हरदा और भगत दा में शुरू रामलीला। हरदा को कालनेमि राक्षस की संज्ञा, भगत दा को रावण के डायलाॅग। मुद्दे फिर हवा
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत में फिर से “रामलीला” शुरू हो गई है। हरिद्वार में हर की पैड़ी स्थित गंगा के मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर शुरू हुए युद्ध ने अब जमरानी बांध से लेकर एचएमटी फैक्ट्री, आईडीपीएल आदि को भी अपनी लपेट में ले लिया है। हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर जब टिप्पणी की कि बंशीधर भगत दशरथ का पाठ करते हैं लेकिन बहुदा संवाद रावण वाले बोल जाते हैं।
इस बात से स्टार्ट करते हुए उन्होंने कहा कि गंगा को स्क्रैप चैनल के संदर्भ में उन्होंने जो निर्णय लिया था उसे भाजपा सरकार को अब जनहित में पलट देना चाहिए। इस टिप्पणी पर बंशीधर भगत ने शाम को विस्तृत पोस्ट लिखते हुए कहा कि हरीश रावत कांग्रेस के कालनेमि राक्षस है।
बंशीधर भगत ने कहा कि केंद्र में मंत्री रहते हुए और प्रदेश में मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत ने कुछ काम नहीं किए और भाजपा सरकार अब उनकी गलतियों का सुधार अवश्य करेगी। आइए देखते हैं पहले हरीश रावत ने क्या लिखा और फिर बंशीधर भगत ने किस तरह से पलटवार किया
हरीश रावत की पोस्ट
#भाजपा अध्यक्ष #बंशीधर_भगत जी #रामलीला में दशरथ का पाठ करते हैं, मगर बहुधा संवाद रावण वाले बोल जाते हैं। वो चाहते हैं कि, मैं प्रायश्चित करूं, भगत जी मैं निश्चित तौर पर 2022 में कांग्रेस की सरकार वापस लाकर प्रायश्चित करूंगा। आपने बहुत ठीक कहा कि, मेरी कुछ कमियां रह गई, जिन कमियों के कारण 2017 में #उत्तराखंड में मेरे बाद कुछ भी काम न करने वाली सरकार आयी। रामपुर तिराहा कांड में कौन दोषी है, इस विषय में मुझसे पूछने के बजाय, उस समय के श्री #सतपाल_महाराज जी के बयानों को जरा सा पढ़ लीजियेगा और यदि आपको वो बयान न खोजने को मिलें, इतना जरा याद कर लीजियेगा कि, रामपुर तिराहा कांड का एक अभियुक्त, आपके किस नेता का जो #मुख्यमंत्री भी रहे, #केन्द्र में मंत्री भी रहे, उनके प्राइवेट सेक्रेटरी रहे हैं और जिस दिन आप इस सत्य को खोज लेंगे तो फिर रामपुर तिराहा कांड में भाजपा की भूमिका के लिये, आपके पास माफी मांगने के अलावा कोई रास्ता नहीं रहेगा।
आप मुझसे कहते हैं कि, #केंद्रीय_मंत्री के रूप में क्या किया, मैं तो जमरानी को नेशनल प्रोजेक्ट के रूप में राज्य को देकर के गया, मगर आपके नाम राशि जब वहां से नेता बने, तो उन्होंने #एचएमटी को जो हमारी शान थी उसको बंद करवा दिया, #आईडीपीएल जो हमारी शान थी उसको बंद करवा दिया, बस्ता बड़ा लंबा है, आपकी पार्टी के और आपके नेताओं के कुछ न करने का, तो आगे जितना खुलावोगे उतना खुलता जायेगा, बेहतर यह है कि, #मां_गंगा को #स्क्रैप_चैनल के सन्दर्भ में जो निर्णय उस समय लिया गया, वो उस समय के जनहित को देख कर लिया गया, अब हम सबके भावात्मक हित में आप उस निर्णय को वापस करवाईये, उसको रद्द करवाईये।
बंशीधर भगत की पोस्ट
प्रिय हरीश रावत जी!
