देहरादून। राज्य में जिस तकनीकि विश्वविधालय पर जिम्मेदारी है कि उसे तकनीकि शिक्षा के क्षेत्र में राज्य को दक्ष व छात्रों के लिये बेहतर माहौल बनाना है। उसी तकनीकि विवि की अपनी नियुक्तियाँ फर्जी तरीके से की गई है। इतना ही नही बेरोजगारी को झेल रहे राज्य में कैसे जरूरतमंदों का हक मारा गया, यह रिपोर्ट बताती है।
शासन की जांच रिपोर्ट इस बात का खुलकर बताती है कि कैसे रसूखदारों पर मेहरबानी बरती गई। अवैध तरीके से प्रतिनियुक्ति पर लोगों को लाया गया। इतना ही नहीं उनकी तनख्वाह में बिना किसी इंटरव्यू अथवा अनुभव को देखे बगैर ही कर दिया गया। इस बड़े भ्रष्टाचार और सरकारी गबन पर अब राज्यपाल की 9 सितंबर को इस मसले पर होने वाली बैठक को लेकर सबके हलक सूख रहे है।
राजभवन के सूत्र बताते हैं कि राज्यपाल इस रिपोर्ट पर सख्त एक्शन लेने की तैयारी में है। इसमें दोषियों नियुक्ति पाने और करने दोनों ही लोगों पर आपराधिक मुकदमें दर्ज हो सकते हैं। साथ ही सरकारी धन के गबन की रिकवरी के भी आदेश हो सकते हैं?
शासन की जांच रिपोर्ट पर गौर करें तो उत्तराखंड तकनीकी विश्वविधालय में नियम विरूद्ध हुई नियुक्तियों में साफ पता चलता है कि कैसे रसूख और अफसरों को दबाव में लेकर काम किया गया है।
मौजूद रिपोर्ट पर तत्कालीन प्रमुख सचिव ओमप्रकाश, जो कि अब अपर मुख्य सचिव है के भी हस्ताक्षर मौजूद हैं। तकनीकी विवि में हुई नियुक्तियों में नियम विरूद्ध हुई नियुक्तियों में शिकायत के बाद संयुक्त सचिव तकनीकि शिक्षा एवं उत्तराखंड शासन के अपर सचिव निदेशक निदेशालय प्राविधिक शिक्षा से जांच कराई गई थी। कमेटी की रिपोर्ट की मानें तो 103 पदो में 69 पद ही भरे गये हैं। स्वीकृत 8 पदों पर लेखाकार आशुलिपिक आदि की तैनाती को गलत तरीके से दिखाया गया है। जांच कमेटी को गलत रिपोर्ट व मिथ्या सूचना दी गई। असिस्टेंट प्रोफेसर के 11 पदों पर बिना शासन से मंजूरी लिये बगैर ही 7 पदों पर नियुक्तियाँ कर दी गई। आरक्षण नियमों का पालन करना तो दूर, इसे अपनों की चाहत में भुला दिया गया।
प्रतिनियुक्ति में ‘भ्रष्टाचार की बू’
बता दें कि पीएस रावत को उप कुल सचिव के पद पर शबाली गुरूंग को सहायक निदेशक खेल गोविंद बिष्ट को उप परीक्षा नियंत्रक के पद पर तकनीकी विवि के पद पर लाया गया था। पीएस रावत को तो मूल विभाग में मिल रहे मूल वेतनमान दिया जाता रहा। शबाली गुरुंग के लिये नियम तबाह कर दिये गये। प्रभावशाली शबाली को विवि ने दोगुनी तनख्वाह देना शुरु कर दिया, जबकि इस पद पर न तो साक्षात्कार हुए न किसी योग्य अभ्यर्थी को मौका मिला। शबाली को खेल विभाग में 9300-34800 ग्रेड पे 4200 के बजाए 15800 39100 ग्रेड पे 5400 दिया जाता रहा।
वित्त विभाग का मानक कहता है कि प्रतिनियुक्त एक ग्रेड नीचे या किसी भी स्थिति में प्रतिनियुक्ति भत्ता एक सत्र अथवा ग्रेड पे के अनुमन्य ही हो सकता है, लेकिन शबाली गुरुंग के मामले में ग्रेड पे 4200 से बढाकर 5400 दिया गया, जो कि ग्रेड 3 से अधिक है। जो कि सीधे सीधे बडे भ्रष्टाचार और दबाव की ओर इशारा करता है?
कमेटी की जांच रिपोर्ट
उल्लेखनीय है कि कमेटी की जांच रिपोर्ट जब हुई और जिम्मेदारों से सवाल जबाव हुए तो खुलासा हुआ है कि प्रतिनियुक्ति पर चहेतों को लाने के फेर में कोई विज्ञापन नहीं जारी हुआ। विज्ञापन नहींं था तो कोई अभ्यर्थी भी इन पदों पर नहीं आया। चयन के आदेश का कोई आदेश प्रति भी जारी नहीं किया गया। प्रतिनियुक्ति की शर्तेें भी निर्धारित नहीं की गई। विवि में प्रतिनियुक्त शासन को सिर्फ एक प्रस्ताव सहायक निदेशक खेल हेतु भेजा गया। जांच रिपोर्ट ने इसे बड़े भ्रष्टाचार मानने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के कई केसों का उदाहरण देते हुये नियुक्ति पाने वालों से पैसे की रिकवरी के साथ-साथ आपराधिक मुकदमे की श्रेणी का माना है?
राज्यपाल की बैठक पर नजर
राज्य की राज्यपाल बेबी रानी मौर्या को जब इस मामले की जानकारी हुई और शिकायत के बावजूद कार्रवाई न होने का पता चला तो उन्होने मामले में 9 सितंबर सोमवार को अहम बैठक बुला ली है। राजभवन के सूत्र बताते हैं कि राजभवन में अलग अलग स्तर से इस प्रकरण पर ठोस कार्रवाई की मांग के लिये कई प्रार्थना पत्र भी प्राप्त हुए हैं? देखना होगा कि शबाली गुरुंग प्रकरण में आखिर क्या बड़ा फैसला होता है?