स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय में क्वारंटाइन सेंटरों में अव्यवस्थाओं को लेकर दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई। मामले की सुनवाई के दौरान, याची के अधिवक्ता ने न्यायालय के सामने कई बिंदु रखे जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने निर्णय सुरक्षित रख लिया है।
आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि :-
(1) राज्य सरकार ने जो चारधाम यात्रा के लिए एस.ओ.पी.जारी की है, वह सुप्रीम कोर्ट के 30 अप्रैल 2021 के आदेश का उल्लंघन है । याचिका में कहा गया है कि कोविड के दौरान किसी भी तरह की राजनीति या धर्म संबंधी कोई गतिविधि नहीं होंगी, लेकिन सरकार ने इस आदेश का उल्लंघन कर चारधाम यात्रा के लिए नई एस.ओ.पी.जारी की है।
(2) याचिकाकर्ता ने न्यायालय को यह भी बताया कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को 551 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मंजूरी दी है, जिसका खर्च प्रधानमंत्री राहत कोष से किया जाना है, जिस पर याचिकाकर्ता ने न्यायालय से यह प्रार्थना की है कि उत्तराखंड को कितने ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मंजूरी मिली है ? इसपर केंद्र को निर्देश देने को कहा है।
(3)याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि सरकार ने अपने मेडिकल पोर्टल में ऋषिकेश के एस.पी.एस.हॉस्पिटल में 6 बैड आई.सी.यू.होने की जानकारी दी गयी है, जबकि सी.एम.ओ.का कहना है कि वहां पर एक भी बैड आई.सी.यू.वाला नहीं है।
(4)याचिकाकर्ता का कहना है कि, हॉस्पिटलों में रेमड़ेशिवर इंजेक्शन की कमी का कारण खुद सरकार थी, क्योंकि सरकार ने इन इंजेक्शनों के लिए केंद्र के पास आवेदन भेजा ही नही था। पहले सरकार को 74 हजार इंजेक्शन की मंजूरी दी गयी थी, जिसे अब केंद्र ने बढ़ाकर 1लाख 24 हजार कर दिया है।
(5)सरकार की तरफ से न्यायालय को बताया गया कि अभी 310 मैट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध है ।
(6)याचिकाकर्ता ने सुनवाई के दौरान न्यायालय के सम्मुख यह बात भी कही है कि, जितने लोग बाहरी राज्यों से आ रहे हैं, जो 14 दिन क्वारेन्टीन है उनका खर्चा सरकार स्वयं वहन करे और नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत पिछले साल की तरह सरकार गरीब लोगों को निशुल्क अन्न मुहैया कराए।
मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश रविन्द्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने इन बिंदुओं पर निर्णय सुरक्षित रख लिया है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आर.एस. चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई।
मामले के अनुसार अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने क्वारंटाइन सेंटरों व कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में अलग अलग जनहित याचिका दायर की थी। पूर्व में बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है। जिसका संज्ञान लेकर कोर्ट अस्पतालों की नियमित मॉनिटरिंग के लिये जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे और कमेटियों से सुझाव माँगे थे।