कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए भारत सरकार की निर्धारित गाइडलाइन की जानकारी देते हुए सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी द्वारा बताया गया है कि कैबिनेट बैठक में मंत्रीगण व अधिकारी भारत सरकार के दिशा-निर्देशो के अनुसार माननीय कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के क्लोज कान्टेक्ट में न होने के कारण कम रिस्क वाले कान्टेक्ट के अंतर्गत आते हैं। वे अपना कार्य सामान्य रूप से कर सकते हैं और उन्हें क्वारेंटाईन किए जाने की आवश्यकता नहीं है।
हालांकि की इस निर्णय के बाद सरकार पर दोहरे मानक अपनाने का आरोप तेज होने लगा है। गौरतलब है कि 2 महीने पहले जब कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना कोरोना संक्रमित का हाल जानने दून अस्पताल गए थे तो उन्हें 28 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन कर दिया गया था, लेकिन दूसरे भाजपा नेता खजान दास को क्वॉरेंटाइन नहीं किया गया।
जाहिर है कि अगर सतपाल महाराज कैबिनेट मीटिंग में क्लोज कांटेक्ट में नहीं थे तो सूर्यकांत धस्माना दून अस्पताल में मिलने के लिए जाते समय सावधानी बरतने के बावजूद क्लोज कांटेक्ट के दोषी कैसे ठहराए गए !
दूसरा अहम सवाल यह है कि जब सतपाल महाराज से मिलने के लिए 20 तारीख को दिल्ली से कुछ लोग आए थे तो सतपाल महाराज के आवास के एक गेट पर क्वॉरेंटाइन का नोटिस चस्पा कर दिया गया लेकिन उनके आवास का दूसरा गेट सतपाल महाराज के आने जाने के लिए खुला रखा गया।
ऐसे में सवाल उठता है कि स्वास्थ्य विभाग का नोटिस चस्पा करने वाला मानक क्या है ! और एक घर में पति पत्नी के बीच क्लोज कांटेक्ट का पैमाना स्वास्थ्य विभाग किस मानक से देखता है ! आखिर सतपाल महाराज कैसे अपनी पत्नी अथवा घरेलू नौकरों से क्लोज कांटेक्ट में आने के बाद कैबिनेट मीटिंग में आ गए ! और आखिर उनकी क्या जिम्मेदारी फिक्स होती है !
स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने बताया कि संक्रमित व्यक्ति की कान्टेक्ट ट्रेसिंग के संबंध मे प्रावधान है कि कान्टेक्ट का दो वर्गों में वर्गीकरण किया जाएगा। अधिक रिस्क वाले कान्टेक्ट और कम रिस्क वाले कान्टेक्ट।
अधिक रिस्क वाले कान्टेक्ट की दशा में 14 दिन के लिए होम क्वारेंटाईन किया जाएगा और आईसीएमआर के प्रोटोकोल के अनुसार टेस्ट कराया जाएगा।
कम रिस्क वाले कान्टेक्ट अपना कार्य पहले की तरह कर सकते हैं।14 दिनों तक उनके स्वास्थ्य पर निगरानी रखी जाएगी।
गौरतलब है कि कल ही चमोली जिले में भवन निर्माण करने वाले बिहारी मजदूरों को तहसीलदार ने सोशल डिस्टेंस मेंटेन न करने के नाम पर अपने पीआरडी और होमगार्ड के जवानों से पिटवा दिया था। ऐसे में सरकार के इस ताजे फैसले पर दोहरा मानदंड अपनाने के आरोप लगने लाजमी है