अनुज नेगी/देहरादून
जीरो टॉलरेंस का दवा करने वाली सरकार में नियम कानूनों की लगातार धज्जिया उड़ाई जा रही है, मगर सरकार है कि नींद से जागने को तैयार ही नहीं।
इसी माह हरिद्वार वन प्रभाग के एक अदने से डिप्टी रेंजर ने प्रभागीय वनाधिकारी को वायरलेस पर अपशब्द बोल पूरे वन की जम कर नाक कटाई थी। जब इस बात को लेकर प्रदेश में हल्ला हुआ तो आन बान शान के कसीदे पढऩे वाला वन महकमें ने उसे दिखावे के लिए निलंबित कर कालसी अटैच्ड कर दिया। आनन फानन में कार्यवाही तो कर दी, मगर डिप्टी रेंजर की ऊंची पहुंच व उसके द्वारा समय समय पर की गई आवाभगत का एहसान उतारने में उन्हें ज्यादा वक्त नहीं लगा। महज कुछ दिनों के भीतर ही उन्होंने इसे जांच का बहाना बना नई तैनाती दे दी।
गौरतलब है कि इस ऊंची पहुंच वाले डिप्टी रेंजर के कई कारनामे वन महकमे के इतिहास में काले अक्षरों में लिखे जाएंगे। कुछ समय पूर्व एक आरटीआई में इसके कारनामों का खुलासा भी हुआ है।
हरिद्वार वन प्रभाग के रसियाबड के इस बत्तमीज पूर्व डिप्टी रेंजर प्रदीप उनियाल द्वारा वर्ष 2017-18 में बाघ संरक्षण कार्यक्रम कैंपा में करोड़ों रुपये का घोटाले को अंजाम दिया गया था, जिसमें वन अपर सचिव सुभाष चंद्र ने इसकी जांच भी कराई, जांच में करोड़ों के घोटाले का आरोप सिद्ध हुआ।
ऊची पहुंच व रसूक के दम रखने वाले इस भृष्ट डिप्टी रेंजर प्रदीप उनियाल पर आज तक महकमें द्वारा इस पर कोई भी कानूनी कार्यवाही नही की गई। उसकी फायदा उठा यह अपने को सर्वेसर्वा समझने लगा। हरिद्वार वन प्रभाग में तैनाती के दौरान सभी वन कर्मियों में इसका खौफ़ नजर आता था। ऊंची पहुंच के दम पर किसी का भी ट्रांसफर करवाना इसके लिए मामूली काम माना जाता है। बात बात पर मुख्यमंत्री व वन मंत्री तक सीधी व निजी पहुंच का दावा करना इसका शगल रहा है। वहीं समय समय पर झिलमिल क्षेत्र में सचिवालय कर्मियों, देहरादून के बिल्डरों व राजनैतिक लोगो की दावतों के किस्से भी इसके पहुंच को दर्शाते हैं।
चर्चा में बना नई तैनाती का मामला
वन महकमे ने इस डिप्टी रेंजर प्रदीप उनियाल पर कार्यवाही मात्र दिखावे की हुई थी। जब इस डिप्टी रेंजर ने पिछले कुछ दिनों अपने डीएफओ से वायरलेस पर बदतमीजी कर दी थी, वहीं वन महकने ने इस पर दिखाने के लिए इसको कुछ दिन के लिए निलंबित कर दिया था, मगर ऊंची पहुंच रखने वाले डिप्टी रेंजर प्रदीप उनियाल को मजबूरन वन महकमे को बहाल करना पड़ा और मात्र 15 दिन बाद आज उनको बहाल करके नई लैंसडौन वन प्रभाग में प्रभारी वन क्षेत्रीय अधिकारी नियुक्त कर दिया गया।
वहीं अगर वन महकमा इसके द्वारा किए गए करोड़ों के घोटाले पर कानूनी कार्यवही करेगा तो तत्कालीन विवादास्पद डीएफओ एचके सिंह, एसडीओ संतराम व रसियाड़ा रेंज के रेंज अधिकारी प्रदीप कुमार उनियाल के अलावा भी अन्य कई लोगो पर गाज गिरनी तय है। मगर सबसे बड़ा सवाल है कि कार्यवाही करेगा कौन!