देहरादून, जून 2025
एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट) टीबी मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल, देहरादून ने बीपीएएलएम (BPaLM) रेजिमन तकनीक से टीबी के उपचार की शुरुआत करते हुए प्रदेश में पहला संस्थान बनने का गौरव प्राप्त किया है। यह तकनीक टीबी रोगियों के लिए एक नई उम्मीद की किरण बनकर आई है।
अब तक एमडीआर टीबी के इलाज में 18 से 24 महीनों तक का लंबा कोर्स अपनाया जाता था, जिसमें मरीजों को लगातार दवाइयां लेनी पड़ती थीं। लेकिन अब बीपीएएलएम रेजिमन से सिर्फ छह महीने में इलाज संभव हो सकेगा। इससे उपचार की अवधि कम होने के साथ-साथ दवाओं की संख्या में भी कमी आएगी और मरीजों को बेहतर व तेज़ राहत मिल सकेगी।
प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत इस नई तकनीक को स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण विभाग, भारत सरकार द्वारा देशभर में प्रचारित किया जा रहा है। इसी कड़ी में बुधवार को श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के छाती एवं श्वास रोग विभाग में आयोजित कार्यक्रम के माध्यम से इस अत्याधुनिक पद्धति की औपचारिक शुरुआत की गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय पंडिता और विभागाध्यक्ष डॉ. जगदीश रावत ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर एमडीआर टीबी वार्ड में भर्ती मरीज को बीपीएएलएम उपचार किट प्रदान कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई।
डॉट्स एवं डीआरटीबी कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डॉ. श्रावणी कांची ने बताया कि बीपीएएलएम तकनीक से एमडीआर टीबी के उपचार की सफलता दर पहले की तुलना में काफी अधिक है। यह तकनीक मरीजों को कम समय में बेहतर परिणाम देती है और रोगियों को रोजाना अधिक संख्या में दवाइयां लेने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती। यह विशेषकर उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है जो पहले लंबी और थकाऊ इलाज प्रक्रिया से गुजरते थे।
उन्होंने यह भी बताया कि बीपीएएलएम रेजिमन के तहत इलाज ले रहे मरीजों को नियमित रूप से विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श लेना चाहिए ताकि उन्हें सही दिशा में इलाज मिलता रहे और दवा संबंधी किसी भी समस्या का समय पर समाधान किया जा सके।
इस अवसर पर डॉ. अभय प्रताप सिंह, डॉ. सिद्धांत कुमार, डॉ. विपिन सिंह, डॉ. चैतन्य सरदाना, डॉ. रमनदीप कालरा, डॉ. मानवेंद्र सिंह, डॉ. श्रिपा शर्मा, डॉ. आध्या कथूरिया, डॉ. लविश और डॉ. सुकृति सहित अस्पताल के कई अन्य चिकित्सक एवं स्टाफ मौजूद रहे।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की यह पहल उत्तराखंड राज्य में टीबी उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है और यह अन्य अस्पतालों के लिए भी एक अनुकरणीय मॉडल बनेगा।