे से इनके पिता को भी होम क्वॉरेंटाइन में घर में ही रहना था, और यह परिवार क्वॉरेंटाइन के नियमों का जरा भी पालन नहीं कर रहा है। इसके पर्वतजन के पास पुख्ता सबूत हैं।
पर्वतजन से बातचीत में इस मॉडल ने पहले महाराष्ट्र राज्यपाल के पास से आने की बात कही किंतु बाद में मुकर गई और अपने हिमाचल राजभवन से पास बनाकर हिमाचल से आने की बात पर्वतजन से कही तथा दस्तावेज भी उपलब्ध करा दिए।
उसके बाद पर्वतजन ने अपनी खबर फिर से अपडेट की। पर्वतजन ने इनसे अपनी बात से मुकरने का कारण पूछा तो इनका कारण बताना था कि वह तो महाराष्ट्र आई जरूर थी लेकिन वह दो महीने पुरानी बात है और उन्हें समझने में कुछ गलतफहमी हुई।
बहरहाल व्यापक जनहित और देशहित का मुद्दा यह है कि यह मॉडल होम क्वॉरेंटाइन का पालन नहीं कर रही है और ना ही इन्होंने समय पर अपने आगमन की सूचना थाने में दी एक मॉडल आम आदमी के लिए रोल मॉडल होती है और अगर इन्हीं के द्वारा लॉक डाउन और होम क्वॉरेंटाइन के नियमों का उल्लंघन किया जाएगा तो आम लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है !
बद्री केदार के रावल ने भले ही खुद को बद्री केदार पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री तक को चिट्ठी लिखनी पड़ी हो लेकिन इस मॉडल को देहरादून तक पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं हुई।
काश ऐसी किस्मत हमारे प्रवासी भाइयों की भी होती।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मॉडल और उसके परिवार को 17 मई तक के लिए लॉक डाउन किया गया है।
यह 28 अप्रैल को देहरादून पहुंची थी। मॉडल जयंती रायपुर थाने में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के बजाए सीधे घर चली गई 30 तारीख को जब दो पुलिसकर्मी इनके घर पहुंचे तब जाकर वह अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए थाने गई हालांकि यह बात पर्वतजन को इस मॉडल ने बताई जबकि रायपुर थाने के सीनियर सब इंस्पेक्टर ने पर्वतजन से फोन पर बताया कि जयंती अथवा उनके पिता के नाम से थाने में उन्हें होम क्वॉरेंटाइन कराने का कोई भी रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।
सवाल यह है कि मॉडल द्वारा बाद में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के अनुसार हिमाचल में एक सहमति अथवा बंधपत्र भरा था जिसमें उन्होंने शपथ की थी कि वह सबसे पहले रायपुर थाने में जाएंगी और अपने परिचित को थाने में बुलाएंगे तथा उसके बाद ही अपने घर जाएंगे।
किंतु इन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया और लगातार होम क्वॉरेंटाइन का उल्लंघन करती रहीं। इससे इनके नवोदय विद्यालय स्थित आस-पड़ोस के लोगों में काफी खौफ है और इनके होम क्वॉरेंटाइन के उल्लंघन का विरोध किया है ।
ऐसे में मॉडल के पिता का कार्यालय आने-जाने और और इनके द्वारा होम क्वॉरेंटाइन का पालन न करने से क्या दिक्कतें हो सकती है यह पर्वतजन के जागरूक पाठकों को बताने की जरूरत नहीं है।
सवाल यह भी है कि क्या लॉक डाउन के नियमों का पालन करने की जरूरत इस मॉडल को नहीं है !
उत्तर प्रदेश के बाहुबली विधायक अमनमणि के लिए पास बनाने के कारण वरिष्ठ नौकरशाह ओमप्रकाश की जांच की मांग हो रही है लेकिन इस मॉडल को हिमाचल से देहरादून पहुंचाने के लिए भी राज्यपाल महोदय पर भी कुछ जबाबदेही बनती होगी या नहीं!
एक अहम सवाल यह भी है कि लॉकडाउन, होम क्वॉरेंटाइन के नियमों का उल्लंघन करने पर इस मॉडल और इसके परिवार पर क्या कार्यवाही होगी !
उत्तराखंड में विगत काफी समय से जिस तरह से राज्य की कानून व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है और बाकायदा दुर्भावना से ग्रसित होकर के जिस तरीके से पुलिसिया और कानूनी कार्यवाही की जा रही है, उससे यह नहीं लगता कि इन सवालों का जवाब मिल पाएगा।
बहरहाल प्रचंड बहुमत के इस दौर की यही हकीकत है।