शायद आपको मेरी बात थोड़ी कड़वी लगी हो, परन्तु मैं आपको बताना चाहता हूँ कि “सच कड़वा होता है” और आप की बौखलाहट इसका परिणाम है। लेकिन आपने बिल्कुल ठीक कहा कि मैं रामलीला में दशरथ का पाठ खेलता हूँ अगर आपने रामलीला देखी होगी तो आपको राजा दशरथ का एक वक्तव्य याद होगा “हम नहिं बोले झूठ, पलट जाए चाहे जमीं सारी”।।
मुझे गर्व है कि हम इस सनातनी परंपरा का निर्वहन सार्वजनिक जीवन में भी कर रहे हैं, हम तो भगवान श्री राम चंद्र जी के भक्त हैं और पूरी दुनिया ने भी यह देख लिया कि अयोध्या की पावन राम जन्म भूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है, रावण रूपी हम नहीं हैं, वे तो कांग्रेसी नेता व उनकी सरकारें रही हैं, जिन्होंने भगवान श्री राम चंद्र जी के काल्पनिक होने का दावा किया था।
आप कांग्रेस के वे कालनेमि हैं जिसे हनुमान जी का रास्ता रोकने के लिए कांग्रेस रूपी रावण ने भेजा है, मगर आपको ये याद तो होगा ही कि कालनेमि हनुमान जी के हाथों मात खाता है, ठीक उसी तरह 2022 में भी ये हनुमान रूपी जनता आप जैसे कालनेमि को फिर से परास्त अवश्य करेगी। उत्तराखंड आंदोलन के समय में मुलायम सिंह जी से आपकी दोस्ती जग ज़ाहिर है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर कांग्रेस ने कितने घोटाले किए सब भली भांति जानते हैं।
मान्यवर, आप जनता को जवाब दें कि उत्तराखंड का विशेष पैकेज एवं विशेष राज्य का दर्जा जब केंद्र में आपकी सरकार समाप्त कर रही थी तो आप दिल्ली में धरने पर क्यों नहीं बैठे? आपको धरना देने का बड़ा शौक़ है, तो उस वक़्त आप कैसे भूल गए ??
वैसे आप की धरना राजनीति की एक विशेषता यह भी है कि उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने के लिए आप ने अपने ही मुख्यमंत्रियों की जड़ों में खूब मट्ठा डाला, आप रायता फैलाने में विशेषज्ञ हैं, लेकिन अब आपके ये सारे खेल दुनिया जान चुकी है और आपकी पार्टी के नेता भी इस वक्त आपके इस रायते से बचने की कोशिशों में लगातार दिखते हैं।
जहाँ तक IDPL और HMT का सवाल है, रावत जी भूल गए कि ये दोनों केन्द्र सरकार के प्रतिष्ठान थे जिनकी स्थापना 1961 में हुई थी, लेकिन केंद्र में कांग्रेस सरकारों की नीतियों व ख़राब प्रबंधन के कारण ये लगातार डूबती गई और अंततः बंद हो गई, हम तो हमेशा ही इनके पुनर्जीवन के पक्ष में रहे हैं।
रावत जी आपमें एक और विशेषता है कि खुद तो कुछ करते नहीं किंतु जब भाजपा सरकार बड़ा काम करती है तो आप तुरंत श्रेय लेने की जुगत में लग जाते हैं, चाहे ऑल वेदर रोड हो या जमरानी बांध का मामला हो, लेकिन यह तो बता दीजिए कि आपने मुख्यमंत्री रहते हुए बिना पैसे स्वीकृत किए जो हज़ारों घोषणाएँ की थी उनका क्या हुआ? कोई एक आध भी पूरी हुई या वह भी नहीं ?? मान्यवर, अब जनता काम व नौटंकी का फ़र्क़ समझती है।
मैं प्रदेश की जनता को बताना चाहता हूँ कि कांग्रेस ने काले कारनामों से जो भी काम बिगाड़े हैं, भारतीय जनता पार्टी की सरकारें उन सभी कार्यों को जनहित के लिए दुरस्त करती रही हैं और आगे भी करेंगी और बात रही कांग्रेस की तो इनकी सरकार ने अपने शासनकाल में जिस तरह हिंदू मान्यताओं का अपमान किया, उससे नहीं लगता कि ये कभी सत्ता में अब आ पाएंगे।
माननीय रावत जी यह माँ गंगा के प्रति आपकी नफरत भरी राजनीति ही थी कि आप माँ गंगा को नहर और नाला करार दे बैठे, हमारी सरकार आपकी इस गलती का सुधार अवश्य करेगी। खैर माँ गंगा आपको सद्बुद्धि दे।