देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के कॉर्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों द्वारा मरीज़ का सफल हार्ट प्रोसीजर किया गया। मेडिकल साइंस मंे इस प्रोसीजर को ऑर्बिटल एथैरोक्टॉमी कहते हैं। यह प्रोसीजर इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस प्रकार के प्रोसीजर को देश में पहली बार 11 फरवरी 2023 को सफलतापूर्वक किया गया था। उत्तराखण्ड में पहली बार यह सफल प्रोसीजर श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के कॉर्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने किया है। डायमंड बैक ऑर्बिटल एथैरोक्टॉमी डिवाइस तकनीक से हुए इस सफल प्रोसीजर पर अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने कॉर्डियोलॉजी के डॉक्टरों की पूरी टीम को बधाई दी।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के कॉर्डिायोलॉजी विभाग में नई विश्वस्तरीय मार्डन तकनीक से मरीजों का कॉर्डियक प्रोसीजर किया गया। डायमंड बैक ऑर्बिटल एथैरोक्टॉमी तकनीक से 4 मरीजों की ह्दय की धमनियों में जमे कैल्शियम को हटाया गया। पिछले दो दिनों में 4 ह्दय रोगियों का इस तकनीक से उपचार किया गया। पहला सफल प्रोसीजर डॉ सलिल गर्ग ने किया, दूसरा, तीसरा व चौथा सफल प्रोसीजर डॉ तनुज भाटिया, डॉ ऋचा शर्मा व डॉ साहिल महाजन ने किया। कॉर्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सलिल गर्ग ने जानकारी दी कि सामान्य तरीके से कैल्यिम हटाने की तुलना में डायमंड बैक ऑर्बिटल एथैरोक्टॉमी बेहद एडवांस है।
इस तकनीक को इस्तेमाल करने के लिए हाईब्रिड कैथलैब, अनुभवी कॉर्डियोलॉजिस्ट की टीम मिलकर काम करती है। इस तकनीक से माइक्रोन आकार के कैल्शियम कणों को धमनी से हटा देते हैं। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में यह सुविधा मिलने से उत्तराखण्ड व आसपास के राज्यों के ह्दय रोगियों को बड़ी राहत मिलना प्रारम्भ हो गई है। इस प्रकार के प्रोसीजर को करवाने के लिए मरीजों को मैट्रो शहरों में जाना पड़ता था अब यह सुविधा श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में उपलब्ध होगी। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में कॉर्डियोलॉजी के हाईप्रोफाइल इम्पैला व टावर प्रोसीजर भी किए जा रहे हैं।
डायमंड बैक ऑर्बिटल एथैरोक्टॉमी डिवाइस तकनीक क्या है?
डायमंड बैक ऑर्बिटल एथैरोक्टॉमी डिवाइस तकनीक में कैथेटर के साथ एक महीन कटर धमनी में मौजूद ब्लॉक तक जाता है। कटर की मदद से धमनी में जमे कैल्शियम को काटा जाता है व कैल्शियम को कैथेटर में एकत्र कर शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान धमनी में साथ साथ स्टैंटिंग भी कर दी जाती है। ह्दय की धमनियों में जमा कैल्शियम ह्दय रोग विशेषज्ञों के लिए हमेशा से ही चुनौतीपूर्णं रहा है।